अपसद:

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अपसदः [अपकृष्ट एवं सीदति इति, अप+सद्+अच्]

1. जाति से बहिष्कृत, नीच पुरुष, प्रायः समास के अन्त में प्रयुक्त होकर अर्थ होता है-दुष्ट, पाजी, अभिशप्त, कापालिक मा. 5, रे रे क्षत्रियापसदाः-वेणी. 3
2. छः प्रकार की अनुलोम सन्तान अर्थात् पहले तीन वर्णों के मनुष्यों द्वारा अपने से नीच वर्ण की स्त्री में उत्पन्न सन्तान-विप्रस्य त्रिषु वर्णेषु नृपतेर्वर्णयोः द्वयोः, वैश्यस्य वर्णे चैकस्मिन् षडेतेऽपसदाः स्मृताः। मनुस्मृति 10/10[1]


  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 68 |

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