Difference between revisions of "Template:विशेष आलेख"

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<div style="padding:3px">[[चित्र:Ashokthegreat1.jpg|right|botom|130px|भारतीय संविधान की मूल सुलेखित प्रतिलिपि में प्रदर्शित अशोक के चित्र की प्रतिलिपि |link=अशोक|border]]</div>
 
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    '''[[दिल्ली]]''' तो है दिल वालों की। [[दिल्ली का इतिहास|दिल्ली के इतिहास]] में सम्पूर्ण [[भारत]] की झलक सदैव मौजूद रही है। [[अमीर ख़ुसरो]] और [[ग़ालिब]] की रचनाओं को गुनगुनाती हुई दिल्ली [[नादिरशाह]] की लूट की चीख़ों से सहम भी जाती है। [[चाँदनी चौक]]-[[जामा मस्जिद]] की सकरी गलियों से गुज़रकर चौड़े राजपथ पर 26 जनवरी की परेड को निहारती हुई दिल्ली 30 जनवरी को उन तीन गोलियों की आवाज़ को नहीं भुला पाती जो राष्ट्रपिता [[महात्मा गाँधी]] के सीने में धँस गयी थी। दिल्ली ने [[दौलताबाद]] जाने के तुग़लकी फ़रमानों को भी सुना और [[लाल क़िला दिल्ली|लाल क़िले]] से [[प्रधानमंत्री]] के अभिभाषणों पर तालियाँ भी बजायी। नौ बार लूटे जाने से भी दिल्ली के श्रृंगार में कोई कमी नहीं आयी। आज भी दिल्ली विश्व के सुन्दरतम नगरों में गिनी जाती है। [[दिल्ली|... और पढ़ें]]</poem>
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[[अशोक|अशोक महान ने कहा है:-]]
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    हर दशा में दूसरे सम्प्रदायों का आदर करना ही चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य अपने सम्प्रदाय की उन्नति और दूसरे सम्प्रदायों का उपकार करता है। इसके विपरीत जो करता है, वह अपने सम्प्रदाय की जड़ काटता है और दूसरे सम्प्रदायों का भी अपकार करता है ... ।
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... इसलिए समवाय (परस्पर मेलजोल से रहना) ही अच्छा है, अर्थात् लोग एक-दूसरे के धर्म को ध्यान देकर सुनें और उसकी सेवा करें -[[अशोक|सम्राट अशोक महान]] [[अशोक|... और पढ़ें]]</poem>
 
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Revision as of 11:49, 17 June 2012

vishesh alekh

ashok mahan ne kaha hai:-
     har dasha mean doosare sampradayoan ka adar karana hi chahie. aisa karane se manushy apane sampraday ki unnati aur doosare sampradayoan ka upakar karata hai. isake viparit jo karata hai, vah apane sampraday ki j d katata hai aur doosare sampradayoan ka bhi apakar karata hai ... .
... isalie samavay (paraspar melajol se rahana) hi achchha hai, arthath log ek-doosare ke dharm ko dhyan dekar sunean aur usaki seva karean -samrat ashok mahan ... aur padhean


pichhale vishesh alekh shravasti · shraddh · rang · varanasi