अप्रयाणि:
अप्रयाणिः (स्त्रीलिंग) [नञ्+प्र+या+अनि]
- न जाना, प्रगति न करना, (केवल कोसने के लिए ही प्रयुक्त होता है)-अप्रयाणिस्ते शठ भूयात्-सिद्धा. (भगवान् करे, तुम प्रगति न कर सको) दे. अजीवनि।[1]
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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