Difference between revisions of "सहेलियों की बाड़ी उदयपुर"

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[[चित्र:Saheliyon-Ki-Bari-Udaipur.jpg|thumb|250px|सहेलियों की बाड़ी, [[उदयपुर]]]]
'''सहेलियों की बाड़ी''' [[राजस्थान]] के ख़ूबसूरत शहर [[उदयपुर]] में स्थित एक बाग़ है। इस बाग़ में [[कमल]] के तालाब, फव्वारे, संगमरमर के [[हाथी]] और 'कियोस्क'<ref>kiosques/Kiosk-'कियोस्क' हवादार छतरी या बरसाती जैसे निर्माण को कहते हैं, यह गोल भी हो सकता है और षटकोणीय या पंच कोणीय भी।</ref> बने हुए हैं। इस उद्यान का मुख्य आकर्षण यहाँ के फव्वारे हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि इन्हें [[इंग्लैण्ड]] से मंगवाया गया था। [[श्रावण मास]] की [[अमावस्या]] के अवसर पर इस बाड़ी में नगर निवासियों का एक बड़ा मेला भी लगता है।
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'''सहेलियों की बाड़ी''' [[राजस्थान]] के ख़ूबसूरत शहर [[उदयपुर]] में स्थित एक बाग़ है। इस बाग़ में [[कमल]] के तालाब, फ़व्वारे, संगमरमर के [[हाथी]] और 'कियोस्क'<ref>kiosques/Kiosk-'कियोस्क' हवादार छतरी या बरसाती जैसे निर्माण को कहते हैं, यह गोल भी हो सकता है और षटकोणीय या पंच कोणीय भी।</ref> बने हुए हैं। इस उद्यान का मुख्य आकर्षण यहाँ के फ़व्वारे हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि इन्हें [[इंग्लैण्ड]] से मंगवाया गया था। [[श्रावण मास]] की [[अमावस्या]] के अवसर पर इस बाड़ी में नगर निवासियों का एक बड़ा मेला भी लगता है।
 
==निर्माण काल==
 
==निर्माण काल==
 
सहेलियों की बाड़ी का निर्माण [[राणा संग्राम सिंह]] द्वारा शाही महिलाओं के लिए 18वीं सदी में करवाया गया था। उद्यान के बारे में यह कहा जाता है कि राणा ने इस सुरम्य उद्यान को स्वयं तैयार किया था और अपनी रानी को भेंट किया, जो [[विवाह]] के बाद अपनी 48 नौकरानियों के साथ आई थी। 'फतेह सागर झील' के किनारे पर स्थित यह जगह अपने ख़ूबसूरत झरनें, हरे-भरे बगीचे और संगमरमर के काम के लिए विख्यात है।
 
सहेलियों की बाड़ी का निर्माण [[राणा संग्राम सिंह]] द्वारा शाही महिलाओं के लिए 18वीं सदी में करवाया गया था। उद्यान के बारे में यह कहा जाता है कि राणा ने इस सुरम्य उद्यान को स्वयं तैयार किया था और अपनी रानी को भेंट किया, जो [[विवाह]] के बाद अपनी 48 नौकरानियों के साथ आई थी। 'फतेह सागर झील' के किनारे पर स्थित यह जगह अपने ख़ूबसूरत झरनें, हरे-भरे बगीचे और संगमरमर के काम के लिए विख्यात है।
 
====मुख्य आकर्षण====
 
====मुख्य आकर्षण====
इस उद्यान के मुख्य आकर्षण फव्वारे हैं, जो इंग्लैण्ड से आयात किए गए थे। सभी फव्वारे पक्षियों की चोंच के आकार की आकृति से पानी निकलते हुये बने हैं। फव्वारे के चारों ओर काले पत्थर का बना रास्ता है। बगीचे में एक छोटा-सा संग्रहालय है, जहाँ शाही परिवार की वस्तओं का एक विशाल संग्रह प्रदर्शित है। संग्रहालय के अलावा यहाँ एक [[गुलाब]] के फूलों का बगीचा और [[कमल]] के तालाब हैं। उद्यान रोज सुबह नौ बजे से शाम के छ: बजे के बीच तक आगंतुकों के लिए खुला रहता है।
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इस उद्यान के मुख्य आकर्षण फ़व्वारे हैं, जो इंग्लैण्ड से आयात किए गए थे। सभी फ़व्वारे पक्षियों की चोंच के आकार की आकृति से पानी निकलते हुये बने हैं। फ़व्वारे के चारों ओर काले पत्थर का बना रास्ता है। बगीचे में एक छोटा-सा संग्रहालय है, जहाँ शाही परिवार की वस्तओं का एक विशाल संग्रह प्रदर्शित है। संग्रहालय के अलावा यहाँ एक [[गुलाब]] के फूलों का बगीचा और [[कमल]] के तालाब हैं। उद्यान रोज सुबह नौ बजे से शाम के छ: बजे के बीच तक आगंतुकों के लिए खुला रहता है।
  
 
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Revision as of 14:00, 31 July 2014

[[chitr:Saheliyon-Ki-Bari-Udaipur.jpg|thumb|250px|saheliyoan ki ba di, udayapur]] saheliyoan ki ba di rajasthan ke khoobasoorat shahar udayapur mean sthit ek bag hai. is bag mean kamal ke talab, favvare, sangamaramar ke hathi aur 'kiyosk'[1] bane hue haian. is udyan ka mukhy akarshan yahaan ke favvare haian, jinake bare mean kaha jata hai ki inhean ianglaind se mangavaya gaya tha. shravan mas ki amavasya ke avasar par is ba di mean nagar nivasiyoan ka ek b da mela bhi lagata hai.

nirman kal

saheliyoan ki ba di ka nirman rana sangram sianh dvara shahi mahilaoan ke lie 18vian sadi mean karavaya gaya tha. udyan ke bare mean yah kaha jata hai ki rana ne is suramy udyan ko svayan taiyar kiya tha aur apani rani ko bheant kiya, jo vivah ke bad apani 48 naukaraniyoan ke sath aee thi. 'phateh sagar jhil' ke kinare par sthit yah jagah apane khoobasoorat jharanean, hare-bhare bagiche aur sangamaramar ke kam ke lie vikhyat hai.

mukhy akarshan

is udyan ke mukhy akarshan favvare haian, jo ianglaind se ayat kie ge the. sabhi favvare pakshiyoan ki choanch ke akar ki akriti se pani nikalate huye bane haian. favvare ke charoan or kale patthar ka bana rasta hai. bagiche mean ek chhota-sa sangrahalay hai, jahaan shahi parivar ki vastoan ka ek vishal sangrah pradarshit hai. sangrahalay ke alava yahaan ek gulab ke phooloan ka bagicha aur kamal ke talab haian. udyan roj subah nau baje se sham ke chh: baje ke bich tak agantukoan ke lie khula rahata hai.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

  1. kiosques/Kiosk-'kiyosk' havadar chhatari ya barasati jaise nirman ko kahate haian, yah gol bhi ho sakata hai aur shatakoniy ya panch koniy bhi.

sanbandhit lekh