भंवर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replace - "{{लेख प्रगति |आधार=आधार1 |प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}" to "{{लेख प्रगति |आधार= |प्रारम्भि�)
 
(2 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 3: Line 3:
*लिपिबद्ध होने और लिखित पुस्तकों के आम लोगों में पूर्व [[धर्मसूत्र|धर्मसूत्रों]] के संरक्षण और संप्रेषण के माध्यम के लिए ही भंवर पद्धति विकसित की गई थी।  
*लिपिबद्ध होने और लिखित पुस्तकों के आम लोगों में पूर्व [[धर्मसूत्र|धर्मसूत्रों]] के संरक्षण और संप्रेषण के माध्यम के लिए ही भंवर पद्धति विकसित की गई थी।  
*प्रारंभ में विभिन्न समूह के भाणकों (वाचकों) पर धर्मसूत्र के विभिन्न खंडों का दायित्व था। उदाहरणार्थ, दिघ भाणकों को दिघ निकाय (वृहद संकलन) की विशिष्टता प्राप्त थी।   
*प्रारंभ में विभिन्न समूह के भाणकों (वाचकों) पर धर्मसूत्र के विभिन्न खंडों का दायित्व था। उदाहरणार्थ, दिघ भाणकों को दिघ निकाय (वृहद संकलन) की विशिष्टता प्राप्त थी।   
*बाद में सीलोन (वर्तमान [[श्रीलंका]]) में ये समूह व्याखा की प्रारंभिक शाखाओं में विकसित हो गए और अब कुछ टीकात्मक [[साहित्य]] में उनका मतभेद दिखाईं देता है।  
*बाद में [[सीलोन]] (वर्तमान [[श्रीलंका]]) में ये समूह व्याखा की प्रारंभिक शाखाओं में विकसित हो गए और अब कुछ टीकात्मक [[साहित्य]] में उनका मतभेद दिखाईं देता है।  




{{प्रचार}}
{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति
{{लेख प्रगति |आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
|आधार=आधार1
{{संदर्भ ग्रंथ}}
|प्रारम्भिक=
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|शोध=
}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
[[Category:नया पन्ना]]
[[Category:नया पन्ना]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 07:26, 27 July 2012

  • भंवर शब्द संस्कृत और पालि शब्द वाचन शाखा का है।
  • यह सामान्यता: 8,000 वर्णों में फैली एक इकाई है, जिसमें वाचन हेतु प्राचीन काल में पालि बौद्ध ग्रंथ विभाजित किए जाते थे।
  • लिपिबद्ध होने और लिखित पुस्तकों के आम लोगों में पूर्व धर्मसूत्रों के संरक्षण और संप्रेषण के माध्यम के लिए ही भंवर पद्धति विकसित की गई थी।
  • प्रारंभ में विभिन्न समूह के भाणकों (वाचकों) पर धर्मसूत्र के विभिन्न खंडों का दायित्व था। उदाहरणार्थ, दिघ भाणकों को दिघ निकाय (वृहद संकलन) की विशिष्टता प्राप्त थी।
  • बाद में सीलोन (वर्तमान श्रीलंका) में ये समूह व्याखा की प्रारंभिक शाखाओं में विकसित हो गए और अब कुछ टीकात्मक साहित्य में उनका मतभेद दिखाईं देता है।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ