Difference between revisions of "प्रयोग:कविता1"

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
(पृष्ठ को खाली किया)
Line 1: Line 1:
'''डॉ. विजय पाण्डुरंग भटकर''' (अंग्रेज़ी: ''Vijay P. Bhatkar'',  जन्म : [[11 अक्टूबर]], [[1946]]) [[भारत]] के वैज्ञानिक एवं आई.टी प्रध्यापक हैं। भारतीय सुपर कम्प्यूटरों के विकास में उनका योगदन अद्वितीय है। उनकी सबसे बड़ी पहचान देश के पहले सुपर कंप्यूटर परम 8000 और 10000 के निर्माता और देश में सुपर कंप्यूटिंग की शुरुआत से जुड़े सी-डेक के संस्थापक कार्यकारी निदेशक के तौर पर है। वर्तमान में वे नालंदा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं। नालंदा विश्वविद्यालय एक अंतर्राष्ट्रीय संस्थान है। उनका कार्यकाल [[25 जनवरी]], [[2017]] से तीन वर्षों के लिए सुनिश्चित है। इस पद पर उन्होंने जार्ज येओ का स्थान लिया है, जिन्होंने [[नवंबर]], [[2016]] को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। वे भारत में आई.टी लीडर के नाम से प्रसिद्ध है। उनको [[2000]] में [[पद्म श्री]], और [[2015]] में [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया जा चुका है, इसके अलावा उन्हें महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार, संत ज्ञानेश्वर विश्व शांति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
 
==परिचय==
 
विजय पाण्डुरंग भटकर का जन्म अकोला, महाराष्ट्र में एक मराठी परिवार में 11 अक्तूबर, 1946 को हुआ। महाराष्ट्र में धार्मिक अंधविश्वास के ख़िलाफ लड़ने वाले डाॅ. नरेन्द्र दाभोलकर के समर्थक हैं, डाॅ नरेन्द्र दाभोलकर को सनातन संस्था वालो ने 2013 मे मरवा दिया था। डॉ. भाटकर ने प्रांरभिक शिक्षा महाराष्ट्र में अकोला गांव में ही पूरी हुई। इसके उपरांत वह 1965 में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए वी.एन.आई.टी, नागपुर चले गए। वी.एन.आई.टी महाराष्ट्र के बेहतरीन और प्रतिष्ठित कालेजों में से एक है। इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद 1968 में मास्टर डिग्री के लिए वह इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय, बड़ौदा चले गए। 1972 में आई.आई.टी दिल्ली से इंजीनियरिंग में डाक्ट्रेट की डिग्री प्राप्त की।
 
  
इसके बाद भाटकर ने आईटी में शिक्षा, अनुसंधान के लिए अंतराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना की । इस संस्थान में उच्चतर शिक्षा के लिए शोध सुविधाओं के साथ शिक्षण की योजना बनायी गई। श्री भाटकर द्वारा लिखी और सम्पादित बारह पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं और अस्सी से अधिक शोध प्रपत्र वह प्रस्तुत कर चुके हैं।
 
2003 में रॉयल सोसायटी की तरफ से दक्षिण अफ्रीका भेजे गए वैज्ञानिक दल का नेतृत्व विजय भाटकर ने किया। वह भारत सरकार वैज्ञानिक सलाहकार समिति के सदस्य के रूप में भी कार्यरत हैं। इसके अलावा भाटकर ने भारत में ब्राडबैंड इंटरनेट का दूर-दराज के क्षेत्रों तक पहुंचाने के लिए भी कार्यरत हैं। भारतीय आईटी क्षेत्र में महान योगदान के लिए भाटकर को कई प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। 1999-2000 में महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार, 2000 में प्रियदर्शनी पुरस्कार और 2001 में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में ओमप्रकाश भसीन फाउंडेशन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कहा जाता है कि आज का युग ज्ञान का युग है । इस युग में आगे बढ़ने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी बने रहना जरूरी है। विजय पी भाटकर का परम श्रृंखला के कम्प्यूटरों का निर्माण कर भारत को नई ऊचाइयां छूने के लिए आधारभूमि उपलब्ध करवाई है।
 

Revision as of 12:27, 29 September 2017