Difference between revisions of "मो सउ कोऊ न कहै समझाइ -रैदास"
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उनमन मन मन ही मिले छुटकत बजर कपाट।।6।। | उनमन मन मन ही मिले छुटकत बजर कपाट।।6।। | ||
भगत जुगति मति सति करी भ्रम बंधन काटि बिकार। | भगत जुगति मति सति करी भ्रम बंधन काटि बिकार। | ||
− | सोई बसि रसि मन मिले गुन निरगुन एक | + | सोई बसि रसि मन मिले गुन निरगुन एक बिचार।।7।। |
अनिक जतन निग्रह कीए टारी न टरै भ्रम फास। | अनिक जतन निग्रह कीए टारी न टरै भ्रम फास। | ||
प्रेम भगति नहीं उपजै ता ते रविदास उदास।।८।। | प्रेम भगति नहीं उपजै ता ते रविदास उदास।।८।। |
Revision as of 11:32, 1 November 2014
chitr:Icon-edit.gif | is lekh ka punarikshan evan sampadan hona avashyak hai. ap isamean sahayata kar sakate haian. "sujhav" |
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mo su kooo n kahai samajhai. |
tika tippani aur sandarbhsanbandhit lekh |