अपाङ्क्त
अपाङ्क्त, अपाङ्क्तेय, अपाङ्क्त्य (विशेषण) [सद्भिः सह भोजने पङ्क्तिम् अर्हति इत्यर्थे पंडिक्त+अणू, पङ्क्ति+ढक-एय, पङ्क्ति+व्यञ्, न. त.]
- जो समान पंक्ति में न हो, विशेषतः वह व्यक्ति जो बिरादरी में अपने बन्धु-बांधवों के साथ एक पंक्ति में बैठने का अधिकारी न हो, जाति बहिष्कृत।[1]
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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