अर्घ्
अर्घ् (भ्वा. पर.) [अर्घति, अर्घित]
- मूल्यवान् होना, मूल्य रखना, मूल्य लगाना,-परीक्षका पत्र न सन्ति देशे नावन्ति रत्नानि समुद्रजानि-सुभाषि।[1]
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
अर्घ् (भ्वा. पर.) [अर्घति, अर्घित]
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