Difference between revisions of "नामदेव"
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− | + | '''नामदेव''' (जन्म - 1270 नरसी-बामनी, [[महाराष्ट्र]]; मृत्य- 1350 [[पंढरपुर]], महाराष्ट्र) भारत के प्रमुख [[मध्यकाल|मध्यकालीन]] संत [[कवि]], जिन्होंने [[मराठी भाषा]] में अपनी रचनाएँ लिखीं। | |
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==जीवन परिचय== | ==जीवन परिचय== | ||
नामदेव विवाहित थे और उनके पांच बच्चे थे। युवावस्था में वह ख़ूनी लुटेरों के गिरोह के सदस्य थे, लेकिन एक [[दिन]] जब उन्होंने उस महिला का करुण विलाप सुना, जिसके पति की उन्होंने हत्या कर दी थी, तो उन्हें गहरा पश्चाताप हुआ। कहते है कि वह आत्महत्या करने ही वाले थे कि उन्हें [[विष्णु|भगवान विष्णु]] ने प्रकट होकर बचा लिया। इसके बाद नामदेव भक्ति की ओर मुड़ गए और वाराकरी<ref>तीर्थयात्रा मत, क्योंकि यह पंढ़रपुर की तीर्थयात्रा करके [[विष्णु]] की स्थानीय प्रतिमा विट्ठल (विठोबा) की उपासना पर ज़ोर देता है</ref> के प्रमुख प्रतिपादक बने। | नामदेव विवाहित थे और उनके पांच बच्चे थे। युवावस्था में वह ख़ूनी लुटेरों के गिरोह के सदस्य थे, लेकिन एक [[दिन]] जब उन्होंने उस महिला का करुण विलाप सुना, जिसके पति की उन्होंने हत्या कर दी थी, तो उन्हें गहरा पश्चाताप हुआ। कहते है कि वह आत्महत्या करने ही वाले थे कि उन्हें [[विष्णु|भगवान विष्णु]] ने प्रकट होकर बचा लिया। इसके बाद नामदेव भक्ति की ओर मुड़ गए और वाराकरी<ref>तीर्थयात्रा मत, क्योंकि यह पंढ़रपुर की तीर्थयात्रा करके [[विष्णु]] की स्थानीय प्रतिमा विट्ठल (विठोबा) की उपासना पर ज़ोर देता है</ref> के प्रमुख प्रतिपादक बने। | ||
==काव्य रचना== | ==काव्य रचना== | ||
− | वह संप्रदाय भक्ति<ref>इष्टदेव के प्रति प्रेममय भक्ति</ref> की अभिव्यक्ति एवं धार्मिक व्यवस्था में जाति बंधन से मुक्ति के लिए जाना गया। नामदेव ने कई अभंग<ref>भजन</ref> लिखे, जिनमें भगवान के प्रति उनके समर्पण की अभिव्यक्ति है। [[महाराष्ट्र]] और [[पंजाब]] में अत्यधिक लोकप्रिय उनके कुछ भजन [[सिक्ख|सिक्खों]] की पवित्र पुस्तक आदि ग्रंथ में शामिल हैं। नामदेव ने भक्ति गीतों की परंपरा को प्रेरणा दी, जो महाराष्ट्र में चार सदी तक जारी तथा | + | वह संप्रदाय भक्ति<ref>इष्टदेव के प्रति प्रेममय भक्ति</ref> की अभिव्यक्ति एवं धार्मिक व्यवस्था में जाति बंधन से मुक्ति के लिए जाना गया। नामदेव ने कई अभंग<ref>भजन</ref> लिखे, जिनमें भगवान के प्रति उनके समर्पण की अभिव्यक्ति है। [[महाराष्ट्र]] और [[पंजाब]] में अत्यधिक लोकप्रिय उनके कुछ भजन [[सिक्ख|सिक्खों]] की पवित्र पुस्तक आदि ग्रंथ में शामिल हैं। नामदेव ने भक्ति गीतों की परंपरा को प्रेरणा दी, जो महाराष्ट्र में चार सदी तक जारी तथा महान् भक्त कवि [[तुकाराम]] की रचनाओं में पराकाष्ठा तक पहुंची। |
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
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==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
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+ | *[http://www.manase.org/en/maharashtra.php?mid=68&smid=23&pmid=2&id=370 Saint Namdev] | ||
+ | *[http://www.hindupedia.com/en/Sant_Namdev Sant Namdev] | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
+ | {{भारत के कवि}} | ||
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thumb|250px|sant namadev namadev (janm - 1270 narasi-bamani, maharashtr; mrity- 1350 pandharapur, maharashtr) bharat ke pramukh madhyakalin sant kavi, jinhoanne marathi bhasha mean apani rachanaean likhian.
jivan parichay
namadev vivahit the aur unake paanch bachche the. yuvavastha mean vah khooni luteroan ke giroh ke sadasy the, lekin ek din jab unhoanne us mahila ka karun vilap suna, jisake pati ki unhoanne hatya kar di thi, to unhean gahara pashchatap hua. kahate hai ki vah atmahatya karane hi vale the ki unhean bhagavan vishnu ne prakat hokar bacha liya. isake bad namadev bhakti ki or mu d ge aur varakari[1] ke pramukh pratipadak bane.
kavy rachana
vah sanpraday bhakti[2] ki abhivyakti evan dharmik vyavastha mean jati bandhan se mukti ke lie jana gaya. namadev ne kee abhang[3] likhe, jinamean bhagavan ke prati unake samarpan ki abhivyakti hai. maharashtr aur panjab mean atyadhik lokapriy unake kuchh bhajan sikkhoan ki pavitr pustak adi granth mean shamil haian. namadev ne bhakti gitoan ki paranpara ko prerana di, jo maharashtr mean char sadi tak jari tatha mahanh bhakt kavi tukaram ki rachanaoan mean parakashtha tak pahuanchi.
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tika tippani aur sandarbh
bahari k diyaan
sanbandhit lekh
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