Difference between revisions of "इंद्रधनुष -कन्हैयालाल नंदन"
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एक स्वप्न-इंद्रधनुष | एक स्वप्न-इंद्रधनुष | ||
धरती से उठता है, | धरती से उठता है, | ||
− | आसमान को समेट बाहों में लाता है | + | आसमान को समेट बाहों में लाता है, |
− | फिर पूरा आसमान बन जाता है चादर | + | फिर पूरा आसमान बन जाता है चादर, |
− | इंद्रधनुष धरती का वक्ष सहलाता है | + | इंद्रधनुष धरती का वक्ष सहलाता है, |
− | रंगों की खेती से झोली भर जाता | + | रंगों की खेती से झोली भर जाता है। |
− | इंद्रधनुष | + | इंद्रधनुष, |
रोज रात | रोज रात | ||
− | सांसों के सरगम पर | + | सांसों के सरगम पर, |
तान छेड़ | तान छेड़ | ||
गाता है। | गाता है। | ||
इंद्रधनुष रोज़ मेरे सपनों में आता है। | इंद्रधनुष रोज़ मेरे सपनों में आता है। | ||
− | पारे जैसे मन का | + | पारे जैसे मन का, |
− | कैसा प्रलोभन है | + | कैसा प्रलोभन है? |
आतुर है इन्द्रधनुष बाहों में भरने को। | आतुर है इन्द्रधनुष बाहों में भरने को। | ||
− | + | आ क्षितिज दोनों हाथ बढ़ाता है, | |
− | एक टुकड़ा इन्द्रधनुष बाहों में आता है | + | एक टुकड़ा इन्द्रधनुष बाहों में आता है, |
− | + | बाक़ी सारा कमान बाहर रह जाता है। | |
− | जीवन को मिल जाती है | + | जीवन को मिल जाती है, |
एक सुहानी उलझन… | एक सुहानी उलझन… | ||
कि टुकड़े को सहलाऊँ ? | कि टुकड़े को सहलाऊँ ? | ||
या पूरा ही पाऊँ? | या पूरा ही पाऊँ? | ||
सच तो यह है कि | सच तो यह है कि | ||
− | हमें चाहिये दोनों ही | + | हमें चाहिये दोनों ही, |
टुकड़ा भी, पूरा भी। | टुकड़ा भी, पूरा भी। | ||
पूरा भी, अधूरा भी। | पूरा भी, अधूरा भी। | ||
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कोई टकराव नहीं। | कोई टकराव नहीं। | ||
आज रात इंद्रधनुष से खुद ही पूछूंगा— | आज रात इंद्रधनुष से खुद ही पूछूंगा— | ||
− | उसकी क्या चाहत है | + | उसकी क्या चाहत है? |
वह क्योंकर आता है? | वह क्योंकर आता है? | ||
रोज मेरे सपनों में आकर | रोज मेरे सपनों में आकर |
Latest revision as of 13:05, 15 December 2011
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ek salona jhoanka |
sanbandhit lekh