Difference between revisions of "कटाह"

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कटाह मलयप्रायद्वीप में स्थित था। सुवर्ण द्वीप के शैलेंद्र राजाओं की राजनैतिक शक्ति का केंद्र ग्यारहवीं शती ई. में इसी स्थान पर था। यहीं से वे श्रीविजय (सुमात्रा) की कई छोटी रियासतों तथा [[मलय]] द्वीप पर राज करते थे। 11वीं शती के प्रारंभिक वर्षों (लगभग 1025 ई.) में दक्षिण [[भारत]] के प्रतापी राजा राजेंद्रचोल ने शैलेंद्र नरेश पर आक्रमण करके उसके प्राय: समस्त राज्य को हस्तगत कर लिया। इस समय कटाह या कडार पर भी [[चोल|चोलों]] का आधिपत्य हो गया था। राजेंद्र चोल की मृत्यु के पश्चात् शैलेंद्र राजाओं ने अपने राज्य को पुन: प्राप्त करने के लिए प्रयत्न किया किंतु वीर राजेंद्र चोल (1063-1070 ई.) ने दुबारा कडार को जीत लिया किंतु शैलेंद्रराज के आधिपत्य स्वीकार करने पर इस नगर को उसे ही वापस कर दिया। कटाह प्राचीन [[हिंदू]] नाम था; कडार और केड्डा इसके वकृत रूप हैं।  
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कटाह मलयप्रायद्वीप में स्थित था। सुवर्ण द्वीप के शैलेंद्र राजाओं की राजनीतिक शक्ति का केंद्र ग्यारहवीं शती ई. में इसी स्थान पर था। यहीं से वे श्रीविजय (सुमात्रा) की कई छोटी रियासतों तथा [[मलय]] द्वीप पर राज करते थे। 11वीं शती के प्रारंभिक वर्षों (लगभग 1025 ई.) में दक्षिण [[भारत]] के प्रतापी राजा राजेंद्रचोल ने शैलेंद्र नरेश पर आक्रमण करके उसके प्राय: समस्त राज्य को हस्तगत कर लिया। इस समय कटाह या कडार पर भी [[चोल|चोलों]] का आधिपत्य हो गया था। राजेंद्र चोल की मृत्यु के पश्चात् शैलेंद्र राजाओं ने अपने राज्य को पुन: प्राप्त करने के लिए प्रयत्न किया किंतु वीर राजेंद्र चोल (1063-1070 ई.) ने दुबारा कडार को जीत लिया किंतु शैलेंद्रराज के आधिपत्य स्वीकार करने पर इस नगर को उसे ही वापस कर दिया। कटाह प्राचीन [[हिंदू]] नाम था; कडार और केड्डा इसके वकृत रूप हैं।  
  
 
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Revision as of 14:23, 11 July 2011

chitr:Icon-edit.gif is lekh ka punarikshan evan sampadan hona avashyak hai. ap isamean sahayata kar sakate haian. "sujhav"

katah malayaprayadvip mean sthit tha. suvarn dvip ke shaileandr rajaoan ki rajanitik shakti ka keandr gyarahavian shati ee. mean isi sthan par tha. yahian se ve shrivijay (sumatra) ki kee chhoti riyasatoan tatha malay dvip par raj karate the. 11vian shati ke praranbhik varshoan (lagabhag 1025 ee.) mean dakshin bharat ke pratapi raja rajeandrachol ne shaileandr naresh par akraman karake usake pray: samast rajy ko hastagat kar liya. is samay katah ya kadar par bhi choloan ka adhipaty ho gaya tha. rajeandr chol ki mrityu ke pashchath shaileandr rajaoan ne apane rajy ko pun: prapt karane ke lie prayatn kiya kiantu vir rajeandr chol (1063-1070 ee.) ne dubara kadar ko jit liya kiantu shaileandraraj ke adhipaty svikar karane par is nagar ko use hi vapas kar diya. katah prachin hiandoo nam tha; kadar aur kedda isake vakrit roop haian.


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