ए रहीम दर दर फिरहिं -रहीम

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ए ‘रहीम, दर-दर फिरहिं, माँगि मधुकरी खाहिं ।
यारो यारी छाँड़िदो, वे ‘रहीम’ अब नाहिं ॥

अर्थ

रहीम आज द्वार-द्वार पर मधुकरी माँगता गुजर कर रहा है। वे दिन लद गये, तब का वह रहीम नहीं रहा। दोस्तो छोड़ दो दोस्ती, जो इसके साथ तुमने की थी।


left|50px|link=चित्रकूट में रमि रहे -रहीम|पीछे जाएँ रहीम के दोहे right|50px|link=देनहार कोउ और है -रहीम|आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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