User:गोविन्द राम/अभ्यास पन्ना4

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मार डालने की बात कही थी। बारह वर्ष और तीन दिन बाद लक्ष्मण उधर जा निकला। उसने धरती पर रखी हुई शंबूक की तलवार उठा ली। उस तलवार से उसने निकटवर्ती बांसों पर प्रहार किया। इतनें में उसके सम्मुख शंबूक का कटा हुआ सिर धरती पर आ पड़ा। लक्ष्मण ने यथावत् राम से कह सुनाया। शंबूक की मां (चंद्रनखा) प्रतिदिन उससे मिलने जाती थी। उस दिन बेटे को मरा हुआ देखकर वह बहुत दुखी हुई। वह शत्[1]




संदर्भ

  1. भारत |लेखक: रोमिला |अनुवादक: अनुज |आलोचक: राम |प्रकाशक: दिल्ली |लिंक:- [1]