Difference between revisions of "कुवांशी"

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*कुवांशी [[गुजरात]] के मोरवी शहर से 25किलो मीटर की दूरी पर स्थित एक छोटा सा गाँव है।  
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*कुवांशी [[गुजरात]] के मोरवी शहर से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक छोटा सा गाँव है।  
*कुवांशी ग्राम में 4,000 वर्ष पुरानी सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए हैं।  
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*कुवांशी गाँव में 4,000 वर्ष पुरानी सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए हैं।  
 
*पुराविदों के अनुसार कुवांशी में [[सिन्धु सभ्यता|सैन्धव सभ्यता]] के अवशेष व एक बन्दरगाह का पता चला है।  
 
*पुराविदों के अनुसार कुवांशी में [[सिन्धु सभ्यता|सैन्धव सभ्यता]] के अवशेष व एक बन्दरगाह का पता चला है।  
*लोथन बन्दरगाह से जहाँ मध्य-पूर्वी देशों के साथ व्यापार होता था,वहीं कुवांशी बन्दरगाह से पश्चिम एशिया और [[अफ़गानिस्तान]] के साथ सम्बन्ध थे।
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*लोथल बन्दरगाह से जहाँ मध्य-पूर्वी देशों के साथ व्यापार होता था, वहीं कुवांशी बन्दरगाह से पश्चिम [[एशिया]] और [[अफ़गानिस्तान]] के साथ सम्बन्ध थे।
*कुवांशी के मिट्टी के बर्तनों के अवशेष तथा खनिज पदार्थों से निर्मित सामग्री से स्पष्ट होता है कि सौराष्ट्र में [[हड़प्पा|हड़प्पा काल]] में हस्तकला एवं वास्तुकला का अच्छा विकास हुआ।  
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*कुवांशी के मिट्टी के बर्तनों के अवशेष तथा [[खनिज|खनिज पदार्थों]] से निर्मित सामग्री से स्पष्ट होता है कि [[सौराष्ट्र]] में [[हड़प्पा|हड़प्पा काल]] में हस्तकला एवं वास्तुकला का अच्छा विकास हुआ।  
 
*यहाँ से [[सोना|सोने]] के आभूषण और [[नीलम]] भी प्राप्त हुई है, जो केवल अफ़गानिस्तान में ही मिलती थीं।  
 
*यहाँ से [[सोना|सोने]] के आभूषण और [[नीलम]] भी प्राप्त हुई है, जो केवल अफ़गानिस्तान में ही मिलती थीं।  
 
*पुराविदों की मान्यता है कि नीलमणि अफ़गानिस्तान से आयात की जाती होगी और तैयार माल को पश्चिम एशिया में भेजा जाता होगा।  
 
*पुराविदों की मान्यता है कि नीलमणि अफ़गानिस्तान से आयात की जाती होगी और तैयार माल को पश्चिम एशिया में भेजा जाता होगा।  
 
*हाल ही में ओमान में रास-एल-जुनाएद के निकट करवाये गये उत्खनन में हड़प्पा युग की निर्मित सामग्री मिली हैं।  
 
*हाल ही में ओमान में रास-एल-जुनाएद के निकट करवाये गये उत्खनन में हड़प्पा युग की निर्मित सामग्री मिली हैं।  
 
*यह अनुमान किया जाता कि बहुमूल्य धातुओं की मालाओं और मोतियों को कुवांशी में तैयार कर ओमान भेजा जाता होगा।  
 
*यह अनुमान किया जाता कि बहुमूल्य धातुओं की मालाओं और मोतियों को कुवांशी में तैयार कर ओमान भेजा जाता होगा।  
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Revision as of 13:30, 8 April 2011

  • kuvaanshi gujarat ke moravi shahar se 25 kilomitar ki doori par sthit ek chhota sa gaanv hai.
  • kuvaanshi gaanv mean 4,000 varsh purani sabhyata ke avashesh prapt hue haian.
  • puravidoan ke anusar kuvaanshi mean saindhav sabhyata ke avashesh v ek bandaragah ka pata chala hai.
  • lothal bandaragah se jahaan madhy-poorvi deshoan ke sath vyapar hota tha, vahian kuvaanshi bandaragah se pashchim eshiya aur afaganistan ke sath sambandh the.
  • kuvaanshi ke mitti ke bartanoan ke avashesh tatha khanij padarthoan se nirmit samagri se spasht hota hai ki saurashtr mean h dappa kal mean hastakala evan vastukala ka achchha vikas hua.
  • yahaan se sone ke abhooshan aur nilam bhi prapt huee hai, jo keval afaganistan mean hi milati thian.
  • puravidoan ki manyata hai ki nilamani afaganistan se ayat ki jati hogi aur taiyar mal ko pashchim eshiya mean bheja jata hoga.
  • hal hi mean oman mean ras-el-junaed ke nikat karavaye gaye utkhanan mean h dappa yug ki nirmit samagri mili haian.
  • yah anuman kiya jata ki bahumooly dhatuoan ki malaoan aur motiyoan ko kuvaanshi mean taiyar kar oman bheja jata hoga.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh