Difference between revisions of "एक बुद्ध कविता में करुणा ढूँढ रहा है -अजेय"
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आज पॆंटागन और ट्विन –टॉवर्ज़ से होते हुए | आज पॆंटागन और ट्विन –टॉवर्ज़ से होते हुए | ||
बीजिंग के तह्खानों में जमा हो गई है | बीजिंग के तह्खानों में जमा हो गई है | ||
− | कि हवा जो अपने सूरज को अस्त | + | कि हवा जो अपने सूरज को अस्त नहीं देखना चाहती |
आज मेरे गाँव की छोटी छोटी खिड़कियो को हड़का रही है | आज मेरे गाँव की छोटी छोटी खिड़कियो को हड़का रही है | ||
Revision as of 12:47, 2 September 2013
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