https://en.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=%E0%A4%A6%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE_%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A5%87%E0%A4%AC_(%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A1%E0%A4%BC_%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%87)&feed=atom&action=historyदरिया साहेब (मारवाड़ वाले) - Revision history2024-03-29T05:35:00ZRevision history for this page on the wikiMediaWiki 1.35.6https://en.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=%E0%A4%A6%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE_%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A5%87%E0%A4%AC_(%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A1%E0%A4%BC_%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%87)&diff=497211&oldid=prevरविन्द्र प्रसाद: ''''दरिया साहेब''' एक प्रसिद्ध संत, जिनका जन्म [[मारवाड़...' के साथ नया पन्ना बनाया2014-07-21T11:31:01Z<p>''''दरिया साहेब''' एक प्रसिद्ध <a href="/india/%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%A4" title="संत">संत</a>, जिनका जन्म [[मारवाड़...' के साथ नया पन्ना बनाया</p>
<p><b>New page</b></p><div>'''दरिया साहेब''' एक प्रसिद्ध [[संत]], जिनका जन्म [[मारवाड़|मारवाड़ प्रदेश]] के 'जैतारन' नामक ग्राम में [[संवत]] 1733 में हुआ था। इनके समसामयिक एक अन्य संत दरिया भी थे, जो '[[दरिया साहेब (बिहार वाले)|दरिया साहेब बिहार वाले]]' के नाम से प्रसिद्ध थे।<ref>{{cite web |url= http://shashwat-shilp.blogspot.in/2010/10/1733-1769.html|title= संत दरिया साहेब|accessmonthday=21 जुलाई|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=शाश्वत शिल्प|language= हिन्दी}}</ref><br />
<br />
*[[पिता]] का निधन हो जाने के बाद दरिया साहेब परगना [[मेड़ता]] के रैनगांव में अपने [[मामा]] के रहाँ आकर रहने लगे थे।<br />
*इन्होंने [[संवत]] 1769 में [[बीकानेर]] के खियानसर गांव के संत प्रेम जी से दीक्षा ग्रहण की थी।<br />
*संत दरिया साहेब के अनुयायी इन्हें [[दादू दयाल|संत दादू दयाल]] का [[अवतार]] मानते हैं। इनकी वाणियों की संख्या एक हज़ार कही जाती है।<br />
*दरिया साहेब की रचनाओं का एक छोटा-सा संग्रह प्रकाशित हुआ है, जिससे इनकी विशेषताओं का कुछ पता चलता है।<br />
*इनके द्वारा रचे गए पदों एवं [[साखी|साखियों]] के अंतर्गत इनकी साधना संबंधी गहरे अनुभवों के अनेक उदाहरण मिलते हैं। <br />
*अपने पदों में अनेक स्थानों पर इन्होंने स्त्रियों की महत्ता व्यक्त की है। दरिया साहेब की [[भाषा]] पर इनके प्रांत की बोलियों का अधिक प्रभाव नहीं है।<br />
*संत दरिया साहेब मारवाड़ वाले का एक पद निम्नलिखित है-<br />
<br />
<blockquote><poem>संतों क्या गृहस्थ क्या त्यागी।<br />
जेहि देखूं तेहि बाहर भीतर, घट-घट माया लागी।<br />
माटी की भीत पवन का खंबा, गुन अवगुन से छाया।<br />
पांच तत्त आकार मिलाकर, सहजैं गिरह बनाया।<br />
मन भयो पिता मनस भइ माई, सुख-दुख दोनों भाई।<br />
आसा तृस्ना बहनें मिलकर, गृह की सौज बनाई।<br />
मोह भयो पुरुष कुबुद्धि भइ धरनी, पांचो लड़का जाया।<br />
प्रकृति अनंत कुटुंबी मिलकर, कलहल बहुत मचाया।<br />
लड़कों के संग लड़की जाई, ताका नाम अधीरी।<br />
बन में बैठी घर घर डोलै, स्वारथ संग खपी री।<br />
पाप पुण्य दोउ पार पड़ोसी, अनंत बासना नाती।<br />
राग द्वेष का बंधन लागा, गिरह बना उतपाती।<br />
कोइ गृह मांड़ि गिरह में बैठा, बैरागी बन बासा।<br />
जन दरिया इक राम भजन बिन, घट घट में घर बासा।</poem></blockquote><br />
<br />
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}<br />
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==<br />
<references/><br />
==संबंधित लेख==<br />
{{भारत के कवि}}<br />
[[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:निर्गुण भक्ति]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:साहित्य कोश]][[Category:दार्शनिक]]<br />
__INDEX__</div>रविन्द्र प्रसाद