Difference between revisions of "मो सउ कोऊ न कहै समझाइ -रैदास"
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संसा सद हिरदै बसै कउनु हिरै अभिमानु।।3।। | संसा सद हिरदै बसै कउनु हिरै अभिमानु।।3।। | ||
बाहरु उदकि पखारीऐ घट भीतरि बिबिध बिकार। | बाहरु उदकि पखारीऐ घट भीतरि बिबिध बिकार। | ||
− | सुध कवन पर होइबो सुव कुंजर बिधि | + | सुध कवन पर होइबो सुव कुंजर बिधि बिउहार।।4।। |
रवि प्रगास रजनी जथा गति जानत सभ संसार। | रवि प्रगास रजनी जथा गति जानत सभ संसार। | ||
− | पारस मानो ताबो छुए कनक होत नहीं | + | पारस मानो ताबो छुए कनक होत नहीं बार।।5।। |
परम परस गुरु भेटीऐ पूरब लिखत लिलाट। | परम परस गुरु भेटीऐ पूरब लिखत लिलाट। | ||
− | उनमन मन मन ही मिले छुटकत बजर | + | उनमन मन मन ही मिले छुटकत बजर कपाट।।6।। |
भगत जुगति मति सति करी भ्रम बंधन काटि बिकार। | भगत जुगति मति सति करी भ्रम बंधन काटि बिकार। | ||
− | सोई बसि रसि मन मिले गुन निरगुन एक | + | सोई बसि रसि मन मिले गुन निरगुन एक बिचार।।7।। |
अनिक जतन निग्रह कीए टारी न टरै भ्रम फास। | अनिक जतन निग्रह कीए टारी न टरै भ्रम फास। | ||
− | प्रेम भगति नहीं उपजै ता ते रविदास | + | प्रेम भगति नहीं उपजै ता ते रविदास उदास।।8।। |
Latest revision as of 11:36, 1 November 2014
chitr:Icon-edit.gif | is lekh ka punarikshan evan sampadan hona avashyak hai. ap isamean sahayata kar sakate haian. "sujhav" |
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mo su kooo n kahai samajhai. |
tika tippani aur sandarbhsanbandhit lekh |