बुध ग्रह: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
(बुध को अनुप्रेषित)
 
(16 intermediate revisions by 3 users not shown)
Line 1: Line 1:
[[चित्र:Mercury.png|thumb|150px|बुध ग्रह<br />Mercury]]
#REDIRECT[[बुध]]
* यह [[सूर्य (तारा)|सूर्य]] का सबसे नज़दीकी [[ग्रह]] है, जो सूर्य निकलने के दो घंटा पहले दिखाई पड़ता है।
* इस ग्रह को अंग्रेज़ी में Mercury कहते हैं।
* यह सबसे छोटा ग्रह है, जिसके पास कोई उपग्रह नहीं है और बुध का कोई वायुमंडल भी नहीं है।
* इसका सबसे विशिष्ट गुण है, इसमें चुम्बकीय क्षेत्र का होना।
* यह लोहे और जस्ते का बना हुआ हैं।
* बुध का व्यास 5140 किलोमीटर है और गुरुत्वाकर्षण शक्ति [[पृथ्वी ग्रह|पृथ्वी]] की अपेक्षा एक चौथाई है।
* [[सौर मंडल]] का सबसे छोटा और प्रकाशमान बुध ग्रह सूर्य से 59200000 किलोमीटर दूर है।
* 48 किलोमीटर ( 29 मील ) प्रति सेकंड की रफ्तार से यह 88 दिनों में सूर्य की परिक्रमा कर लेता है, जो सबसे कम समय है।
* इसे अपनी धुरी पर एक चक्कर लगाने में 60 दिन लगते हैं।
 
==अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अंतरिक्ष यान मैसेंजर का बुध ग्रह अभियान==
 
;अंतरिक्ष यान मैसेंजर बुध ग्रह पर पहुंचा
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के कार के आकार के एक अंतरिक्ष यान मैसेंजर का प्रक्षेपण 2004 में किया गया था। इसे बुध की सतह, भू-रसायन और अंतरिक्ष पर्यावरण का अध्ययन करना था । मैसेंजर सोमवार, अक्तूबर 6, 2008 को बुध ग्रह की महज 200 किलोमीटर की परिधि में पहुंच गया था और 07 अक्टूबर 2008 को पहली बार सौर मंडल के सबसे छोटे ग्रह बुध के सतह की करीब से तस्वीर लेने में सफलता हासिल कर ली थी । अंतरिक्ष यान मैसेंजर ने सूर्य के सबसे करीब स्थित इस ग्रह की भूमध्य रेखा के नजदीक करीब 200 किलोमीटर की दूरी से उड़ान भरी थी । यान के साथ भेजे गए तीन फ्लाइबाइ उपकरणों में से दूसरा उपकरण बुध की कक्षा में स्थापित होने के लिए छोड़ दिया गया था। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस यान द्वारा भेजी गई तस्वीरें बुध ग्रह की अब तक की सबसे बेहतरीन तस्वीरें हैं। मार्च 1975 में मैरिनर-10 की तीसरी और अंतिम उ़ड़ान के बाद से यह पहली बार है जब कोई अंतरिक्ष यान बुध की सतह के इतने करीब से गुजरा है। यह अंतरिक्ष यान उन तीन यानों में से एक है जो वर्ष 2011 तक बुध की कक्षा में प्रवेश करने जा रहा है।
 
;मेसैंजर द्वारा बुध ग्रह की ली गई तस्वीरें
मैकनट ने कहा यान ने बुध के करीब 30 प्रतिशत हिस्से की 1200 तस्वीरें ले ली हैं जिसे पहले किसी यान से देखा नहीं गया था। यान ने सब कुछ वैसे ही किया जैसा कि इसे करना था। मेसैंजर को करीब 2011 में बुध की कक्षा में पहुंचने से पहले तीन बार इसके सतह के करीब पहुंचना है। इससे पहले यह 14 जनवरी को भी इसके करीब पहुंचा था। सितंबर 2009 में इसे एक बार फिर यह अभियान पूरा करना है। श्री मैकनट ने बताया कि इससे पहले 1974 और 1975 में नासा का ही यान मैरिनर 10 तीन बार बुध के करीब पहुंचा था और उसने करीब 45 प्रतिशत हिस्से की तस्वीरें ली थीं। मैसेंजर ने जनवरी में बुध के 20 और प्रतिशत हिस्से की तस्वीरें लीं । करीब 23 हजार 800 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भर रहा मैसेंजर दक्षिण अफ्रीका के आकार के बराबर बुध के क्षेत्र का अध्ययन कर रहा है। बुध का मात्र पांच प्रतिशत हिस्सा ही इसकी नजरों से बच सकेगा। मेसेंजर खोजी यान के कैमरों और उपकरणों ने कई रंगीन तस्वीरें इकट्ठा की हैं जिससे ग्रह की और 6 प्रतिशत सतह का पता चलता है जो इससे पहले इतनी नज़दीकी से कभी नहीं देखी गई थी। मेसेंजर यान बुध ग्रह की 98 प्रतिशत सतह देख चुका है जिसके दौरान उसे एक गह्वर के चारों ओर का चमकदार क्षेत्र भी दिखाई दिया है जो संभवत ज्वालामुखी रहा होगा। उसे दोहरे छल्ले वाला अपेक्षाकृत युवा कुंड भी मिला है जिसका व्यास 290 किलोमीटर है. इस खोजी दल की सदस्य ब्रेट डेनेवी इसकी व्याख्या करते हुए कहते हैं, ग्रह भू-विज्ञानियों के लिए युवा का मतलब कोई एक अरब साल पुराना हुआ क्योंकि बुध ग्रह के अन्य कुंड तीन अरब साल पुराने हैं।
 
;बुध ग्रह का सतह और ज्वालामुखी
खगोलविदों में बुध की सतह के चिकनी होने को लेकर दशकों से बहस जारी है और अब तक बुध को सूर्य के सर्वाधिक करीब की एक चट्टान और नीरस ग्रह कहते आए थे लेकिन एमआईटी की वैज्ञानिक मारिया जुबेर का कहना है कि बुध कहीं ज्यादा दिलचस्प है। जॉन्स हॉपकिन्स युनिवर्सिटी के भौतिकी प्रयोगशाला के वैज्ञानिक राल्फ मैकनट ने बताया कि शुरूआती तस्वीरों से पता लगा है कि बुध की सतह पर चट्टानी मैदान, गहरे गड्ढे तथा लम्बी और ऊंचीं खडी चट्टाने हैं। इसका आकार पृथ्वी के एक तिहाई के बराबर तथा हमारे चांद से थोडा सा ही बड़ा है। पहले ऐसा माना जाता था कि बुध ग्रह की सतह का आकार बाहरी तत्व तय करते हैं, लेकिन इस ग्रह के नजदीक से गुजरे अंतरिक्ष यान से मिले ताजा आंकड़ों के आधार पर वैज्ञानिकों ने कहा है कि यह आकार वहां मौजूद सक्रिय ज्वालामुखी तय करते हैं। वैज्ञानिकों ने बुध की सतह पर भी चंद्रमा और मंगल ग्रह की तरह की संरचनाएँ देखी हैं और उनका कहना है कि यह भारी मात्रा में निकले लावा के कारण हो सकता है। उनका कहना है कि इससे पता चलता है कि वहां तीन से चार अरब साल पहले ज्वालामुखी संबंधी गतिविधियों की भरमार रही होंगीं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के प्रोब मैसेंजर से भेजी गई नई तस्वीरों में बुध की सतह पर ज्वालामुखियों के गड्ढे साफ दिखाई दे रहे हैं।
 
बुध ग्रह के सपाट मैदानों के उद्भव को लेकर विवाद 1972 के अपोलो 16 मिशन के साथ शुरू हो गया था। इस मिशन के बाद यह बात सामने आई थी कि कुछ मैदानी हिस्सा उस पदार्थ से बना जो ब्रह्मांडीय टक्करों के कारण छिटक गया था और फिर इससे सपाट तालाब बन गए। जब अंतरिक्ष यान मैरीनर 10 ने सौर मंडल के सबसे छोटे बुध ग्रह की 1975 में ऐसी ही आकृतियों की तस्वीरें ली तो कुछ वैज्ञानिकों का मानना था कि ग्रह पर कुछ प्रक्रियाएं जारी हैं। कुछ अन्य वैज्ञानिकों का अनुमान था कि बुध ग्रह का मैदानी पदार्थ ज्वालामुखी विस्फोट से निकला लावा है लेकिन उस मिशन के दौरान ली गई तस्वीरों में ज्वालामुखी के दहानों या ज्वालामुखी के कारण दिखाई पड़ने वाली अन्य परिघटनाओं के न होने के चलते इस विचार पर आम राय नहीं बन पाई। लेकिन अब अनुसंधानकर्ताओं ने ग्रह के कोलारिस बेसिन नामक स्थान के किनारे - किनारे ज्वालामुखी गतिविधियों का पता लगाया है। उन्होंने यह भी पाया कि कोलारिस का भौगोलिक इतिहास वैज्ञानिकों की पूर्व अवधारणा से कहीं अधिक जटिल है। ग्रह पर ऊंचाई जानने के लिए पहली बार की गई गणनाओं से पता लगा कि यहां पाए गए गड्ढे पृथ्वी के चंद्रमा पर पाए जाने वाले गड्ढों से कुछ ही उथले हैं। इन गणनाओं में बुध ग्रह के जटिल भौगोलिक इतिहास का भी पता लगा है।
 
;बुध ग्रह पर लोहे और टाइटेनियम
नासा के खोजी यान मेसेंजर ने पाया है कि बुध ग्रह पर लोहे और टाइटेनियम का बड़ा संग्रह है. इससे पहले यह माना जाता था कि बुध ग्रह को ढकने वाले सिलिकेट खनिज में थोड़ी मात्रा में लोहा है। मेसेंजर खोजी अभियान के प्रमुख शॉन सोलोमन ने कहा, यह लोहा ऐसे रूप में मौजूद है जो हमें अन्य ग्रहों में नहीं मिलता इसलिए हमारे भू-रसायन शास्त्रियों और शैल-विज्ञानियों को और काम करना होगा। इसके अलावा ग्रहों के निर्माण के मौजूदा सिद्धांतों को भी इस जानकारी पर ध्यान देना होगा. क्योंकि कुछ सिद्धांतो के अनुसार बुध ग्रह मुख्य रूप से उस पिंड का केंद्रीय अवशेष है जिसकी ऊपरी परतें निर्माण के आरंभिक काल में एक ज़बरदस्त भिड़ंत के कारण अलग हो गई थीं।
 
;बुध ग्रह में सिकु़ड़न
अंतरिक्षायान मैसेंजर के भेजे आँक़ड़ों के आधार पर वैज्ञानिकों ने कहा है कि हमारे सौर मंडल का सबसे छोटा ग्रह बुध सिकु़ड़कर और छोटा हो गया है। उल्लेखनीय है कि पहले हमारे ग्रह का सबसे छोटा ग्रह प्लूटो था लेकिन उसे सौरमंडल से बाहर कर दिए जाने के बाद अब बुध ग्रह हमारे सौरमंडल का सबसे छोटा सदस्य रह गया है। बुध के पास से गुजर रहे अंतरिक्षयान मैंसेंजर ने जनवरी 2008 में जो आँक़ड़े भेजे थे उससे पता चलता है कि बुध का व्यास कोई डे़ढ़ किलोमीटर तक कम हो गया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्रह के किनारों के ठंडा होने की वहज से इसका आकार घट गया है। साइंस जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक इसकी वजह से बुध का चुंबकीय क्षेत्र भी मजबूत हुआ है। यह एक ऐसा विषय है जिस पर वैज्ञानिक लंबे समय से चर्चा करते रहे हैं। कार्नेगी इंस्टिट्यूशन ऑफ वॉशिंगटन के स्याँ सोलोमन प्रमुख शोधकर्ता का कहना है कि ठंडक ब़ढ़ने के कारण न केवल ग्रह की चुंबकीय शक्ति ब़ढ़ी है बल्कि इसके चलते ग्रह का आकार भी घटा है। उनका कहना है कि ग्रह की सिकु़ड़न पहले लगाए गए अनुमान की तुलना में कम से कम एक तिहाई अधिक है। बुध ग्रह के नजदीक से गुजरे अंतरिक्ष यान मैसेंजर ने जानकारी दी है कि इस ग्रह का चुंबकीय क्षेत्र पिघली हुई सतह से बनता है और ग्रह की चुंबकीय शक्ति इसके भीतरी भाग और सतह में बेहद गतिशील और जटिल प्रतिक्रिया करती है।
 
;बुध ग्रह का वातावरण
मेसेंजर खोजी यान ने बुध ग्रह के वायुमंडल का नया मापन भी किया है. बुध का वायुमंडल अत्यंत सूक्ष्म अणुओं के बादलों से बना है जो सौर गतिविधियों और क्षुद्र उल्का पिंडों के टकराने के कारण ग्रह की सतह से उठते हैं। पृथ्वी से 770 लाख किलोमीटर दूर स्थित सूर्य के ताप में तपते इस ग्रह की सतह के रासायनिक संगठन के बारे में भी पहली बार वैज्ञानिकों को जानकारी मिली है। अंतरिक्ष यान मैसेंजर ने बुध ग्रह के पतले वातावरण की संरचना की जांच की, ग्रह के निकट आवेशयुक्त कणों या आयनों के नमूने लिए और प्रेक्षण तथा ग्रह की सतह पर मौजूद पदार्थो के बारे में नए संबंधों का प्रदर्शन किया। अंतरिक्ष यान ने बुध ग्रह की अनूठी बाहरी सतह पर आयनीकृत कणों का भी पता लगाया। यह सतह एक बेहद पतले वातावरण से बनी है जिसमें कण इतनी दूर हैं कि एक दूसरे से टकराने के बजाय वे सतह से टकरा जाते हैं। ग्रह की अंडाकार कक्षा इसका धीमा घूर्णन और कणों की सतह के साथ प्रतिक्रिया और सौर हवा के कारण तीव्र मौसमी और दिन रात संबंधी बदलाव होते हैं।
 
{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति
|आधार=
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|शोध=
}}
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://hi.shvoong.com/exact-sciences/astronomy/1848581-%E0%A4%AC-%E0%A4%A7-%E0%A4%97-%E0%A4%B0%E0%A4%B9-%E0%A4%AE/ बुध ग्रह में छिपे हुए हैं कई रहस्य]
*[http://www.bbc.co.uk/hindi/science/2009/11/091104_mercury_iron_mg.shtml बुध ग्रह पर लोहे का भारी संग्रह]
*[http://josh18.in.com/showstory.php?id=315371 बुध ग्रह की सतह की करीबी तस्वीर ली गयी]
*[http://sachinsharma5.mywebdunia.com/2008/07/14/1216035602102.html सबसे छोटा ग्रह और सिकुड़ा]
*[http://in.jagran.yahoo.com/news/international/general/3_5_4601790.html उजागर हुआ बुध ग्रह में छिपा रहस्य]
*[http://thatshindi.oneindia.in/news/2008/10/07/2008100767112500.html मेसेंजर पहुंचा बुध ग्रह की 200 किमी की परिधि में]
*[http://www.bbc.co.uk/hindi/science/story/2004/08/040803_mercury_space.shtml बुध के लिए अंतरिक्ष यान रवाना]
*[http://www.bbc.co.uk/hindi/multimedia/2010/07/100717_mercury_gallery_psa.shtml बुध ग्रह की तस्वीरें]
*[http://arthmedianetwork.com/newsdetail.php?id=4940&page=Information_News जापान 2014 में बुध पर उपग्रह भेजेगा]
 
 
==संबंधित लेख==
{{सौरमण्डल}}
[[Category:सौरमण्डल]][[Category:खगोल कोश]]__INDEX__

Latest revision as of 12:01, 8 May 2011

Redirect to: