Difference between revisions of "रायचूर"

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रायचूर शहर, पूर्वी [[कर्नाटक]] (भूतपूर्व मैसूर) राज्य, दक्षिण-पश्चिमी भारत में स्थित है। यहाँ पर आसपास के मैदान से 88 मीटर ऊपर एक पहाड़ी पर एक दुर्ग-महल (1294ई.) और एक क़िला (लगभग 1300 ई.) स्थित है। 1489 में रायचूर स्वतंत्र [[बीजापुर]] राज्य की पहली राजधानी बना।  
 
रायचूर शहर, पूर्वी [[कर्नाटक]] (भूतपूर्व मैसूर) राज्य, दक्षिण-पश्चिमी भारत में स्थित है। यहाँ पर आसपास के मैदान से 88 मीटर ऊपर एक पहाड़ी पर एक दुर्ग-महल (1294ई.) और एक क़िला (लगभग 1300 ई.) स्थित है। 1489 में रायचूर स्वतंत्र [[बीजापुर]] राज्य की पहली राजधानी बना।  
 
==इतिहास==
 
==इतिहास==
रायचूर का मुख्य ऐतिहासिक स्मारक यहाँ का दुर्ग है, जिसे वारंगल नरेश के मंत्री गोरे गंगायरुड्डी वारु ने 1294 ई. में बनवाया था। यह सूचना एक विशाल पाषाण फलक पर उत्कीर्ण अभिलेख से मिलती है। प्रारम्भ में रायचूर में हिन्दू तथा जैन राजवंशों का राज था। पीछे [[बहमनी सल्तनत]] का यहाँ पर क़ब्ज़ा हो गया। 15वीं शती के अन्त में बहमनी राज्य की अवनति होने पर बीजापुर के सुल्तान ने रायचूर पर अधिकार कर लिया और तत्पश्चात् [[औरंगज़ेब]] द्वारा बीजापुर रियासत के [[मुग़ल साम्राज्य]] में मिला लिए जाने पर यह नगर भी इस साम्राज्य का एक अंग बन गया। इसी समय रायचूर के क़िले में मुग़ल सेनाओं का शिविर बनाया गया था।  
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रायचूर का मुख्य ऐतिहासिक स्मारक यहाँ का दुर्ग है, जिसे वारंगल नरेश के मंत्री गोरे गंगायरुड्डी वारु ने 1294 ई. में बनवाया था। यह सूचना एक विशाल पाषाण फलक पर उत्कीर्ण अभिलेख से मिलती है। प्रारम्भ में रायचूर में हिन्दू तथा जैन राजवंशों का राज था। पीछे [[बहमनी सल्तनत]] का यहाँ पर क़ब्ज़ा हो गया। 15वीं शती के अन्त में बहमनी राज्य की अवनति होने पर बीजापुर के सुल्तान ने रायचूर पर अधिकार कर लिया और तत्पश्चात् [[औरंगज़ेब]] द्वारा बीजापुर रियासत के [[मुग़ल काल|मुग़ल साम्राज्य]] में मिला लिए जाने पर यह नगर भी इस साम्राज्य का एक अंग बन गया। इसी समय रायचूर के क़िले में मुग़ल सेनाओं का शिविर बनाया गया था।  
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क़िले के पश्चिमी दरवाज़े के पास ही एक सुन्दर भवन के अवशेष हैं। क़िला दो प्राचीरों से घिरा हुआ है। भीतरी प्राचीर और उसके प्रवेश द्वार [[इब्राहीम आदिलशाह]] ने 1549 ई. के लगभग बनाए थे। प्राचीरों के तीन ओर एक गहरी खाई है और दक्षिण की ओर एक पहाड़ी। ये दीवारें बारह फुट लम्बे और तीन फुट मोटे प्रस्तर खण्डों से बनी हैं। ये पत्थर बिना चूने या मसाले के परस्पर जुड़े हुए हैं। रायचूर की ज़ामा मस्ज़िद 1618 ई. में बनी थी। एक मीनार नाम की मस्ज़िद [[महमूद शाह बहमनी]] के काल (919 हिज़री) में बनी थी। यह सूचना एक फ़ारसी अभिलेख से प्राप्त होती है जो इसकी देहली पर खुदा हुआ है। मस्ज़िद में केवल एक ही मीनार है। जिसकी ऊँचाई 65 फुट है। यह मस्ज़िद के दक्षिण-पूर्वी कोने में स्थित है। इसमें दो मंज़िलें हैं। मीनार ऊपर की ओर पतली है और शीर्ष पर बहमनी शैली के गुम्बद से ढकी हुई है। इस मस्ज़िद के पास यतीमशाह की मस्ज़िद तथा एक दरवाज़ा है। अन्य दरवाज़ों में नौरंगी दरवाज़ा हिन्दूकालीन जान पड़ता है। इसके एक बुर्ज़ पर एक नाग-राजा की मूर्ति है, जिसके सिर पर पंचमुखी सर्प का मुकुट है।
  
क़िले के पश्चिमी दरवाज़े के पास ही एक सुन्दर भवन के अवशेष हैं। क़िला दो प्राचीरों से घिरा हुआ है। भीतरी प्राचीर और उसके प्रवेश द्वार [[इब्राहीम आदिलशाह]] ने 1549 ई. के लगभग बनाए थे। प्राचीरों के तीन ओर एक गहरी खाई है और दक्षिण की ओर एक पहाड़ी। ये दीवारें बारह फुट लम्बे और तीन फुट मोटे प्रस्तर खण्डों से बनी हैं। ये पत्थर बिना चूने या मसाले के परस्पर जुड़े हुए हैं। रायचूर की ज़ामा मस्ज़िद 1618 ई. में बनी थी। एक मीनार नाम की मस्ज़िद [[महमूद बहमनी]] के काल (919 हिज़री) में बनी थी। यह सूचना एक फ़ारसी अभिलेख से प्राप्त होती है जो इसकी देहली पर खुदा हुआ है। मस्ज़िद में केवल एक ही मीनार है। जिसकी ऊँचाई 65 फुट है। यह मस्ज़िद के दक्षिण-पूर्वी कोने में स्थित है। इसमें दो मंज़िलें हैं। मीनार ऊपर की ओर पतली है और शीर्ष पर बहमनी शैली के गुम्बद से ढकी हुई है। इस मस्ज़िद के पास यतीमशाह की मस्ज़िद तथा एक दरवाज़ा है। अन्य दरवाज़ों में नौरंगी दरवाज़ा हिन्दूकालीन जान पड़ता है। इसके एक बुर्ज़ पर एक नाग-राजा की मूर्ति है, जिसके सिर पर पंचमुखी सर्प का मुकुट है।
 
 
==उद्योग और व्यापार==
 
==उद्योग और व्यापार==
 
अब यह मध्य रेलवे पर एक व्यावसायिक केन्द्र है। उत्पादों में तिलहन, कपास और साबुन शामिल है।  
 
अब यह मध्य रेलवे पर एक व्यावसायिक केन्द्र है। उत्पादों में तिलहन, कपास और साबुन शामिल है।  

Revision as of 12:19, 22 July 2010

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rayachoor shahar, poorvi karnatak (bhootapoorv maisoor) rajy, dakshin-pashchimi bharat mean sthit hai. yahaan par asapas ke maidan se 88 mitar oopar ek paha di par ek durg-mahal (1294ee.) aur ek qila (lagabhag 1300 ee.) sthit hai. 1489 mean rayachoor svatantr bijapur rajy ki pahali rajadhani bana.

itihas

rayachoor ka mukhy aitihasik smarak yahaan ka durg hai, jise varangal naresh ke mantri gore gangayaruddi varu ne 1294 ee. mean banavaya tha. yah soochana ek vishal pashan phalak par utkirn abhilekh se milati hai. prarambh mean rayachoor mean hindoo tatha jain rajavanshoan ka raj tha. pichhe bahamani saltanat ka yahaan par qabza ho gaya. 15vian shati ke ant mean bahamani rajy ki avanati hone par bijapur ke sultan ne rayachoor par adhikar kar liya aur tatpashchath aurangazeb dvara bijapur riyasat ke mugal samrajy mean mila lie jane par yah nagar bhi is samrajy ka ek aang ban gaya. isi samay rayachoor ke qile mean mugal senaoan ka shivir banaya gaya tha.

qile ke pashchimi daravaze ke pas hi ek sundar bhavan ke avashesh haian. qila do prachiroan se ghira hua hai. bhitari prachir aur usake pravesh dvar ibrahim adilashah ne 1549 ee. ke lagabhag banae the. prachiroan ke tin or ek gahari khaee hai aur dakshin ki or ek paha di. ye divarean barah phut lambe aur tin phut mote prastar khandoan se bani haian. ye patthar bina choone ya masale ke paraspar ju de hue haian. rayachoor ki zama maszid 1618 ee. mean bani thi. ek minar nam ki maszid mahamood shah bahamani ke kal (919 hizari) mean bani thi. yah soochana ek farasi abhilekh se prapt hoti hai jo isaki dehali par khuda hua hai. maszid mean keval ek hi minar hai. jisaki ooanchaee 65 phut hai. yah maszid ke dakshin-poorvi kone mean sthit hai. isamean do manzilean haian. minar oopar ki or patali hai aur shirsh par bahamani shaili ke gumbad se dhaki huee hai. is maszid ke pas yatimashah ki maszid tatha ek daravaza hai. any daravazoan mean naurangi daravaza hindookalin jan p data hai. isake ek burz par ek nag-raja ki moorti hai, jisake sir par panchamukhi sarp ka mukut hai.

udyog aur vyapar

ab yah madhy relave par ek vyavasayik kendr hai. utpadoan mean tilahan, kapas aur sabun shamil hai.

shikshan sansthan

isake vanijy mahavidyalay aur lakshmi veankatesh desaee mahavidyalay dharava d ke karnatak vishvividyalay se sambaddh haian.

vidyut nigam

rashtriy tapavidyut nigam ek ek sanyatr is ilaqe ke lie bijali utpadan karata hai.

janasankhya

2001 ki ganana ke anusar rayachoor shahar ki janasankhya 2,05,634 hai. aur rayachoor zilean ki kul janasankhya 16,48,212 hai.