धन थोरो, इज्जत बड़ी -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search

धन थोरो, इज्जत बड़ी, कहि ‘रहीम’ का बात।
जैसे कुल की कुलबधू, चिथड़न माहिं समात ॥

अर्थ

पैसा अगर थोड़ा है, पर इज्जत बड़ी है, तो यह कोइ निन्दनीय बात नहीं । खानदानी घर की स्त्री चिथड़े पहनकर भी अपने मान की रक्षा कर लेती हैं।


left|50px|link=रहिमन रहिबो वह भलो -रहीम|पीछे जाएँ रहीम के दोहे right|50px|link=धनि रहीम जल पंक को -रहीम|आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः