अप्रयाणि:

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अप्रयाणिः (स्त्रीलिंग) [नञ्+प्र+या+अनि]

  • न जाना, प्रगति न करना, (केवल कोसने के लिए ही प्रयुक्त होता है)-अप्रयाणिस्ते शठ भूयात्-सिद्धा. (भगवान् करे, तुम प्रगति न कर सको) दे. अजीवनि।[1]


  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 74 |

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