कुल्हाड़ी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''कुल्हाड़ी''' लकड़ी काटने का एक प्रमुख औजार है, जिसका ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
Line 1: Line 1:
'''कुल्हाड़ी''' लकड़ी काटने का एक प्रमुख औजार है, जिसका प्रयोग प्राचीन काल से ही होता आ रहा है। इसका प्रयोग सदियों से लकड़ी को विभिन्न प्रकार के आकार देने या कई टुकड़ों में काटने के लिए किया जाता है। जंगल से लकड़ियाँ काटने और बड़े-बड़े पेड़ों की शाखाओं को छोटे टुकड़ों में काटने के लिए भी इसका प्रयोग होता है। युद्ध मे एक बेहतर हथियार और एक औपचारिक प्रतीक के रूप में भी कुल्हाड़ी का इस्तेमाल किया जाता था।
[[चित्र:Hatchet.jpg|thumb|250px|कुल्हाड़ी]]
'''कुल्हाड़ी''' लकड़ी काटने का एक प्रमुख औज़ार है, जिसका प्रयोग प्राचीन काल से ही होता आ रहा है। इसका प्रयोग सदियों से लकड़ी को विभिन्न प्रकार के आकार देने या कई टुकड़ों में काटने के लिए किया जाता है। जंगल से लकड़ियाँ काटने और बड़े-बड़े पेड़ों की शाखाओं को छोटे टुकड़ों में काटने के लिए भी इसका प्रयोग होता है। युद्ध मे एक बेहतर हथियार और एक औपचारिक प्रतीक के रूप में भी कुल्हाड़ी का इस्तेमाल किया जाता था।
==किस्से-कहानियों में==
==किस्से-कहानियों में==
कुल्हाड़ी के लिए हिन्दी में अन्य शब्द 'फरसा' या 'कुठार' का भी प्रयोग किया जाता है। [[भारत]] ही नहीं अपितु विश्व के अधिकांश देशों में कुल्हाड़ी से जुड़ी असंख्य कहानियाँ तथा किस्से पुस्तकों में भरे पड़े हैं। बच्चों की कहानियों में भी लकड़हारा तथा उसकी कुल्हाड़ी बहुत ही प्रसिद्ध रही है। इस औजार का प्रयोग भारत में बहुत पहले से ही जीविकोपार्जन का लिए बड़े पैमाने पर किया जाता रहा है।
कुल्हाड़ी के लिए हिन्दी में अन्य शब्द 'फरसा' या 'कुठार' का भी प्रयोग किया जाता है। [[भारत]] ही नहीं अपितु विश्व के अधिकांश देशों में कुल्हाड़ी से जुड़ी असंख्य कहानियाँ तथा किस्से पुस्तकों में भरे पड़े हैं। बच्चों की कहानियों में भी लकड़हारा तथा उसकी कुल्हाड़ी बहुत ही प्रसिद्ध रही है। इस औज़ार का प्रयोग भारत में बहुत पहले से ही जीविकोपार्जन का लिए बड़े पैमाने पर किया जाता रहा है।
====संरचना====
====संरचना====
कुल्हाड़ी को विभिन्न कार्यों के अनुसार कई रूप दिये गये हैं, लेकिन एक साधारण कुल्हाड़ी में एक लोहे या इस्पात का सिर और लकड़ी का हत्था होता है। कुल्हाड़ी में अच्छी किस्म का [[लोहा]] या इस्पात प्रयोग किया जाता है। लोहे को एक सिरे से पीटकर काफ़ी तेज़ धार वाला बनाया जाता है। धार वाले हिस्से के पिछले भाग में एक गोल छेद रखा जाता है, जिसमें लकड़ी का हत्था लगाया जाता है। जो हत्था कुल्हाड़ी में लगाया जाता है, उसमें इस बात का ध्यान रखते हैं कि वह आगे से मोटा और पीछे से पतला हो। इस प्रकार के हत्थे का लाभ यह है कि लकड़ी काटने वाले को ताकत कम लगानी पड़ती है और लकड़ी पर वार भी अच्छा होता है।
कुल्हाड़ी को विभिन्न कार्यों के अनुसार कई रूप दिये गये हैं, लेकिन एक साधारण कुल्हाड़ी में एक लोहे या इस्पात का सिर और लकड़ी का हत्था होता है। कुल्हाड़ी में अच्छी किस्म का [[लोहा]] या इस्पात प्रयोग किया जाता है। लोहे को एक सिरे से पीटकर काफ़ी तेज़ धार वाला बनाया जाता है। धार वाले हिस्से के पिछले भाग में एक गोल छेद रखा जाता है, जिसमें लकड़ी का हत्था लगाया जाता है। जो हत्था कुल्हाड़ी में लगाया जाता है, उसमें इस बात का ध्यान रखते हैं कि वह आगे से मोटा और पीछे से पतला हो। इस प्रकार के हत्थे का लाभ यह है कि लकड़ी काटने वाले को ताकत कम लगानी पड़ती है और लकड़ी पर वार भी अच्छा होता है।
Line 12: Line 13:
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==


[[Category:नया पन्ना फ़रवरी-2013]]
[[Category:घरेलू उपकरण]][[Category:उपकरण]][[Category:संस्कृति कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

Latest revision as of 13:54, 12 October 2014

thumb|250px|कुल्हाड़ी कुल्हाड़ी लकड़ी काटने का एक प्रमुख औज़ार है, जिसका प्रयोग प्राचीन काल से ही होता आ रहा है। इसका प्रयोग सदियों से लकड़ी को विभिन्न प्रकार के आकार देने या कई टुकड़ों में काटने के लिए किया जाता है। जंगल से लकड़ियाँ काटने और बड़े-बड़े पेड़ों की शाखाओं को छोटे टुकड़ों में काटने के लिए भी इसका प्रयोग होता है। युद्ध मे एक बेहतर हथियार और एक औपचारिक प्रतीक के रूप में भी कुल्हाड़ी का इस्तेमाल किया जाता था।

किस्से-कहानियों में

कुल्हाड़ी के लिए हिन्दी में अन्य शब्द 'फरसा' या 'कुठार' का भी प्रयोग किया जाता है। भारत ही नहीं अपितु विश्व के अधिकांश देशों में कुल्हाड़ी से जुड़ी असंख्य कहानियाँ तथा किस्से पुस्तकों में भरे पड़े हैं। बच्चों की कहानियों में भी लकड़हारा तथा उसकी कुल्हाड़ी बहुत ही प्रसिद्ध रही है। इस औज़ार का प्रयोग भारत में बहुत पहले से ही जीविकोपार्जन का लिए बड़े पैमाने पर किया जाता रहा है।

संरचना

कुल्हाड़ी को विभिन्न कार्यों के अनुसार कई रूप दिये गये हैं, लेकिन एक साधारण कुल्हाड़ी में एक लोहे या इस्पात का सिर और लकड़ी का हत्था होता है। कुल्हाड़ी में अच्छी किस्म का लोहा या इस्पात प्रयोग किया जाता है। लोहे को एक सिरे से पीटकर काफ़ी तेज़ धार वाला बनाया जाता है। धार वाले हिस्से के पिछले भाग में एक गोल छेद रखा जाता है, जिसमें लकड़ी का हत्था लगाया जाता है। जो हत्था कुल्हाड़ी में लगाया जाता है, उसमें इस बात का ध्यान रखते हैं कि वह आगे से मोटा और पीछे से पतला हो। इस प्रकार के हत्थे का लाभ यह है कि लकड़ी काटने वाले को ताकत कम लगानी पड़ती है और लकड़ी पर वार भी अच्छा होता है।

कुल्हाड़ियों के प्राचीन प्रकारों मे इसका हत्था लकड़ी का और सिर मजबूत पत्थर का बना होता था। सभ्यता में प्रगति और तकनीकों के विकास के साथ-साथ कुल्हाड़ी के सिर ताँबे, पीतल, लोहे और इस्पात से भी बनाये जाने लगे। आधुनिक कुल्हाड़ी में कहीं-कहीं लकड़ी के हत्थे के स्थान पर हल्के लोहे का हत्था भी प्रयोग किया जाता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख