अपहार:
अपहारः (पुल्लिंग) [अप+ह+घञ्]
- 1. लूट, चोरी, उड़ा ले जाना, दूर ले जाना, नष्ट कर देना,-निद्रापहार, विष°
- 2. छिपाना, मालूम न पड़ने देना, अपने आपको, अपने नाम को और अपने चरित्र को मैं किस प्रकार छिपाऊँ?[1]
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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