अदस्‌

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search

अदस् (सर्व.) पुल्लिंग-स्त्रीलिंग-असौ, नपुं.-अदः]

  • वह (किसी ऐसे व्यक्ति या वस्तु की ओर संकेत करना जो अनपुस्थित हो या वक्ता के समीप न हो) इदमस्तु सन्निकृष्टं समीपतरवर्ति चैतदो रूपम्। अदसस्तु विप्रकृष्टं तदिति परोक्षे विजानीयात्। 'यह' 'यहां' 'सामने' अर्थ को भी प्रकट करता है। 'यत्' के सहसंबंधी 'तत्' के अर्थ में भी प्रायः प्रयुक्त होता है। परन्तु जब कभी यह 'संबंधवाचक सर्वनाम' के तुरन्त बाद प्रयुक्त होता है (योऽसौ, ये अमी आदि) तो इसका अर्थ होता है 'प्रसिद्ध' 'सुख्यात्' 'पूज्य'; दे. तद् भी।[1]


  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 26-27 |

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः