महेश्वर (मध्य प्रदेश): Difference between revisions

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'''महेश्वर''' [[मध्य प्रदेश]] के [[खरगौन ज़िला|खरगौन ज़िले]] में स्थित एक शानदार शहर है। यह [[नर्मदा नदी]] के किनारे पर बसा है। प्राचीन समय में यह शहर [[होल्कर वंश|होल्कर]] राज्य की राजधानी था। महेश्वर धार्मिक महत्त्व का शहर है तथा [[वर्ष]] भर लोग यहाँ घूमने आते रहते हैं। यह शहर अपनी '[[महेश्वरी साड़ी|महेश्वरी साड़ियों]]' के लिए भी विशेषतौर पर प्रसिद्ध रहा है। महेश्वर को 'महिष्मति' नाम से भी जाना जाता है। महेश्वर का [[हिन्दू]] धार्मिक ग्रंथों '[[रामायण]]' तथा '[[महाभारत]]' में भी उल्लेख मिलता है। [[अहिल्याबाई होल्कर|देवी अहिल्याबाई होल्कर]] के कालखंड में बनाये गए यहाँ के घाट बहुत सुन्दर हैं और इनका प्रतिबिम्ब नर्मदा नदी के [[जल]] में बहुत ख़ूबसूरत दिखाई देता है। महेश्वर [[इंदौर]] से सबसे नजदीक है।
#REDIRECT [[महेश्वर]]
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==स्थिति तथा नामकरण==
महेश्वर शहर [[मध्य प्रदेश]] के खरगौन ज़िले में स्थित है। यह [[राष्ट्रीय राजमार्ग 3|राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 3]] ([[आगरा]]-[[मुंबई]] राजमार्ग) से पूर्व में तेरह किलोमीटर अन्दर की ओर बसा हुआ है तथा मध्य प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी [[इंदौर]] से 91 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह नगर [[नर्मदा नदी]] के उत्तरी तट पर स्थित है। शहर आज़ादी से पहले [[होल्कर वंश]] के [[मराठा]] शासकों के इंदौर राज्य की राजधानी था। इस शहर का नाम 'महेश्वर' भगवान [[शिव]] के ही एक अन्य नाम 'महेश' के आधार पर पड़ा है। अतः महेश्वर का शाब्दिक अर्थ है- "भगवान शिव का घर"।<ref name="aa">{{cite web |url= http://www.ghumakkar.com/%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0-%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%81-%E0%A4%A8%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%A6%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%A8/|title=महेश्वर-एक दिन देवी अहिल्या के नगरी में:भाग-1|accessmonthday= 31 अगस्त|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= घुमक्कड़|language= हिन्दी}}</ref>
==इतिहास==
महेश्वर [[इतिहास]] प्रसिद्ध नगरों में से एक रहा है। निमाड़ एवं महेश्वर का इतिहास लगभग 4500 वर्ष पुराना है। रामायण काल में महेश्वर को '[[महिष्मति]]' के नाम से जाना जाता था। उस समय 'महिष्मति' [[हैहय वंश]] के बलशाली शासक सहस्रार्जुन की राजधानी हुआ करता था, जिसने बलशाली [[लंका]] के राजा [[रावण]] को भी परास्त किया था। [[महाभारत]] काल में यह शहर अनूप जनपद की राजधानी बनाया गया था। सहस्रार्जुन द्वारा ऋषि जमदग्नि को प्रताड़ित करने के कारण उनके पुत्र भगवान [[परशुराम]] ने सहस्त्रार्जुन का वध किया था। कालांतर में यह शहर होल्कर वंश की महान महारानी देवीअहिल्या बाई की राजधानी रहा।
====धार्मिक महत्त्व====
महेश्वर [[हिन्दू धर्म]] के लोगों के लिए किसी धार्मिक स्थल से कम नहीं है। अपने धार्मिक महत्त्व में यह शहर [[काशी]] के सामान भगवान शिव की प्रिय नगरी है। मंदिरों और शिवालयों की निर्माण श्रंखला के लिए इसे '''गुप्त काशी''' कहा गया है। अपने पौराणिक महत्त्व में [[स्कंदपुराण]], रेवाखंड तथा [[वायुपुराण]] आदि के नर्मदा रहस्य में इसका 'महिष्मति' नाम से उल्लेख मिलता है।
==पर्यटन स्थल==
[[अहिल्याबाई होल्कर|अहिल्याबाई]] का क़िला एवं राजगद्दी, राजराजेश्वर मन्दिर, नर्मदा के सुरम्य घाट तथा सहस्त्रधारा महेश्वर के मुख्य आकर्षण हैं, जो इसे एक दर्शनीय स्थल बनाते हैं। महेश्वर के क़िले के अन्दर रानी अहिल्याबाई की राजगद्दी पर बैठी एक मनोहारी प्रतिमा राखी गई है। महेश्वर में घाट के पास ही कालेश्वर, राजराजेश्वर, विट्ठलेश्वर, और अहिल्येश्वर मंदिर हैं. मण्डलेश्वर के निकट 'वांचू पॉइन्ट' नामक स्थान है, जहाँ [[इन्दौर]] शहर में नर्मदा के [[जल]] की आपूर्ति करने वाला केन्द्र है। [[नर्मदा नदी]] का जल विद्युत पंपों द्वारा वांचू पॉइन्ट तक खींचा जाता है। यहाँ से यह जल [[गुरुत्व]] के कारण इन्दौर तक प्रवाहित होता है।
====अहिल्या घाट====
अहिल्या घाट महेश्वर के ख़ूबसूरत घाटों में से एक है। यह इतना सुन्दर है की बस घंटों निहारते रहने का मन करता है। चारों और शिव जी के छोटे और बड़े मंदिर, हर जगह [[शिवलिंग]] ही शिवलिंग दिखाई देते हैं। सामने देखो तो नर्मदा नदी अपने पूरे तीव्र वेग से प्रवाहित होती दिखाई देती हैं। आस पास देखो तो शिव मंदिर दिखाई देते हैं और पीछे की और देखो तो महेश्वर का एतिहासिक तथा ख़ूबसूरत क़िला होल्कर राजवंश तथा रानी [[अहिल्याबाई होल्कर|देवी अहिल्याबाई]] के शासन काल की गौरवगाथा का बखान करता प्रतीत होता है। यह घाट पूरी तरह से शिवमय दिखाई देता है। पूरे घाट पर पाषाण के अनगिनत शिवलिंग निर्मित हैं। महेश्वर की महारानी देवी अहिल्याबाई से बढ़कर शिवभक्त [[आधुनिक काल]] में कोई नहीं हुआ है।<ref name="aa"/> उन्होंने पूरे [[भारत]] में शिव मंदिरों का तथा घाटों का निर्माण तथा पुनरोद्धार करवाया था, जिनमें प्रमुख हैं-
वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर
एलोरा का घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग
सोमनाथ का प्राचीन मंदिर
महाराष्ट्र का वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर
 
इन उल्लेखों के अनुसार यह सोचा जा सकता है कि अपनी राजधानी से इतनी दूर-दूर तक देवी अहिल्याबाई ने मंदिरों तथा घाटों का निर्माण करवाया तो उनके अपने शहर, अपने निवास स्थान के घाट को जहाँ वे स्वयं नर्मदा के किनारे पर [[शिव]] का अभिषेक करती थीं, उसे कैसा बनवाया होगा?
====क़िला====
महेश्वर का क़िला आज भी पूरी तरह से सुरक्षित है तथा बहुत ही सुन्दर तरीके से बनाया गया है। यह बड़ी मजबूती के साथ [[नर्मदा नदी]] के किनारे पर सदियों से डटा हुआ है। क़िले में प्रवेश के लिए घाट के पास से ही एक चौड़ा घेरा लिए बहुत सारी सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। यह क़िला जितना सुन्दर बाहर से है, उससे भी ज्यादा सुन्दर तथा आकर्षक यह अन्दर से लगता है। इतनी सुन्दर कारीगरी, इतनी सुन्दर शिल्पकारी, इतना सुन्दर एवं मजबूत निर्माण की आज भी यह क़िला नया जैसा लगता है। अन्दर जाकर एक तरफ़ राजराजेश्वर शिव मंदिर है तथा दूसरी तरफ़ एक अन्य स्मारक है। कुल मिलाकर एक बड़ा ही सुन्दर दृश्य उपस्थित होता है और कहीं जाने का मन ही नहीं होता। ऐसा लगता है की घंटों एक ही जगह खड़े होकर इस क़िले की नक्काशी तथा कारीगरी, झरोखों, दरवाज़ों एवं दीवारों को बस देखते ही रहें। क़िले के अन्दर कुछ क़दमों की दूरी पर ही प्राचीन राजराजेश्वर शैव मंदिर दिखाई देता है। यह एक विशाल शिव मंदिर है, जिसका निर्माण क़िले के अन्दर ही [[अहिल्याबाई होल्कर]] ने करवाया था। यह मंदिर भी क़िले की ही तरह पूर्णतः सुरक्षित है एवं कहीं से भी खंडित नहीं हुआ है। आज भी यहाँ दोनों समय साफ़-सफाई, [[पूजा]]-पाठ तथा जल अभिषेक वगैरह अनवरत जारी है। देवी अहिल्याबाई इसी मंदिर में रोजाना सुबह-शाम पूजा-पाठ किया करती थीं।<ref name="bb">{{cite web |url= http://www.ghumakkar.com/%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0-%E0%A4%8F%E0%A4%95-%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%A8-%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A5%80-%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D/|title=महेश्वर-नर्मदा का हर कंकर है शंकर, नमामि देवी नर्मदे, भाग-2|accessmonthday= 31 अगस्त|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= घुमक्कड़|language= हिन्दी}}</ref>
==अन्य आकर्षण==
लम्बा चौड़ा [[नर्मदा नदी]] का तट एवं उस पर बने अनेकों सुन्दर घाट एवं पाषाण कला का सुन्दर चित्र दिखाने वाला क़िला, इस शहर का प्रमुख पर्यटन आकर्षण है। समय-समय पर इस शहर की गोद में मनाये जाने वाले तीज-त्यौहार, उत्सव, पर्व इस शहर की रंगत में चार चाँद लगा देते हैं, जिनमें '[[शिवरात्रि]] पर होने वाला [[स्नान]], निमाड़ उत्सव, लोकपर्व [[गणगौर]], [[नवरात्र]], गंगादाष्मी, नर्मदा जयंती, अहिल्या जयंती एवं [[श्रावण|श्रावण माह]] के अंतिम [[सोमवार]] को भगवान काशी विश्वनाथ के नगर भ्रमण की शाही सवारी प्रमुख हैं। यहाँ के पेशवा घाट, फणसे घाट और अहिल्या घाट प्रसिद्द हैं, जहाँ तीर्थयात्री शांति से बैठकर [[ध्यान]] में डूब सकते हैं। नर्मदा नदी के बालुई किनारे पर बैठकर यात्री यहाँ के ठेठ ग्रामीण जीवन के दर्शन कर सकते हैं। [[पीतल]] के बर्तनों में पानी ले जाती महिलायें, एक किनारे से दूसरे किनारे पर सामान ले जाते पुरुष एवं किल्लोल करता बालकों का बचपन आकर्षित करता है।
==अहिल्याबाई की स्मृतियाँ==
[[इंदौर]] के बाद देवी अहिल्याबाई ने महेश्वर को ही अपनी स्थाई राजधानी बना लिया था तथा बाकी का जीवन उन्होंने, अपने अंत समय तक यहाँ महेश्वर में ही बिताया। मां नर्मदा का किनारा, किनारे पर सुन्दर घाट, घाट पर कई सारे शिवालय, घाट पर बने अनगिनत [[शिवलिंग]], घाट से ही लगा उनका सुन्दर क़िला, क़िले के अन्दर उनका निजी निवास स्थान, यही सब देवी अहिल्या को सुकून देता था और उनका मन यहीं रमता था। शायद इसीलिए इंदौर छोड़कर वे हमेशा के लिए यहीं महेश्वर में आकर रहने लगी थीं एवं महेश्वर को ही अपनी आधिकारिक राजधानी बना लिया था। यहाँ के लोग आज भी देवी अहिल्याबाई को "मां साहेब" कह कर सम्मान देते हैं। महेश्वर के घाटों में, बाजारों में, मंदिरों में, गलियों में, यहाँ की वादियों में यहाँ की फिजाओं में, हर तरफ देवी अहिल्याबाई की स्मृतियों की बयारें चलती हैं। आज भी महेश्वर की वादियों में देवी अहिल्याबाई अमर हैं।<ref name="bb"/>
 
मां नर्मदा सदियों से एक मूक दर्शक की तरह अपने इसी घाट से देवी अहिल्याबाई की [[भक्ति]], उनकी शक्ति, उनका गौरव, उनका वैभव, उनका साम्राज्य, उनका न्याय अपलक देखती आई हैं और आज भी मां रेवा का पवित्र जल देवी अहिल्याबाई की भक्ति का साक्षी है और मां रेवा की लहरें जैसे देवी अहिल्या का गौरव गान करती प्रतीत होती हैं।  'नमामि देवी नर्मदे….. नमामि देवी नर्मेदे……. नमामि देवी नर्मदे।'
==जनसंख्या==
इस शहर की आबादी सन [[2001]] की जनगणना के अनुसार 19,649 है तथा नगर पंचायत इस शहर का रखरखाव करती है।<ref>{{cite web |url=http://khargone.nic.in/maheshwari_saries/City.htm |title=महेश्वर शहर|accessmonthday= 20 नवम्बर|accessyear= 2012|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=[[हिन्दी]]}}</ref> यह एक तहसील मुख्यालय भी है। अनुविभाग मुख्यालय मण्डलेश्वर यहाँ से 10 कि.मी. की दूरी पर है, जहाँ पर [[खरगौन ज़िला|खरगौन ज़िले]] का न्यायिक मुख्यलय स्थित है। ये दोनों शहर एक प्रकार से जुड़वां शहरों जैसे ही हैं। मण्डलेश्वर में एक प्रमुख जल विद्युत परियोजना, नर्मदा नदी पर निर्माणाधीन है।
====सम्पर्क मार्ग====
महेश्वर सड़क मार्ग द्वारा [[खरगौन]], [[इन्दौर]], [[धार]] और [[खण्डवा]] आदि से प्रमुख रूप से जुड़ा हुआ है।
 
 
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==संबंधित लेख==
{{मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान}}{{मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थल}}
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Latest revision as of 11:19, 1 September 2014