Difference between revisions of "साहित्य लहरी"

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==साहित्य लहरी / Sahitya Lahri==
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'''साहित्य लहरी / Sahitya Lahri'''<br />
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यह 118 पदों की एक लघु रचना है। इसके अन्तिम पद में [[सूरदास]] का वंशवृक्ष दिया है, जिसके अनुसार सूरदास का नाम सूरजदास है और वे [[चंदबरदाई]] के वंशज सिद्ध होते हैं। अब इसे प्रक्षिप्त अंश माना गया है ओर शेष रचना पूर्ण प्रामाणिक मानी गई है। इसमें रस, अलंकार और नायिका-भेद का प्रतिपादन किया गया है। इस कृति का रचना-काल स्वयं कवि ने दे दिया है जिससे यह संवत् विक्रमी में रचित सिद्ध होती है। रस की दृष्टि से यह ग्रन्थ विशुद्ध श्रृंगार की कोटि में आता है।
 
यह 118 पदों की एक लघु रचना है। इसके अन्तिम पद में [[सूरदास]] का वंशवृक्ष दिया है, जिसके अनुसार सूरदास का नाम सूरजदास है और वे [[चंदबरदाई]] के वंशज सिद्ध होते हैं। अब इसे प्रक्षिप्त अंश माना गया है ओर शेष रचना पूर्ण प्रामाणिक मानी गई है। इसमें रस, अलंकार और नायिका-भेद का प्रतिपादन किया गया है। इस कृति का रचना-काल स्वयं कवि ने दे दिया है जिससे यह संवत् विक्रमी में रचित सिद्ध होती है। रस की दृष्टि से यह ग्रन्थ विशुद्ध श्रृंगार की कोटि में आता है।
  

Revision as of 07:02, 22 April 2010

sahity lahari / Sahitya Lahri

yah 118 padoan ki ek laghu rachana hai. isake antim pad mean sooradas ka vanshavriksh diya hai, jisake anusar sooradas ka nam soorajadas hai aur ve chandabaradaee ke vanshaj siddh hote haian. ab ise prakshipt aansh mana gaya hai or shesh rachana poorn pramanik mani gee hai. isamean ras, alankar aur nayika-bhed ka pratipadan kiya gaya hai. is kriti ka rachana-kal svayan kavi ne de diya hai jisase yah sanvath vikrami mean rachit siddh hoti hai. ras ki drishti se yah granth vishuddh shrriangar ki koti mean ata hai.