अपह्नुतिः (स्त्रीलिंग) [अप+ह्न+क्तिन्]
- 1 सत्य को छिपाना, मुकरना
- 2. एक अलंकार जिसमें प्रस्तुत वस्तु के वास्तविक चरित्र को छिपा कर कोई और काल्पनिक या असत्य स्थापना की जाए-नेदं नभोमण्डलमम्बुराशिः, नैताश्च ताराः नवफेन-भङ्गाः। काव्य., 10वाँ समुल्लास तथा दे. सा. द. 683/84 पृष्ठ।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 69 |
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