अपेहि
अपेहि (लोट् म. पु. ए. व.) (मयूरव्यंसकादि श्रेणी से संबद्ध समासों के प्रथम पद के रूप में प्रयुक्त)
- 'करा, द्वितीया, स्वागता आदि जहाँ इस शब्द का अर्थ होता है 'के बिना' 'निकाल कर' 'सम्मिलित न करके' उदा. 'वाणिजा-इस प्रकार का समारोह जहाँ व्यापारियों को सम्मिलित न किया जाए, इसी प्रकार द्वितीया आदि।[1]
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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