अपराद्ध
अपराद्ध (भू. क. कृ.) [अप+राध्+क्त]
- 1. जिसने पाप किया है, किसी को कष्ट दिया है, अपराध का करने वाला, कष्ट देने वाला, (कर्त्रर्थ में भी प्रयुक्त)-कस्मिन्नपि पूजार्हेऽपराद्धा शकुन्तला-श. 4
- 2. जो चूक गया हो, निशाने पर न लगने वाला (तीर की भांति)-निमित्तादपराद्वेषी-धनुष्कस्येव वल्गितम्-शि. 2/26
- 3. जिसने उल्लंघन किया है, अतिक्रान्त,-द्धम् (नपुं.) अपराध, कष्ट।[1]
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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