अनुपसंहारिन्
अनुपसंहारिन् (पुल्लिंग) [उप-सम्+ह+णिच्+णिनि, न. त.]
- न्यायशास्त्र में हेत्वाभास का एक भेद जिसके अन्तर्गत पक्ष संबंधी सभी ज्ञात बातें आ जाती हैं, और दृष्टान्त द्वारा, चाहे वह विधेयात्मक हो या निषेधात्मक, कार्यकारण- सिद्धान्त के सामान्य नियम का समर्थन नहीं हो पाता यथा सर्व नित्यं प्रमेयत्वात्।[1]
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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