Difference between revisions of "नेल्सन मंडेला"

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|जन्म=18 जुलाई, 1918 ई.
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|जन्म=[[18 जुलाई]], [[1918]]
 
|जन्म भूमि='मबासा नदी' के किनारे 'मवेजों गाँव', 'ट्राँस्की'
 
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|मृत्यु=[[5 दिसम्बर]], [[2013]] (आयु- 95 वर्ष)
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|अविभावक=गेडला हेनरी (पिता), नेक्यूफ़ी नोसकेनी (माता)
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|पति/पत्नी='इवलिन मेस' (प्रथम पत्नी), 'नोमजामो विनी मेडीकिजाला' (द्वितीय पत्नी) तथा 'ग्रेस मेकल' (तीसरी पत्नी)
 
|पति/पत्नी='इवलिन मेस' (प्रथम पत्नी), 'नोमजामो विनी मेडीकिजाला' (द्वितीय पत्नी) तथा 'ग्रेस मेकल' (तीसरी पत्नी)
 
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|प्रसिद्धि=रंगभेद विरोधी नेता के रूप में ख्याति प्राप्त।
 
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|पार्टी='अफ़्रीकन नेशलन कांग्रेस यूथ लीग'
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|पद=पूर्व राष्ट्रपति दक्षिण अफ़्रीका
 
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'''नेल्सन मंडेला''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Nelson Mandela'', जन्म:[[18 जुलाई]], [[1918]] - मृत्यु: [[5 दिसम्बर]], [[2013]]) [[दक्षिण अफ़्रीका]] के भूतपूर्व [[राष्ट्रपति]] थे। नेल्सन मंडेला यहाँ के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति बने थे। उन्होंने अपनी ज़िंदगी के 27 वर्ष रॉबेन द्वीप पर कारागार में रंगभेद नीति के ख़िलाफ़ लड़ते हुए बिताए।
यह उपनिवेशवाद के खात्मे का दौर था। पूरी दुनिया में स्वतंत्रता की लहर दौड़ रही थी। [[भारत]] आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहा था। [[महात्मा गाँधी]] पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा के स्रोत बन हुए थे। उनकी कर्मभूमि [[दक्षिण अफ़्रीका]] जहाँ पहली बार उन्होंने रंगभेद के ख़िलाफ़ आन्दोलन चलाया था, अब वह पूरे परवान पर था। उनके हाथों का झण्डा अब एक अश्वेत युवक ने थामा। उसकी बात सुनी जाने लगी थी। नेल्सन मंडेला ने सपना देखा, एक ऐसी दुनिया का जहाँ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होगा।
 
 
==जीवन परिचय==
 
==जीवन परिचय==
मबासा नदी के किनारे ट्राँस्की के मवेजों गाँव में 'नेल्सन रोहिल्हाला मंडेला' का 18 जुलाई, 1918 को जन्म हुआ था। उनके पिता ने उन्हें नाम दिया 'रोहिल्हाला' अर्थ पेड़ की डालियों को तोड़ने वाला या फिर प्यारा शैतान बच्चा। नेल्सन के पिता 'गेडला हेनरी' गाँव के प्रधान थे। उनका परिवार परम्परा से ही गाँव का प्रधान परिवार था। घर का कोई लड़का ही इस पद पर सुशोभित होता था। नेल्सन के परिवार का सम्बन्ध क्षेत्र के शाही परिवार से था। अठारहवीं शताब्दी में यह इस क्षेत्र का प्रमुख शासक परिवार रहा था, जब तक कि यूरोप ने इस क्षेत्र पर अधिकार नहीं कर लिया।  
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मबासा नदी के किनारे ट्राँस्की के मवेजों गाँव में 'नेल्सन रोहिल्हाला मंडेला' का [[18 जुलाई]], [[1918]] को जन्म हुआ था। उनके [[पिता]] ने उन्हें नाम दिया 'रोहिल्हाला' अर्थ पेड़ की डालियों को तोड़ने वाला या फिर प्यारा शैतान बच्चा। नेल्सन के पिता 'गेडला हेनरी' गाँव के प्रधान थे। उनका [[परिवार]] परम्परा से ही गाँव का प्रधान परिवार था। घर का कोई लड़का ही इस पद पर सुशोभित होता था। नेल्सन के परिवार का सम्बन्ध क्षेत्र के शाही परिवार से था। अठारहवीं शताब्दी में यह इस क्षेत्र का प्रमुख शासक परिवार रहा था, जब तक कि [[यूरोप]] ने इस क्षेत्र पर अधिकार नहीं कर लिया।  
  
 
नेल्सन अपनी पिता की तीसरी पत्नी 'नेक्यूफ़ी नोसकेनी' की पहली सन्तान थे। कुल मिलाकर वह तेरह भाईयों में तीसरे थे। लोग उम्मीद कर रहे थे कि वह परिवार की परम्परा के अनुसार शाही सलाहकार बनेंगे। नेल्सन की माँ एक मेथडिस्ट थीं। वह 'मेथडिस्ट मिशनरी स्कूल' के विद्यार्थी बने। इसी बीच बारह साल की उम्र में ही नेल्सन के सिर से पिता का साया उठ गया। नेल्सन ने 'क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल' से अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूरी की।
 
नेल्सन अपनी पिता की तीसरी पत्नी 'नेक्यूफ़ी नोसकेनी' की पहली सन्तान थे। कुल मिलाकर वह तेरह भाईयों में तीसरे थे। लोग उम्मीद कर रहे थे कि वह परिवार की परम्परा के अनुसार शाही सलाहकार बनेंगे। नेल्सन की माँ एक मेथडिस्ट थीं। वह 'मेथडिस्ट मिशनरी स्कूल' के विद्यार्थी बने। इसी बीच बारह साल की उम्र में ही नेल्सन के सिर से पिता का साया उठ गया। नेल्सन ने 'क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल' से अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूरी की।
 
 
==रंगभेद से साक्षात्कार==
 
==रंगभेद से साक्षात्कार==
 
विद्यार्थी जीवन में उन्हें रोज़ याद दिलाया जाता कि उनका रंग काला है और सिर्फ़ इसी वज़ह से वह यह काम नहीं कर सकते। उन्हें रोज़ इस बात का एहसास करवाया जाता कि अगर वे सीना तान कर सड़क पर चलेंगे तो इस अपराध के लिए उन्हें जेल जाना पड़ सकता है। ऐसे अन्याय ने उनके अन्दर असंन्तोष भर दिया। एक क्रान्तिकारी तैयार हो रहा था। उन्होंने 'हेल्डटाउन' से अपनी स्नातक शिक्षा पूरी की। हेल्डटाउन अश्वेतों के लिए बनाया गया एक विशेष कॉलेज था। यहीं पर उनकी मुलाक़ात 'ऑलिवर टाम्बो' से हुई, जो जीवन भर के लिए उनके दोस्त और सहयोगी बन जाने वाले थे। 1940 तक नेल्सन मंडेला और ऑलिवर टाम्बो ने कॉलेज कैम्पस में अपने राजनीतिक विचारों और कार्यकलापों के लिए प्रसिद्धि पा ली। कॉलेज प्रशासन को जब इस बात का पता लगा तो दोनों को कॉलेज से निकाल दिया गया और परिसर में उनके प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया। 'फोर्ट हेयर' उनके क्रियाकलापों के मूर्त ग़वाह के रूप में आज भी खड़ा है। कॉलेज से निकाल दिए जाने के बाद वह माता-पिता के पास ट्राँस्की लौट आए।
 
विद्यार्थी जीवन में उन्हें रोज़ याद दिलाया जाता कि उनका रंग काला है और सिर्फ़ इसी वज़ह से वह यह काम नहीं कर सकते। उन्हें रोज़ इस बात का एहसास करवाया जाता कि अगर वे सीना तान कर सड़क पर चलेंगे तो इस अपराध के लिए उन्हें जेल जाना पड़ सकता है। ऐसे अन्याय ने उनके अन्दर असंन्तोष भर दिया। एक क्रान्तिकारी तैयार हो रहा था। उन्होंने 'हेल्डटाउन' से अपनी स्नातक शिक्षा पूरी की। हेल्डटाउन अश्वेतों के लिए बनाया गया एक विशेष कॉलेज था। यहीं पर उनकी मुलाक़ात 'ऑलिवर टाम्बो' से हुई, जो जीवन भर के लिए उनके दोस्त और सहयोगी बन जाने वाले थे। 1940 तक नेल्सन मंडेला और ऑलिवर टाम्बो ने कॉलेज कैम्पस में अपने राजनीतिक विचारों और कार्यकलापों के लिए प्रसिद्धि पा ली। कॉलेज प्रशासन को जब इस बात का पता लगा तो दोनों को कॉलेज से निकाल दिया गया और परिसर में उनके प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया। 'फोर्ट हेयर' उनके क्रियाकलापों के मूर्त ग़वाह के रूप में आज भी खड़ा है। कॉलेज से निकाल दिए जाने के बाद वह माता-पिता के पास ट्राँस्की लौट आए।
 
 
==परिवार से विद्रोह==
 
==परिवार से विद्रोह==
 
उन्हें क्रान्ति की राह पर देखकर परिवार परेशान था और चाहता था कि वह हमेशा के लिए घर लौट आएं। जल्दी ही एक लड़की पसन्द की गई जिससे नेल्सन को पारिवारिक ज़िम्मेदारियों में बाँध दिया जाए। घर में विवाह की तैयारियाँ ज़ोर-शोर से चल रही थीं, दूसरी ओर नेल्सन का मन उद्वेलित था और आख़िर में उन्होंने अपने निजी जीवन को दरकिनार करने का फ़ैसला किया और घर से भागकर जोहान्सबर्ग आ गए। वह जोहान्सबर्ग की विशाल सड़कों पर यायावर की तरह भटक रहे थे। नेल्सन ने एक सोने की ख़दान में चौकीदार की नौकरी करना शुरू कर दिया। जोहान्सबर्ग की एक बस्ती अलेक्ज़ेंडरा उनका ठिकाना थी।
 
उन्हें क्रान्ति की राह पर देखकर परिवार परेशान था और चाहता था कि वह हमेशा के लिए घर लौट आएं। जल्दी ही एक लड़की पसन्द की गई जिससे नेल्सन को पारिवारिक ज़िम्मेदारियों में बाँध दिया जाए। घर में विवाह की तैयारियाँ ज़ोर-शोर से चल रही थीं, दूसरी ओर नेल्सन का मन उद्वेलित था और आख़िर में उन्होंने अपने निजी जीवन को दरकिनार करने का फ़ैसला किया और घर से भागकर जोहान्सबर्ग आ गए। वह जोहान्सबर्ग की विशाल सड़कों पर यायावर की तरह भटक रहे थे। नेल्सन ने एक सोने की ख़दान में चौकीदार की नौकरी करना शुरू कर दिया। जोहान्सबर्ग की एक बस्ती अलेक्ज़ेंडरा उनका ठिकाना थी।
 
 
==सहयोगी==
 
==सहयोगी==
 
नेल्सन ने अपनी माँ के साथ जोहान्सबर्ग में ही रहने का इरादा किया। इसी जगह पर उनकी मुलाक़ात 'वाल्टर सिसुलू' और 'वाल्टर एल्बरटाइन' से हुई। नेल्सन के राजनीतिक जीवन को इन दो हस्तियों ने बहुत प्रभावित किया। नेल्सन ने जीवनयापन के लिए एक क़ानूनी फ़र्म में लिपिक की नौकरी कर ली, लेकिन वे लगातार अपने आपसे लड़ रहे थे। वह देख रहे थे कि उनके अपने लोगों के साथ इसलिए भेद किया जा रहा था क्योंकि प्रकृति ने उनको दूसरों से अलग रंग दिया था। इस देश में अश्वेत होना अपराध की तरह था। वे सम्मान चाहते थे और उन्हें लगातार अपमानित किया जाता था। रोज़ कई बार याद दिलाया जाता कि वे अश्वेत हैं और ऐसा होना किसी अपराध से कम नहीं है।
 
नेल्सन ने अपनी माँ के साथ जोहान्सबर्ग में ही रहने का इरादा किया। इसी जगह पर उनकी मुलाक़ात 'वाल्टर सिसुलू' और 'वाल्टर एल्बरटाइन' से हुई। नेल्सन के राजनीतिक जीवन को इन दो हस्तियों ने बहुत प्रभावित किया। नेल्सन ने जीवनयापन के लिए एक क़ानूनी फ़र्म में लिपिक की नौकरी कर ली, लेकिन वे लगातार अपने आपसे लड़ रहे थे। वह देख रहे थे कि उनके अपने लोगों के साथ इसलिए भेद किया जा रहा था क्योंकि प्रकृति ने उनको दूसरों से अलग रंग दिया था। इस देश में अश्वेत होना अपराध की तरह था। वे सम्मान चाहते थे और उन्हें लगातार अपमानित किया जाता था। रोज़ कई बार याद दिलाया जाता कि वे अश्वेत हैं और ऐसा होना किसी अपराध से कम नहीं है।
 
 
==विवाह का निर्णय==
 
==विवाह का निर्णय==
1944 में नेल्सन की ज़िन्दगी में 'इवलिन मेस' आईं और दोनों शादी के बन्धन में बँध गए। इवलिन उनके सहयोगी और मित्र वाल्टर सिसुलू की बहिन थीं। वह इन्हीं दिनों 'अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस' में शामिल हो गए। जल्दी ही उन्होंने टाम्बो, सिसुलू और अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर 'अफ़्रीकन नेशलन कांग्रेस यूथ लीग' का निर्माण किया। 1947 में मंडेला इस संस्था के सचिव चुन लिए गए। साथ ही उन्हें 'ट्रांन्सवाल ए.एन.सी.' का अधिकारी भी नियुक्त किया गया।
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[[1944]] में नेल्सन की ज़िन्दगी में 'इवलिन मेस' आईं और दोनों शादी के बन्धन में बँध गए। इवलिन उनके सहयोगी और मित्र वाल्टर सिसुलू की बहिन थीं। वह इन्हीं दिनों 'अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस' में शामिल हो गए। जल्दी ही उन्होंने टाम्बो, सिसुलू और अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर 'अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग' का निर्माण किया। 1947 में मंडेला इस संस्था के सचिव चुन लिए गए। साथ ही उन्हें 'ट्रांन्सवाल ए.एन.सी.' का अधिकारी भी नियुक्त किया गया।
 
 
 
==शिक्षा और राजनीति==
 
==शिक्षा और राजनीति==
नेल्सन की विचार शैली और काम करने की क्षमता से लोग प्रभावित होने लगे। एक महान नेता धीरे-धीरे जन्म ले रहा था। इसी बीच अपने आप को क़ानून का बेहतर जानकार बनाने के लिए नेल्सन ने क़ानून की पढ़ाई शुरू कर दी, लेकिन अपनी व्यस्तता के कारण वे एल.एल.बी. की परीक्षा पास करने में असफल रहे। इस असफलता के बाद उन्होंने एक वक़ील के तौर पर काम करने के बजाय अटार्नी के तौर पर काम करने के लिए पात्रता परीक्षा पास करने का फ़ैसला किया। इसी बीच अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस को चुनावों में करारी पराजय का सामना करना पड़ा। कांग्रेस के अध्यक्ष को पद से हटाकर किसी नए अध्यक्ष को लाने की माँग ज़ोर पकड़ने लगी। यूथ कांग्रेस के विचारों को अपनाकर मुख्य पार्टी को आगे बढ़ाने का विचार रखा गया। वाल्टर सिसुलू ने एक कार्ययोजना का निर्माण किया, जो 'अफ़्रीकन नेशलन कांग्रेस' के द्वारा स्वीकार कर लिया गया। 1951 में नेल्सन को 'यूथ कांग्रेस' का अध्यक्ष चुन लिया गया। नेल्सन ने अपने लोगों को क़ानूनी लड़ाई लड़ने के लिए 1952 में एक क़ानूनी फ़र्म की स्थापना की।
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नेल्सन की विचार शैली और काम करने की क्षमता से लोग प्रभावित होने लगे। एक महान् नेता धीरे-धीरे जन्म ले रहा था। इसी बीच अपने आप को क़ानून का बेहतर जानकार बनाने के लिए नेल्सन ने क़ानून की पढ़ाई शुरू कर दी, लेकिन अपनी व्यस्तता के कारण वे एल.एल.बी. की परीक्षा पास करने में असफल रहे। इस असफलता के बाद उन्होंने एक वक़ील के तौर पर काम करने के बजाय अटार्नी के तौर पर काम करने के लिए पात्रता परीक्षा पास करने का फ़ैसला किया। इसी बीच अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस को चुनावों में करारी पराजय का सामना करना पड़ा। कांग्रेस के अध्यक्ष को पद से हटाकर किसी नए अध्यक्ष को लाने की माँग ज़ोर पकड़ने लगी। यूथ कांग्रेस के विचारों को अपनाकर मुख्य पार्टी को आगे बढ़ाने का विचार रखा गया। वाल्टर सिसुलू ने एक कार्ययोजना का निर्माण किया, जो 'अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस' के द्वारा स्वीकार कर लिया गया। 1951 में नेल्सन को 'यूथ कांग्रेस' का अध्यक्ष चुन लिया गया। नेल्सन ने अपने लोगों को क़ानूनी लड़ाई लड़ने के लिए 1952 में एक क़ानूनी फ़र्म की स्थापना की।
 
 
 
==गाँधी जी का प्रभाव==
 
==गाँधी जी का प्रभाव==
 
यह वह दौर था जब पूरी दुनिया गांधी से प्रभावित हो रही थी, नेल्सन भी उनमें से एक थे। वैचारिक रूप से वह स्वयं को गांधी के नज़दीक पाते थे, और यह प्रभाव उनके द्वारा चलाए गए आन्दोलनों पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा था। कुछ ही समय में उनकी फ़र्म देश की 'पहली अश्वेतों' द्वारा चलाई जा रही फ़र्म हो गई, लेकिन नेल्सन के लिए वक़ील का रोज़ग़ार और राजनीति को एक साथ लेकर चलना मुश्किल साबित हो रहा था। इसी दौरान उन्हें ट्रांन्सवाल कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया। ज़िम्मेदारियाँ बढ़ती जा रही थीं।
 
यह वह दौर था जब पूरी दुनिया गांधी से प्रभावित हो रही थी, नेल्सन भी उनमें से एक थे। वैचारिक रूप से वह स्वयं को गांधी के नज़दीक पाते थे, और यह प्रभाव उनके द्वारा चलाए गए आन्दोलनों पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा था। कुछ ही समय में उनकी फ़र्म देश की 'पहली अश्वेतों' द्वारा चलाई जा रही फ़र्म हो गई, लेकिन नेल्सन के लिए वक़ील का रोज़ग़ार और राजनीति को एक साथ लेकर चलना मुश्किल साबित हो रहा था। इसी दौरान उन्हें ट्रांन्सवाल कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया। ज़िम्मेदारियाँ बढ़ती जा रही थीं।
 
 
==लोकप्रियता और कांग्रेस==
 
==लोकप्रियता और कांग्रेस==
 
सरकार को नेल्सन की बढ़ती हुई लोकप्रियता बिल्कुल पसन्द नहीं आ रही थी और उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया। उनको वर्गभेद के आरोप में जोहान्सबर्ग के बाहर भेज दिया गया और उन पर किसी तरह की बैठक में भाग लेने पर रोक लगा दी गई। अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस का भविष्य ही दाँव पर लग गया था। सरकार के दमनचक्र से बचने के लिए नेल्सन और ऑलिवर टाम्ब ने एक 'एम' प्लान बनाया। यहाँ पर एम से मतलब मंडेला से था। फैसला लिया गया कि कांग्रेस को टुकड़ों में तोड़कर काम किया जाए और ज़रूरत पड़े तो भूमिगत रहकर भी काम किया जाएगा। प्रतिबंध के बावजूद नेल्सन भागकर क्लिप टाउन पहुँच गए और कांग्रेस के जलसों में भाग लेने लगे। लोगों की भीड़ की आड़ में बचते हुए उन्होंने उन तमाम संगठनों के साथ काम किया, जो अश्वेतों की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहे थे।  
 
सरकार को नेल्सन की बढ़ती हुई लोकप्रियता बिल्कुल पसन्द नहीं आ रही थी और उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया। उनको वर्गभेद के आरोप में जोहान्सबर्ग के बाहर भेज दिया गया और उन पर किसी तरह की बैठक में भाग लेने पर रोक लगा दी गई। अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस का भविष्य ही दाँव पर लग गया था। सरकार के दमनचक्र से बचने के लिए नेल्सन और ऑलिवर टाम्ब ने एक 'एम' प्लान बनाया। यहाँ पर एम से मतलब मंडेला से था। फैसला लिया गया कि कांग्रेस को टुकड़ों में तोड़कर काम किया जाए और ज़रूरत पड़े तो भूमिगत रहकर भी काम किया जाएगा। प्रतिबंध के बावजूद नेल्सन भागकर क्लिप टाउन पहुँच गए और कांग्रेस के जलसों में भाग लेने लगे। लोगों की भीड़ की आड़ में बचते हुए उन्होंने उन तमाम संगठनों के साथ काम किया, जो अश्वेतों की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहे थे।  
  
 
इसी दौरान उन्हें आम लोगों के साथ ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त बिताने का मौक़ा मिला और उनमें जनमानस को समझने की समझ विकसित हुई। धीरे-धीरे अश्वेतों के अधिकारों के लिय चलाए जा रहे आन्दोलन में उनकी सक्रियता बढ़ती ही चली गई। आन्दोलन में अपनी व्यस्तता के कारण वे परिवार को समय नहीं दे पा रहे थे। पत्नी एल्विन से उनकी दूरियाँ बढ़ती ही चली गईं और आख़िर में वह वक़्त भी आ गया जब हमेशा के लिए साथ निभाने और साथ चलने का वादा कर चुकीं एल्विन ने उनका साथ छोड़ दिया। नेल्सन के लिए यह एक व्यक्तिगत क्षति थी। लेकिन उन्हें कहीं बड़े लक्ष्य के लिए काम करना था।
 
इसी दौरान उन्हें आम लोगों के साथ ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त बिताने का मौक़ा मिला और उनमें जनमानस को समझने की समझ विकसित हुई। धीरे-धीरे अश्वेतों के अधिकारों के लिय चलाए जा रहे आन्दोलन में उनकी सक्रियता बढ़ती ही चली गई। आन्दोलन में अपनी व्यस्तता के कारण वे परिवार को समय नहीं दे पा रहे थे। पत्नी एल्विन से उनकी दूरियाँ बढ़ती ही चली गईं और आख़िर में वह वक़्त भी आ गया जब हमेशा के लिए साथ निभाने और साथ चलने का वादा कर चुकीं एल्विन ने उनका साथ छोड़ दिया। नेल्सन के लिए यह एक व्यक्तिगत क्षति थी। लेकिन उन्हें कहीं बड़े लक्ष्य के लिए काम करना था।
 
 
==आन्दोलन और नेल्सन==
 
==आन्दोलन और नेल्सन==
 
[[चित्र:Nelson-Mandela.jpg|thumb|250px|नेल्‍सन मंडेला <br /> Nelson Mandela]]
 
[[चित्र:Nelson-Mandela.jpg|thumb|250px|नेल्‍सन मंडेला <br /> Nelson Mandela]]
 
आन्दोलन और नेल्सन जीवनसंगी बन गए। नेल्सन के नेतृत्व में आन्दोलन की तीव्रता बढ़ती ही जा रही थी। सरकार बुरी तरह से घबराई हुई थी। इसी बीच ए.एन.सी. ने स्वतंत्रता का चार्टर स्वीकार किया और इस क़दम ने सरकार का संयम तोड़ दिया। पूरे देश में गिरफ़्तारियों का दौर शुरू हो गया। ए.एन.सी. के अध्यक्ष और नेल्सन के साथ पूरे देश से रंगभेद का आन्दोलन का समर्थन करने वाले एक सौ छप्पन नेता गिरफ़्तार कर लिए गए। आन्दोलन नेतृत्व विहीन हो गया। नेल्सन और साथियों पर देश के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने और देशद्रोह करने का आरोप लगाया गया। इस अपराध की सज़ा मृत्युदण्ड थी। इन सभी नेताओं के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाया गया और 1961 में नेल्सन और 29 साथियों को निर्दोष घोषित करते हुए रिहा कर दिया गया। इसी मुक़दमे के दौरान नेल्सन की मुलाक़ात 'नोमजामो विनी मेडीकिजाला' से हुई, जो जल्दी ही उनकी दूसरी जीवन संगिनी बनने वाली थीं।
 
आन्दोलन और नेल्सन जीवनसंगी बन गए। नेल्सन के नेतृत्व में आन्दोलन की तीव्रता बढ़ती ही जा रही थी। सरकार बुरी तरह से घबराई हुई थी। इसी बीच ए.एन.सी. ने स्वतंत्रता का चार्टर स्वीकार किया और इस क़दम ने सरकार का संयम तोड़ दिया। पूरे देश में गिरफ़्तारियों का दौर शुरू हो गया। ए.एन.सी. के अध्यक्ष और नेल्सन के साथ पूरे देश से रंगभेद का आन्दोलन का समर्थन करने वाले एक सौ छप्पन नेता गिरफ़्तार कर लिए गए। आन्दोलन नेतृत्व विहीन हो गया। नेल्सन और साथियों पर देश के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने और देशद्रोह करने का आरोप लगाया गया। इस अपराध की सज़ा मृत्युदण्ड थी। इन सभी नेताओं के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाया गया और 1961 में नेल्सन और 29 साथियों को निर्दोष घोषित करते हुए रिहा कर दिया गया। इसी मुक़दमे के दौरान नेल्सन की मुलाक़ात 'नोमजामो विनी मेडीकिजाला' से हुई, जो जल्दी ही उनकी दूसरी जीवन संगिनी बनने वाली थीं।
 
 
==अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस और नेल्सन==
 
==अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस और नेल्सन==
 
सरकार के द्वारा चलाया गया दमनचक्र अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस और नेल्सन का जनाधार बढ़ा रहा था। लोग संगठन से जुड़ने लगे और आन्दोलन दिन प्रतिदिन मज़बूत होता जा रहा था। रंगभेदी सरकार आन्दोलन को तोड़ने के लिए हर सम्भव प्रयास कर रही थी। इसी बीच कुछ ऐसे क़ानून पास किए गए, जो अश्वेतों को नाग़वार थे। नेल्सन ने इन क़ानूनों का विरोध करने के लिए प्रदर्शन किया। इसी तरह के एक प्रदर्शन में दक्षिण अफ़्रीकी पुलिस ने शार्पविले शहर में प्रदर्शनकारियों पर गोलियों की बौछार कर दी। 180 लोग मारे गए और 69 लोग घायल हुए। हर एक देश के आन्दोलन का अपना एक [[जलियाँवाला बाग़]] बन गया था। इस तरह की घटनाओं और सरकार द्वारा चलाए जा रहे क्रूर दमनचक्र ने नेल्सन का अहिंसा पर से विश्वास उठा दिया।
 
सरकार के द्वारा चलाया गया दमनचक्र अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस और नेल्सन का जनाधार बढ़ा रहा था। लोग संगठन से जुड़ने लगे और आन्दोलन दिन प्रतिदिन मज़बूत होता जा रहा था। रंगभेदी सरकार आन्दोलन को तोड़ने के लिए हर सम्भव प्रयास कर रही थी। इसी बीच कुछ ऐसे क़ानून पास किए गए, जो अश्वेतों को नाग़वार थे। नेल्सन ने इन क़ानूनों का विरोध करने के लिए प्रदर्शन किया। इसी तरह के एक प्रदर्शन में दक्षिण अफ़्रीकी पुलिस ने शार्पविले शहर में प्रदर्शनकारियों पर गोलियों की बौछार कर दी। 180 लोग मारे गए और 69 लोग घायल हुए। हर एक देश के आन्दोलन का अपना एक [[जलियाँवाला बाग़]] बन गया था। इस तरह की घटनाओं और सरकार द्वारा चलाए जा रहे क्रूर दमनचक्र ने नेल्सन का अहिंसा पर से विश्वास उठा दिया।
 
 
==नये दल का गठन==
 
==नये दल का गठन==
रंगभेदी सभी सीमाओं को तोड़ती जा रही थी। दक्षिण अफ़्रीका की ज़मीन अत्याचारों के रंग से सुर्ख लाल हो चुकी थी। एएनसी और दूसरे प्रमुख दल ने हथियाबन्द लड़ाई लड़ने का फ़ैसला किया। दोनों ने ही अपने लड़ाका दल विकसित करने शुरू कर दिए। नेल्सन अपनी मौलिक राह छोड़कर एक दूसरे रास्ते पर निकल पड़े, जो उनके उसूलों से मूल नहीं खाता था। एएनसी के लड़ाके दल का नाम रखा गया, "स्पीयर आफ़ दी नेशन" और नेल्सन को इस नए गुट का अध्यक्ष बना दिया गया। वे नए रास्ते पर पूरे जोश के साथ निकल पड़े। बस रास्ता नया था, मंज़िल अभी भी वही थी—अपने लोगों के लिए न्याय और सम्मान। इस क़दम ने रही—सही क़सर पूरी कर दी और रंगभेदी सरकार ने नेल्सन के दल पर प्रतिबंध लगा दिया। दमनचक्र अपने पूरे ज़ोर पर था। बौखलाई सरकार कोई भी क़सर नहीं छोड़ नहीं थी। पूरी दुनिया में इस काम के लिए सरकार की आलोचना हो रही थी। मानवाधिकार संगठन इस हैवानी कृत्य की तरफ़ पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित करवा रहे थे। नेल्सन वैश्विक नेता के तौर पर उभर रहे थे। सरकार का पूरा ध्यान नेल्सन को गिरफ़्तार कर पूरे संगठन को खत्म करने में था। इस त्रासदी से बचने के लिए उन्हें चोरी से देश के बाहर भेज दिया गया, ताकि वे स्वतंत्र रहकर अपने लोगों का नेतृत्व कर सकें। देश के बाहर आते ही उन्होंने सबसे पहले अदीस अबाबा में अफ़्रीकी नेशनलिस्ट लीडर्स कान्फ़्रेंस को सम्बोधित किया और बेहतर जीवन के अपने आधारभूत अधिकार की माँग की। वहाँ से निकलकर वे अल्जीरिया चले गए और लड़ने की गुरिल्ला तकनीक का गहन प्रशिक्षण लिया। इसके बाद उन्होंने लंदन की राह पकड़ी जहाँ ओलिवर टाम्बो एक बार फिर उनके साथ आ मिले। लंदन में विपक्षी दलों के साथ उन्होंने मुलाक़ात की और अपनी बात को पूरी दुनिया के सामने समझाने की कोशिश की। इसके बाद वे एक बार फिर दक्षिण अफ़्रीका पहुँचे। वहाँ की सरकार उनके स्वागत के लिए एकदम तैयार थी, और पहुँचते ही उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया।
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रंगभेदी सभी सीमाओं को तोड़ती जा रही थी। दक्षिण अफ़्रीका की ज़मीन अत्याचारों के रंग से सुर्ख लाल हो चुकी थी। एएनसी और दूसरे प्रमुख दल ने हथियाबन्द लड़ाई लड़ने का फ़ैसला किया। दोनों ने ही अपने लड़ाका दल विकसित करने शुरू कर दिए। नेल्सन अपनी मौलिक राह छोड़कर एक दूसरे रास्ते पर निकल पड़े, जो उनके उसूलों से मूल नहीं खाता था। एएनसी के लड़ाके दल का नाम रखा गया, "स्पीयर आफ़ दी नेशन" और नेल्सन को इस नए गुट का अध्यक्ष बना दिया गया। वे नए रास्ते पर पूरे जोश के साथ निकल पड़े। बस रास्ता नया था, मंज़िल अभी भी वही थी—अपने लोगों के लिए न्याय और सम्मान। इस क़दम ने रही—सही क़सर पूरी कर दी और रंगभेदी सरकार ने नेल्सन के दल पर प्रतिबंध लगा दिया। दमनचक्र अपने पूरे ज़ोर पर था। बौखलाई सरकार कोई भी क़सर नहीं छोड़ नहीं थी। पूरी दुनिया में इस काम के लिए सरकार की आलोचना हो रही थी। मानवाधिकार संगठन इस हैवानी कृत्य की तरफ़ पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित करवा रहे थे। नेल्सन वैश्विक नेता के तौर पर उभर रहे थे। सरकार का पूरा ध्यान नेल्सन को गिरफ़्तार कर पूरे संगठन को खत्म करने में था। इस त्रासदी से बचने के लिए उन्हें चोरी से देश के बाहर भेज दिया गया, ताकि वे स्वतंत्र रहकर अपने लोगों का नेतृत्व कर सकें। देश के बाहर आते ही उन्होंने सबसे पहले [[अदीस अबाबा]] में अफ़्रीकी नेशनलिस्ट लीडर्स कान्फ़्रेंस को सम्बोधित किया और बेहतर जीवन के अपने आधारभूत अधिकार की माँग की। वहाँ से निकलकर वे अल्जीरिया चले गए और लड़ने की गुरिल्ला तकनीक का गहन प्रशिक्षण लिया। इसके बाद उन्होंने लंदन की राह पकड़ी जहाँ ओलिवर टाम्बो एक बार फिर उनके साथ आ मिले। लंदन में विपक्षी दलों के साथ उन्होंने मुलाक़ात की और अपनी बात को पूरी दुनिया के सामने समझाने की कोशिश की। इसके बाद वे एक बार फिर दक्षिण अफ़्रीका पहुँचे। वहाँ की सरकार उनके स्वागत के लिए एकदम तैयार थी, और पहुँचते ही उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया।
 
 
 
==जेल और नेल्सन==
 
==जेल और नेल्सन==
 
नेल्सन को पूरे पाँच साल की सज़ा सुनाई गई। आरोप लगा कि वे अवैधानिक तरीक़े से देश से बाहर गए। सरकार अभी भी उन्हें किसी क्रान्ति का नेता मानने को तैयार नहीं थी। एक आदमी ने पूरी सरकार को डरा रखा था। इसी बीच जोहानसबर्ग के लीलीसलीफ़ में सरकार ने छापा मारकर एसके मुख्यालय को तहस—नहस कर दिया। एमके के सभी बड़े नेता पकड़े गए और नेल्सन सहित सभी लोगों पर देश के ख़िलाफ़ लड़ने का आरोप तय किया गया। उनके सहित पाँच और लोगों को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई गई। आम जनता से दूर रखने के लिए उन्हें रोबन द्वीप पर भेज दिया गया। यह दक्षिण अफ़्रीका का कालापानी माना जाता है।  
 
नेल्सन को पूरे पाँच साल की सज़ा सुनाई गई। आरोप लगा कि वे अवैधानिक तरीक़े से देश से बाहर गए। सरकार अभी भी उन्हें किसी क्रान्ति का नेता मानने को तैयार नहीं थी। एक आदमी ने पूरी सरकार को डरा रखा था। इसी बीच जोहानसबर्ग के लीलीसलीफ़ में सरकार ने छापा मारकर एसके मुख्यालय को तहस—नहस कर दिया। एमके के सभी बड़े नेता पकड़े गए और नेल्सन सहित सभी लोगों पर देश के ख़िलाफ़ लड़ने का आरोप तय किया गया। उनके सहित पाँच और लोगों को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई गई। आम जनता से दूर रखने के लिए उन्हें रोबन द्वीप पर भेज दिया गया। यह दक्षिण अफ़्रीका का कालापानी माना जाता है।  
 
==नेल्सन की जीत==
 
==नेल्सन की जीत==
 
जेल जाने से पहले अदालत को अपने बयान से सम्बोधित करते हुए नेल्सन ने कहा-  
 
जेल जाने से पहले अदालत को अपने बयान से सम्बोधित करते हुए नेल्सन ने कहा-  
<blockquote>"अपने पूरे जीवन के दौरान मैंने अपना सबकुछ अफ़्रीकी लोगों के संघर्ष में झोंक दिया। मैं श्वेत रंगभेद के ख़िलाफ़ लड़ा हूँ, और में अश्वेत रंगभेद के ख़िलाफ़ भी लड़ा हूँ। मैंने हमेशा एक मुक्त और लोकतांत्रिक समाज का सपना देखा है। जहाँ सभी लोग एक साथ पूरे सम्मान, प्रेम और समान अवसर के साथ अपना जीवन यापन कर पायेंगे। यही वह आदर्श है, जो मेरे लिए जीवन की आशा बनी और मैं इसी को पाने के लिए जिन्दा हूँ, और अगर कहीं ज़रूरत है कि मुझे इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मरना है तो मैं इसके लिए भी पूरी तरह से तैयार हूँ।"</blockquote>  
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<blockquote>"अपने पूरे जीवन के दौरान मैंने अपना सबकुछ अफ़्रीकी लोगों के संघर्ष में झोंक दिया। मैं श्वेत रंगभेद के ख़िलाफ़ लड़ा हूँ, और में अश्वेत रंगभेद के ख़िलाफ़ भी लड़ा हूँ। मैंने हमेशा एक मुक्त और लोकतांत्रिक समाज का सपना देखा है। जहाँ सभी लोग एक साथ पूरे सम्मान, प्रेम और समान अवसर के साथ अपना जीवन यापन कर पायेंगे। यही वह आदर्श है, जो मेरे लिए जीवन की आशा बनी और मैं इसी को पाने के लिए ज़िन्दा हूँ, और अगर कहीं ज़रूरत है कि मुझे इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मरना है तो मैं इसके लिए भी पूरी तरह से तैयार हूँ।"</blockquote>  
 
 
अदालत में उपस्थित हर एक आत्मा नेल्सन का ही समर्थन कर रही थी। इन शब्दों ने दक्षिण अफ़्रीकी आन्दोलन को हमेशा एक नई ऊर्जा दी। 1976 में पुलिस मंत्री जिमी क्रुगर नेल्सन के पास सरकार की तरफ़ से एक प्रस्ताप लेकर आए कि अगर वे आन्दोलन को समाप्त कर दें तो सरकार उन्हें मुक्त कर ट्राँस्की में बसने की अनुमति दे देगी। रंगभेदी सरकार पर पूरी दुनिया से दबाव बढ़ता जा रहा था। इन दबावों ने असर दिखाया और नेल्सन तथा सिसुलू को रोबन द्वीप से अफ़्रीका लाकर केपटाउन के नज़दीक पाल्समूर जेल में रखा गया। यह नेल्सन की नेता के तौर पर जीत थी। अपने प्रभाव से वे सरकार को झुकाने में सफल रहे। इसी बीच उनकी तबीयत ख़राब हुई। सरकार ने आपातकाल घोषित कर दिया। नेल्सन को तत्काल अस्पताल ले जाया गया। प्रोस्टेड ग्लेंड का आपरेशन सफल रहा। इस घटना के बाद सरकार नेल्सन के प्रति थोड़ी नरम हुई।
 
  
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अदालत में उपस्थित हर एक आत्मा नेल्सन का ही समर्थन कर रही थी। इन शब्दों ने दक्षिण अफ़्रीकी आन्दोलन को हमेशा एक नई ऊर्जा दी। 1976 में पुलिस मंत्री जिमी क्रुगर नेल्सन के पास सरकार की तरफ़ से एक प्रस्ताप लेकर आए कि अगर वे आन्दोलन को समाप्त कर दें तो सरकार उन्हें मुक्त कर ट्राँस्की में बसने की अनुमति दे देगी। रंगभेदी सरकार पर पूरी दुनिया से दबाव बढ़ता जा रहा था। इन दबावों ने असर दिखाया और नेल्सन तथा सिसुलू को रोबन द्वीप से अफ़्रीका लाकर [[केपटाउन]] के नज़दीक पाल्समूर जेल में रखा गया। यह नेल्सन की नेता के तौर पर जीत थी। अपने प्रभाव से वे सरकार को झुकाने में सफल रहे। इसी बीच उनकी तबीयत ख़राब हुई। सरकार ने आपातकाल घोषित कर दिया। नेल्सन को तत्काल अस्पताल ले जाया गया। प्रोस्टेड ग्लेंड का आपरेशन सफल रहा। इस घटना के बाद सरकार नेल्सन के प्रति थोड़ी नरम हुई।
 
==जेल और ख़्रराब स्वास्थ्य==
 
==जेल और ख़्रराब स्वास्थ्य==
क़ानून मंत्री कोबी कोएत्जी ने उनसे आग्रह किया कि वे आज़ादी प्राप्त करने के अपने लक्ष्य में हिंसा का रास्ता त्याग दें। हालाँकि नेल्सन ने एक बार फिर से साफ इन्कार कर दिया, लेकिन सरकार ने उन पर रियायतों की झड़ी लगा दी। उन्हें परिवार से मिलने की छूट दी गई। साथ ही वे अब एक जेल वार्डन के साथ केपटाउन में घूमने भी जा सकते थे। काफ़ी लम्बे अरसे के बाद नेल्सन ने बाहरी दुनिया की खुली हवा में साँस लेना शुरू किया था। एक प्रेमिल व्यक्ति अपनी सबसे बड़ी इच्छा डूबते हुए सूरज को देखना और साथ में बेहतरीन संगीत सुनना, पूरी करने के लिए तरस गया था। एक साक्षात्कार के दौरान नेल्सन ने स्वीकार किया कि उन्होंने अपनी ज़िन्दगी में इन चीज़ों की कमी महसूस की, लेकिन लक्ष्य ज़्यादा बड़ा था। 1983 एक बार फिर से नेल्सन के लिए मौत क़रीब ले आया। जाँच में पाया गया कि उन्हें टी. बी. हो गया है। उपचार देने के लिए उन्हें बेहतर जगह की ज़रूरत थी। उन्हें पार्ल के नज़दीक विक्टर जेल में पहुँचा दिया गया। ज़िन्दगी बस निकली जा रही थी। संघर्ष पक रहा था और आख़िर में रंगभेद के दिन लदते हुए दिखाई देने लगे। 1989 में दक्षिण अफ़्रीका में सत्ता परिवर्तन हुआ और उदार एफ़ डब्ल्यू क्लार्क देश के मुखिया बने। सत्ता सम्भालते ही उन्होंने सभी अश्वेत दलों पर लगा हुआ प्रतिबंध हटा लिया। साथ ही सभी राजनीतिक बंदियों को आज़ाद कर दिया गया जिन पर किसी तरह का आपराधिक मुक़दमा दर्ज नहीं था। नेल्सन भी उनमें से एक थे। ज़िन्दगी की शाम में आज़ादी का सूर्य नेल्सन के जीवन को रोशन करने लगा। 11 फ़रवरी, 1990 को नेल्सन आख़िर में पूरी तरह से आज़ाद कर दिए गए।
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क़ानून मंत्री कोबी कोएत्जी ने उनसे आग्रह किया कि वे आज़ादी प्राप्त करने के अपने लक्ष्य में हिंसा का रास्ता त्याग दें। हालाँकि नेल्सन ने एक बार फिर से साफ़ इन्कार कर दिया, लेकिन सरकार ने उन पर रियायतों की झड़ी लगा दी। उन्हें परिवार से मिलने की छूट दी गई। साथ ही वे अब एक जेल वार्डन के साथ केपटाउन में घूमने भी जा सकते थे। काफ़ी लम्बे अरसे के बाद नेल्सन ने बाहरी दुनिया की खुली हवा में साँस लेना शुरू किया था। एक प्रेमिल व्यक्ति अपनी सबसे बड़ी इच्छा डूबते हुए सूरज को देखना और साथ में बेहतरीन संगीत सुनना, पूरी करने के लिए तरस गया था। एक साक्षात्कार के दौरान नेल्सन ने स्वीकार किया कि उन्होंने अपनी ज़िन्दगी में इन चीज़ों की कमी महसूस की, लेकिन लक्ष्य ज़्यादा बड़ा था। 1983 एक बार फिर से नेल्सन के लिए मौत क़रीब ले आया। जाँच में पाया गया कि उन्हें टी. बी. हो गया है। उपचार देने के लिए उन्हें बेहतर जगह की ज़रूरत थी। उन्हें पार्ल के नज़दीक विक्टर जेल में पहुँचा दिया गया। ज़िन्दगी बस निकली जा रही थी। संघर्ष पक रहा था और आख़िर में रंगभेद के दिन लदते हुए दिखाई देने लगे। [[1989]] में दक्षिण अफ़्रीका में सत्ता परिवर्तन हुआ और उदार एफ़ डब्ल्यू क्लार्क देश के मुखिया बने। सत्ता सम्भालते ही उन्होंने सभी अश्वेत दलों पर लगा हुआ प्रतिबंध हटा लिया। साथ ही सभी राजनीतिक बंदियों को आज़ाद कर दिया गया जिन पर किसी तरह का आपराधिक मुक़दमा दर्ज नहीं था। नेल्सन भी उनमें से एक थे। ज़िन्दगी की शाम में आज़ादी का सूर्य नेल्सन के जीवन को रोशन करने लगा। [[11 फ़रवरी]], [[1990]] को नेल्सन आख़िर में पूरी तरह से आज़ाद कर दिए गए।
 
==आज़ादी की ओर==  
 
==आज़ादी की ओर==  
अश्वेतों को उनका अधिकार दिलवाने के लिए 1991 में 'कनवेंशन फॉर ए डेमोक्रेटिक साउथ अफ़्रीका' या 'कोडसा' का गठन कर दिया गया, जो देश के संविधान में आवश्यक परिवर्तन करने वाली थी। डी क्लार्क और मंडेला ने इस काम में अपनी समान भागीदारी निभाई। अपने इस उत्कृष्ट कार्य के लिए ही उन्हें [[नोबेल पुरस्कार]] दिया गया।
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अश्वेतों को उनका अधिकार दिलवाने के लिए [[1991]] में 'कनवेंशन फॉर ए डेमोक्रेटिक साउथ अफ़्रीका' या 'कोडसा' का गठन कर दिया गया, जो देश के संविधान में आवश्यक परिवर्तन करने वाली थी। डी क्लार्क और मंडेला ने इस काम में अपनी समान भागीदारी निभाई। अपने इस उत्कृष्ट कार्य के लिए ही उन्हें [[नोबेल पुरस्कार]] दिया गया।
 
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==सम्मान और पुरस्कार==
==भारत रत्न==
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[[1990]] में [[भारत]] सरकार की ओर से नेल्‍सन मंडेला को [[भारत रत्न]] पुरस्कार दिया गया। अपने इस उत्कृष्ट कार्य के लिए ही [[1993]] में नेल्सन मंडेला और डी क्लार्क दोनों को संयुक्त रूप से शान्ति के लिए [[नोबेल पुरस्कार]] दिया गया।
1990 में [[भारत]] सरकार की ओर से नेल्‍सन मंडेला को [[भारत रत्न]] पुरस्कार दिया गया।
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==राजनीतिक जीवन==
==नोबल पुरस्कार==
 
अपने इस उत्कृष्ट कार्य के लिए ही 1993 में नेल्सन मंडेला और डी क्लार्क दोनों को संयुक्त रूप से शान्ति के लिए [[नोबेल पुरस्कार]] दिया गया।
 
 
 
==राजनीतिक जीत==
 
 
ठीक अगले साल दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेद रहित चुनाव हुए। अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस ने सबको पछाड़ते हुए बासठ प्रतिशत मतों पर अपना क़ब्ज़ा कर लिया। 10 मई, 1994 को अश्वेतों के लिए दक्षिण अफ़्रीका की उस भूमि पर नेल्सन मंडेला ने अपनी जनता को सम्बोधित करते हुए कहा-  
 
ठीक अगले साल दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेद रहित चुनाव हुए। अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस ने सबको पछाड़ते हुए बासठ प्रतिशत मतों पर अपना क़ब्ज़ा कर लिया। 10 मई, 1994 को अश्वेतों के लिए दक्षिण अफ़्रीका की उस भूमि पर नेल्सन मंडेला ने अपनी जनता को सम्बोधित करते हुए कहा-  
 
<blockquote>"आख़िरकार हमने अपने राजनीतिक लक्ष्य को प्राप्त कर ही लिया। हम अपने आप से वादा करें कि हम अपने सभी लोगों को आज़ादी देंगे, ग़रीबों से, मुश्किलों से, तक़लीफ़ों से, लिंगभेद से और किसी भी तरह के शोषण से। और कभी भी इस ख़ूबसूरत धरती पर एक-दूसरे के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाएगा। स्वतंत्रता का लुत्फ़ उठाइए। ईश्वर अफ़्रीका पर अपनी कृपा बनाए रखे।"- नेल्सन</blockquote>  
 
<blockquote>"आख़िरकार हमने अपने राजनीतिक लक्ष्य को प्राप्त कर ही लिया। हम अपने आप से वादा करें कि हम अपने सभी लोगों को आज़ादी देंगे, ग़रीबों से, मुश्किलों से, तक़लीफ़ों से, लिंगभेद से और किसी भी तरह के शोषण से। और कभी भी इस ख़ूबसूरत धरती पर एक-दूसरे के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाएगा। स्वतंत्रता का लुत्फ़ उठाइए। ईश्वर अफ़्रीका पर अपनी कृपा बनाए रखे।"- नेल्सन</blockquote>  
नेल्सन के इस सम्बोधन ने अफ़्रीका के श्वेत लोगों के मन से डर को निकाल दिया, जो देश की बहुसंख्यक जनता का प्रतिनिधित्व करती थी। जिसे युगों से उनके द्वारा प्रताड़ित और शोषित किया गया था।
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नेल्सन के इस सम्बोधन ने अफ़्रीका के श्वेत लोगों के मन से डर को निकाल दिया, जो देश की बहुसंख्यक जनता का प्रतिनिधित्व करती थी। जिसे युगों से उनके द्वारा प्रताड़ित और शोषित किया गया था। [[1997]] में नेल्सन ने सक्रिय राजनीति जीवन से किनारा कर लिया। [[1999]] में उन्होंने दल के अध्यक्ष पद को भी छोड़ दिया। विनी मंडेला से अलग होने के बाद अपने अस्सीवें जन्मदिन पर ग्रेस मेकल से विवाह किया।
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नेल्सन ने आज़ादी की लड़ाई में अपना सौ प्रतिशत दिया। एक बार उन्होंने कहा था-
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<blockquote>"मैंने एक सपना देखा है, सबके लिए शान्ति हो, काम हो, रोटी हो, पानी और नमक हो। जहाँ हम सबकी आत्मा, शरीर और मस्तिष्क को समझ सके और एक—दूसरे की ज़रूरतों को पूरा कर सकें। ऐसी दुनिया बनाने के लिए अभी मीलों चलना बाक़ी है। हमें अभी चलना है, चलते रहना है।</blockquote>
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==मृत्यु==
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[[दक्षिण अफ्रीका]] के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला का [[5 दिसम्बर]], [[2013]] को निधन हो गया। वे 95 साल के थे। [[सितम्बर]] में अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद उनका घर पर ही इलाज किया जा रहा था। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब ज़ूमा ने कहा, "साथियों, हमारे प्यारे नेल्सन मंडेला हमारे लोकतांत्रिक राष्ट्र के संस्थापक राष्ट्पति हमें छोड़कर चले गए हैं। 5 दिसंबर को रात आठ बजकर पचास मिनट पर वे अपने परिवार के बीच थे और तभी हमें अलविदा कह गए। हमारे राष्ट्र ने अपना सबसे महान् सपूत खो दिया है। हमने अपना पिता खो दिया है। हम जानते थे कि एक दिन ये दिन भी आना था लेकिन हमें जो क्षति हुई है वो अपूर्णनीय है।"
  
==सक्रिय राजनीति से किनारा==
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{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक3|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
*1997 में नेल्सन ने सक्रिय राजनीति जीवन से किनारा कर लिया।
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==टीका-टिप्पणी और संदर्भ==
*1999 में उन्होंने दल के अध्यक्ष पद को भी छोड़ दिया।
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<references/>
*विनी मंडेला से अलग होने के बाद अपने अस्सीवें जन्मदिन पर ग्रेस मेकल से विवाह किया।
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==बाहरी कड़ियाँ==
नेल्सन ने आज़ादी की लड़ाई में अपना सौ प्रतिशत दिया। लोग समझते हैं कि नेल्सन अब रिटायर हो गए हैं, लेकिन वे खुद ऐसा नहीं मानते। उन्होंने कहा है-
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*[http://www.bbc.co.uk/hindi/international/2013/12/131207_nelson_mandela_wife_ap.shtml तीनों पत्नियों की नज़र से नेल्सन मंडेला]
<blockquote>"मैंने एक सपना देखा है, सबके लिए शान्ति हो, काम हो, रोटी हो, पानी और नमक हो। जहाँ हम सबकी आत्मा, शरीर और मस्तिष्क को समझ सके और एक—दूसरे की ज़रूरतों को पूरा कर सकें। ऐसी दुनिया बनाने के लिए अभी मीलों चलना बाक़ी है। हमें अभी चलना है, चलते रहना है।</blockquote>
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*[http://www.bbc.co.uk/hindi/international/2013/12/131205_breaking_mandela_died_ml.shtml नेल्सन मंडेला नहीं रहे ]
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==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
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Latest revision as of 05:43, 18 July 2018

nelsan mandela
poora nam nelsan rolihlala mandela
janm 18 julaee, 1918
janm bhoomi 'mabasa nadi' ke kinare 'mavejoan gaanv', 'traanski'
mrityu 5 disambar, 2013 (ayu- 95 varsh)
mrityu sthan johaansabarg, dakshin afrika
abhibhavak gedala henari (pita), nekyoofi nosakeni (mata)
pati/patni 'ivalin mes' (pratham patni), 'nomajamo vini medikijala' (dvitiy patni) tatha 'gres mekal' (tisari patni)
nagarikata dakshin afika
prasiddhi rangabhed virodhi neta ke roop mean khyati prapt.
parti 'afrikan neshanal kaangres yooth lig'
pad poorv rashtrapati dakshin afrika
vidyalay 'methadist mishanari skool', 'klarkaberi mishanari skool' aur 'heldataun k aaulej' se snatak
puraskar-upadhi bharat ratn (1990 ee.), nobel puraskar (1993 ee.)

nelsan mandela (aangrezi: Nelson Mandela, janm:18 julaee, 1918 - mrityu: 5 disambar, 2013) dakshin afrika ke bhootapoorv rashtrapati the. nelsan mandela yahaan ke pratham ashvet rashtrapati bane the. unhoanne apani ziandagi ke 27 varsh r aauben dvip par karagar mean rangabhed niti ke khilaf l date hue bitae.

jivan parichay

mabasa nadi ke kinare traanski ke mavejoan gaanv mean 'nelsan rohilhala mandela' ka 18 julaee, 1918 ko janm hua tha. unake pita ne unhean nam diya 'rohilhala' arth pe d ki daliyoan ko to dane vala ya phir pyara shaitan bachcha. nelsan ke pita 'gedala henari' gaanv ke pradhan the. unaka parivar parampara se hi gaanv ka pradhan parivar tha. ghar ka koee l daka hi is pad par sushobhit hota tha. nelsan ke parivar ka sambandh kshetr ke shahi parivar se tha. atharahavian shatabdi mean yah is kshetr ka pramukh shasak parivar raha tha, jab tak ki yoorop ne is kshetr par adhikar nahian kar liya.

nelsan apani pita ki tisari patni 'nekyoofi nosakeni' ki pahali santan the. kul milakar vah terah bhaeeyoan mean tisare the. log ummid kar rahe the ki vah parivar ki parampara ke anusar shahi salahakar baneange. nelsan ki maan ek methadist thian. vah 'methadist mishanari skool' ke vidyarthi bane. isi bich barah sal ki umr mean hi nelsan ke sir se pita ka saya uth gaya. nelsan ne 'klarkaberi mishanari skool' se apani prarambhik shiksha poori ki.

rangabhed se sakshatkar

vidyarthi jivan mean unhean roz yad dilaya jata ki unaka rang kala hai aur sirf isi vazah se vah yah kam nahian kar sakate. unhean roz is bat ka ehasas karavaya jata ki agar ve sina tan kar s dak par chaleange to is aparadh ke lie unhean jel jana p d sakata hai. aise anyay ne unake andar asanntosh bhar diya. ek krantikari taiyar ho raha tha. unhoanne 'heldataun' se apani snatak shiksha poori ki. heldataun ashvetoan ke lie banaya gaya ek vishesh k aaulej tha. yahian par unaki mulaqat 'aaulivar tambo' se huee, jo jivan bhar ke lie unake dost aur sahayogi ban jane vale the. 1940 tak nelsan mandela aur aaulivar tambo ne k aaulej kaimpas mean apane rajanitik vicharoan aur karyakalapoan ke lie prasiddhi pa li. k aaulej prashasan ko jab is bat ka pata laga to donoan ko k aaulej se nikal diya gaya aur parisar mean unake pravesh par pratibandh laga diya gaya. 'phort heyar' unake kriyakalapoan ke moort gavah ke roop mean aj bhi kh da hai. k aaulej se nikal die jane ke bad vah mata-pita ke pas traanski laut ae.

parivar se vidroh

unhean kranti ki rah par dekhakar parivar pareshan tha aur chahata tha ki vah hamesha ke lie ghar laut aean. jaldi hi ek l daki pasand ki gee jisase nelsan ko parivarik zimmedariyoan mean baandh diya jae. ghar mean vivah ki taiyariyaan zor-shor se chal rahi thian, doosari or nelsan ka man udvelit tha aur akhir mean unhoanne apane niji jivan ko darakinar karane ka faisala kiya aur ghar se bhagakar johansabarg a ge. vah johansabarg ki vishal s dakoan par yayavar ki tarah bhatak rahe the. nelsan ne ek sone ki khadan mean chaukidar ki naukari karana shuroo kar diya. johansabarg ki ek basti alekzeandara unaka thikana thi.

sahayogi

nelsan ne apani maan ke sath johansabarg mean hi rahane ka irada kiya. isi jagah par unaki mulaqat 'valtar sisuloo' aur 'valtar elbaratain' se huee. nelsan ke rajanitik jivan ko in do hastiyoan ne bahut prabhavit kiya. nelsan ne jivanayapan ke lie ek qanooni farm mean lipik ki naukari kar li, lekin ve lagatar apane apase l d rahe the. vah dekh rahe the ki unake apane logoan ke sath isalie bhed kiya ja raha tha kyoanki prakriti ne unako doosaroan se alag rang diya tha. is desh mean ashvet hona aparadh ki tarah tha. ve samman chahate the aur unhean lagatar apamanit kiya jata tha. roz kee bar yad dilaya jata ki ve ashvet haian aur aisa hona kisi aparadh se kam nahian hai.

vivah ka nirnay

1944 mean nelsan ki zindagi mean 'ivalin mes' aeean aur donoan shadi ke bandhan mean bandh ge. ivalin unake sahayogi aur mitr valtar sisuloo ki bahin thian. vah inhian dinoan 'afrikan neshanal kaangres' mean shamil ho ge. jaldi hi unhoanne tambo, sisuloo aur apane kuchh sathiyoan ke sath milakar 'afrikan neshanal kaangres yooth lig' ka nirman kiya. 1947 mean mandela is sanstha ke sachiv chun lie ge. sath hi unhean 'traannsaval e.en.si.' ka adhikari bhi niyukt kiya gaya.

shiksha aur rajaniti

nelsan ki vichar shaili aur kam karane ki kshamata se log prabhavit hone lage. ek mahanh neta dhire-dhire janm le raha tha. isi bich apane ap ko qanoon ka behatar janakar banane ke lie nelsan ne qanoon ki padhaee shuroo kar di, lekin apani vyastata ke karan ve el.el.bi. ki pariksha pas karane mean asaphal rahe. is asaphalata ke bad unhoanne ek vaqil ke taur par kam karane ke bajay atarni ke taur par kam karane ke lie patrata pariksha pas karane ka faisala kiya. isi bich afrikan neshanal kaangres ko chunavoan mean karari parajay ka samana karana p da. kaangres ke adhyaksh ko pad se hatakar kisi ne adhyaksh ko lane ki maang zor pak dane lagi. yooth kaangres ke vicharoan ko apanakar mukhy parti ko age badhane ka vichar rakha gaya. valtar sisuloo ne ek karyayojana ka nirman kiya, jo 'afrikan neshanal kaangres' ke dvara svikar kar liya gaya. 1951 mean nelsan ko 'yooth kaangres' ka adhyaksh chun liya gaya. nelsan ne apane logoan ko qanooni l daee l dane ke lie 1952 mean ek qanooni farm ki sthapana ki.

gaandhi ji ka prabhav

yah vah daur tha jab poori duniya gaandhi se prabhavit ho rahi thi, nelsan bhi unamean se ek the. vaicharik roop se vah svayan ko gaandhi ke nazadik pate the, aur yah prabhav unake dvara chalae ge andolanoan par spasht roop se dikhaee de raha tha. kuchh hi samay mean unaki farm desh ki 'pahali ashvetoan' dvara chalaee ja rahi farm ho gee, lekin nelsan ke lie vaqil ka rozagar aur rajaniti ko ek sath lekar chalana mushkil sabit ho raha tha. isi dauran unhean traannsaval kaangres ka adhyaksh bana diya gaya. zimmedariyaan badhati ja rahi thian.

lokapriyata aur kaangres

sarakar ko nelsan ki badhati huee lokapriyata bilkul pasand nahian a rahi thi aur un par pratibandh laga diya gaya. unako vargabhed ke arop mean johansabarg ke bahar bhej diya gaya aur un par kisi tarah ki baithak mean bhag lene par rok laga di gee. afrikan neshanal kaangres ka bhavishy hi daanv par lag gaya tha. sarakar ke damanachakr se bachane ke lie nelsan aur aaulivar tamb ne ek 'em' plan banaya. yahaan par em se matalab mandela se tha. phaisala liya gaya ki kaangres ko tuk doan mean to dakar kam kiya jae aur zaroorat p de to bhoomigat rahakar bhi kam kiya jaega. pratibandh ke bavajood nelsan bhagakar klip taun pahuanch ge aur kaangres ke jalasoan mean bhag lene lage. logoan ki bhi d ki a d mean bachate hue unhoanne un tamam sangathanoan ke sath kam kiya, jo ashvetoan ki svatantrata ke lie sangharsh kar rahe the.

isi dauran unhean am logoan ke sath zyada se zyada vaqt bitane ka mauqa mila aur unamean janamanas ko samajhane ki samajh vikasit huee. dhire-dhire ashvetoan ke adhikaroan ke liy chalae ja rahe andolan mean unaki sakriyata badhati hi chali gee. andolan mean apani vyastata ke karan ve parivar ko samay nahian de pa rahe the. patni elvin se unaki dooriyaan badhati hi chali geean aur akhir mean vah vaqt bhi a gaya jab hamesha ke lie sath nibhane aur sath chalane ka vada kar chukian elvin ne unaka sath chho d diya. nelsan ke lie yah ek vyaktigat kshati thi. lekin unhean kahian b de lakshy ke lie kam karana tha.

andolan aur nelsan

thumb|250px|nelh‍san mandela
Nelson Mandela
andolan aur nelsan jivanasangi ban ge. nelsan ke netritv mean andolan ki tivrata badhati hi ja rahi thi. sarakar buri tarah se ghabaraee huee thi. isi bich e.en.si. ne svatantrata ka chartar svikar kiya aur is qadam ne sarakar ka sanyam to d diya. poore desh mean giraftariyoan ka daur shuroo ho gaya. e.en.si. ke adhyaksh aur nelsan ke sath poore desh se rangabhed ka andolan ka samarthan karane vale ek sau chhappan neta giraftar kar lie ge. andolan netritv vihin ho gaya. nelsan aur sathiyoan par desh ke khilaf yuddh chhe dane aur deshadroh karane ka arop lagaya gaya. is aparadh ki saza mrityudand thi. in sabhi netaoan ke khilaf muqadama chalaya gaya aur 1961 mean nelsan aur 29 sathiyoan ko nirdosh ghoshit karate hue riha kar diya gaya. isi muqadame ke dauran nelsan ki mulaqat 'nomajamo vini medikijala' se huee, jo jaldi hi unaki doosari jivan sangini banane vali thian.

afrikan neshanal kaangres aur nelsan

sarakar ke dvara chalaya gaya damanachakr afrikan neshanal kaangres aur nelsan ka janadhar badha raha tha. log sangathan se ju dane lage aur andolan din pratidin mazaboot hota ja raha tha. rangabhedi sarakar andolan ko to dane ke lie har sambhav prayas kar rahi thi. isi bich kuchh aise qanoon pas kie ge, jo ashvetoan ko nagavar the. nelsan ne in qanoonoan ka virodh karane ke lie pradarshan kiya. isi tarah ke ek pradarshan mean dakshin afriki pulis ne sharpavile shahar mean pradarshanakariyoan par goliyoan ki bauchhar kar di. 180 log mare ge aur 69 log ghayal hue. har ek desh ke andolan ka apana ek jaliyaanvala bag ban gaya tha. is tarah ki ghatanaoan aur sarakar dvara chalae ja rahe kroor damanachakr ne nelsan ka ahiansa par se vishvas utha diya.

naye dal ka gathan

rangabhedi sabhi simaoan ko to dati ja rahi thi. dakshin afrika ki zamin atyacharoan ke rang se surkh lal ho chuki thi. eenasi aur doosare pramukh dal ne hathiyaband l daee l dane ka faisala kiya. donoan ne hi apane l daka dal vikasit karane shuroo kar die. nelsan apani maulik rah chho dakar ek doosare raste par nikal p de, jo unake usooloan se mool nahian khata tha. eenasi ke l dake dal ka nam rakha gaya, "spiyar af di neshan" aur nelsan ko is ne gut ka adhyaksh bana diya gaya. ve ne raste par poore josh ke sath nikal p de. bas rasta naya tha, manzil abhi bhi vahi thi—apane logoan ke lie nyay aur samman. is qadam ne rahi—sahi qasar poori kar di aur rangabhedi sarakar ne nelsan ke dal par pratibandh laga diya. damanachakr apane poore zor par tha. baukhalaee sarakar koee bhi qasar nahian chho d nahian thi. poori duniya mean is kam ke lie sarakar ki alochana ho rahi thi. manavadhikar sangathan is haivani krity ki taraf poori duniya ka dhyan akarshit karava rahe the. nelsan vaishvik neta ke taur par ubhar rahe the. sarakar ka poora dhyan nelsan ko giraftar kar poore sangathan ko khatm karane mean tha. is trasadi se bachane ke lie unhean chori se desh ke bahar bhej diya gaya, taki ve svatantr rahakar apane logoan ka netritv kar sakean. desh ke bahar ate hi unhoanne sabase pahale adis ababa mean afriki neshanalist lidars kanfreans ko sambodhit kiya aur behatar jivan ke apane adharabhoot adhikar ki maang ki. vahaan se nikalakar ve aljiriya chale ge aur l dane ki gurilla takanik ka gahan prashikshan liya. isake bad unhoanne landan ki rah pak di jahaan olivar tambo ek bar phir unake sath a mile. landan mean vipakshi daloan ke sath unhoanne mulaqat ki aur apani bat ko poori duniya ke samane samajhane ki koshish ki. isake bad ve ek bar phir dakshin afrika pahuanche. vahaan ki sarakar unake svagat ke lie ekadam taiyar thi, aur pahuanchate hi unhean giraftar kar liya gaya.

jel aur nelsan

nelsan ko poore paanch sal ki saza sunaee gee. arop laga ki ve avaidhanik tariqe se desh se bahar ge. sarakar abhi bhi unhean kisi kranti ka neta manane ko taiyar nahian thi. ek adami ne poori sarakar ko dara rakha tha. isi bich johanasabarg ke lilisalif mean sarakar ne chhapa marakar esake mukhyalay ko tahas—nahas kar diya. emake ke sabhi b de neta pak de ge aur nelsan sahit sabhi logoan par desh ke khilaf l dane ka arop tay kiya gaya. unake sahit paanch aur logoan ko umraqaid ki saza sunaee gee. am janata se door rakhane ke lie unhean roban dvip par bhej diya gaya. yah dakshin afrika ka kalapani mana jata hai.

nelsan ki jit

jel jane se pahale adalat ko apane bayan se sambodhit karate hue nelsan ne kaha-

"apane poore jivan ke dauran maianne apana sabakuchh afriki logoan ke sangharsh mean jhoank diya. maian shvet rangabhed ke khilaf l da hooan, aur mean ashvet rangabhed ke khilaf bhi l da hooan. maianne hamesha ek mukt aur lokataantrik samaj ka sapana dekha hai. jahaan sabhi log ek sath poore samman, prem aur saman avasar ke sath apana jivan yapan kar payeange. yahi vah adarsh hai, jo mere lie jivan ki asha bani aur maian isi ko pane ke lie zinda hooan, aur agar kahian zaroorat hai ki mujhe is lakshy ko prapt karane ke lie marana hai to maian isake lie bhi poori tarah se taiyar hooan."

adalat mean upasthit har ek atma nelsan ka hi samarthan kar rahi thi. in shabdoan ne dakshin afriki andolan ko hamesha ek nee oorja di. 1976 mean pulis mantri jimi krugar nelsan ke pas sarakar ki taraf se ek prastap lekar ae ki agar ve andolan ko samapt kar dean to sarakar unhean mukt kar traanski mean basane ki anumati de degi. rangabhedi sarakar par poori duniya se dabav badhata ja raha tha. in dabavoan ne asar dikhaya aur nelsan tatha sisuloo ko roban dvip se afrika lakar kepataun ke nazadik palsamoor jel mean rakha gaya. yah nelsan ki neta ke taur par jit thi. apane prabhav se ve sarakar ko jhukane mean saphal rahe. isi bich unaki tabiyat kharab huee. sarakar ne apatakal ghoshit kar diya. nelsan ko tatkal aspatal le jaya gaya. prosted gleand ka apareshan saphal raha. is ghatana ke bad sarakar nelsan ke prati tho di naram huee.

jel aur khrarab svasthy

qanoon mantri kobi koetji ne unase agrah kiya ki ve azadi prapt karane ke apane lakshy mean hiansa ka rasta tyag dean. halaanki nelsan ne ek bar phir se saf inkar kar diya, lekin sarakar ne un par riyayatoan ki jh di laga di. unhean parivar se milane ki chhoot di gee. sath hi ve ab ek jel vardan ke sath kepataun mean ghoomane bhi ja sakate the. kafi lambe arase ke bad nelsan ne bahari duniya ki khuli hava mean saans lena shuroo kiya tha. ek premil vyakti apani sabase b di ichchha doobate hue sooraj ko dekhana aur sath mean behatarin sangit sunana, poori karane ke lie taras gaya tha. ek sakshatkar ke dauran nelsan ne svikar kiya ki unhoanne apani zindagi mean in chizoan ki kami mahasoos ki, lekin lakshy zyada b da tha. 1983 ek bar phir se nelsan ke lie maut qarib le aya. jaanch mean paya gaya ki unhean ti. bi. ho gaya hai. upachar dene ke lie unhean behatar jagah ki zaroorat thi. unhean parl ke nazadik viktar jel mean pahuancha diya gaya. zindagi bas nikali ja rahi thi. sangharsh pak raha tha aur akhir mean rangabhed ke din ladate hue dikhaee dene lage. 1989 mean dakshin afrika mean satta parivartan hua aur udar ef dablyoo klark desh ke mukhiya bane. satta sambhalate hi unhoanne sabhi ashvet daloan par laga hua pratibandh hata liya. sath hi sabhi rajanitik bandiyoan ko azad kar diya gaya jin par kisi tarah ka aparadhik muqadama darj nahian tha. nelsan bhi unamean se ek the. zindagi ki sham mean azadi ka soory nelsan ke jivan ko roshan karane laga. 11 faravari, 1990 ko nelsan akhir mean poori tarah se azad kar die ge.

azadi ki or

ashvetoan ko unaka adhikar dilavane ke lie 1991 mean 'kanaveanshan ph aaur e demokretik sauth afrika' ya 'kodasa' ka gathan kar diya gaya, jo desh ke sanvidhan mean avashyak parivartan karane vali thi. di klark aur mandela ne is kam mean apani saman bhagidari nibhaee. apane is utkrisht kary ke lie hi unhean nobel puraskar diya gaya.

samman aur puraskar

1990 mean bharat sarakar ki or se nelh‍san mandela ko bharat ratn puraskar diya gaya. apane is utkrisht kary ke lie hi 1993 mean nelsan mandela aur di klark donoan ko sanyukt roop se shanti ke lie nobel puraskar diya gaya.

rajanitik jivan

thik agale sal dakshin afrika mean rangabhed rahit chunav hue. afrikan neshanal kaangres ne sabako pachha date hue basath pratishat matoan par apana qabza kar liya. 10 mee, 1994 ko ashvetoan ke lie dakshin afrika ki us bhoomi par nelsan mandela ne apani janata ko sambodhit karate hue kaha-

"akhirakar hamane apane rajanitik lakshy ko prapt kar hi liya. ham apane ap se vada karean ki ham apane sabhi logoan ko azadi deange, gariboan se, mushkiloan se, taqalifoan se, liangabhed se aur kisi bhi tarah ke shoshan se. aur kabhi bhi is khoobasoorat dharati par ek-doosare ke sath kisi tarah ka bhedabhav nahian kiya jaega. svatantrata ka lutf uthaie. eeshvar afrika par apani kripa banae rakhe."- nelsan

nelsan ke is sambodhan ne afrika ke shvet logoan ke man se dar ko nikal diya, jo desh ki bahusankhyak janata ka pratinidhitv karati thi. jise yugoan se unake dvara prata dit aur shoshit kiya gaya tha. 1997 mean nelsan ne sakriy rajaniti jivan se kinara kar liya. 1999 mean unhoanne dal ke adhyaksh pad ko bhi chho d diya. vini mandela se alag hone ke bad apane assivean janmadin par gres mekal se vivah kiya. nelsan ne azadi ki l daee mean apana sau pratishat diya. ek bar unhoanne kaha tha-

"maianne ek sapana dekha hai, sabake lie shanti ho, kam ho, roti ho, pani aur namak ho. jahaan ham sabaki atma, sharir aur mastishk ko samajh sake aur ek—doosare ki zarooratoan ko poora kar sakean. aisi duniya banane ke lie abhi miloan chalana baqi hai. hamean abhi chalana hai, chalate rahana hai.

mrityu

dakshin aphrika ke poorv rashtrapati nelsan mandela ka 5 disambar, 2013 ko nidhan ho gaya. ve 95 sal ke the. sitambar mean aspatal se chhutti milane ke bad unaka ghar par hi ilaj kiya ja raha tha. dakshin aphrika ke rashtrapati jaikab zooma ne kaha, "sathiyoan, hamare pyare nelsan mandela hamare lokataantrik rashtr ke sansthapak rashtpati hamean chho dakar chale ge haian. 5 disanbar ko rat ath bajakar pachas minat par ve apane parivar ke bich the aur tabhi hamean alavida kah ge. hamare rashtr ne apana sabase mahanh sapoot kho diya hai. hamane apana pita kho diya hai. ham janate the ki ek din ye din bhi ana tha lekin hamean jo kshati huee hai vo apoornaniy hai."


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

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tika-tippani aur sandarbh

bahari k diyaan

sanbandhit lekh

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