अंतरअयन पौराणिक धर्म ग्रंथों और हिन्दू मान्यताओं के अनुसार तीर्थीं की एक विशेष प्रकार की परिक्रमा है।[1] इस परिक्रमा को 'अन्तर्गृह' भी कहा जाता है।[2]
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑
पौराणिक कोश |लेखक: राणाप्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, आज भवन, संत कबीर मार्ग, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 04 |
- ↑ हि.श.सा.; काशीखण्ड
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