देह धरे का दंड

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देह धरे का दंड है, हर काहू को होय।
ज्ञानी काटे ज्ञान से, मूरख काटे रोय।।

  • अर्थ- जीवन में शरीर के साथ कष्ट तो लगा रहता है, बुद्धिमान व्यक्ति युक्ति से और बेवकूफ रो-रोकर जीवन जीता है ।
  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें

टीका टिप्पणी और संदर्भ


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