चंपारण का सच: Difference between revisions

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'''चंपारण का सच''' एक प्रसिद्ध पुस्तक है जिसके रचनाकार अतुल प्रियदर्शी है। [[भारत]] में गांधीवादी राजनीति की शुरुआती प्रयोगभूमि के बतौर चंपारण का नाम इतिहास में दर्ज है। ‘[[चम्पारन सत्याग्रह]]’ [[भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन|भारतीय स्वाधीनता आंदोलन]] का भी एक महत्वपूर्ण पड़ाव था। इतिहासकारों ने इस आंदोलन के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक आयामों को कई नजरिये से देखा और समझा है। इसके बावजूद अभी कुछ ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, जो अछूते रह गए, जिनकी ओर इतिहास लेखन के अब तक के उपलब्ध स्रोतों की परख के जरिये ‘चंपारण का सच’ नामक किताब पाठकों का ध्यान आकर्षित करती है। चंपारण सत्याग्रह के बारे इतिहासकारों के अलग-अलग नजरिये भी पाठक इस किताब के जरिये अवगत हो सकते हैं। यह इसकी खासियत है। <ref>{{cite web |url=http://www.livehindustan.com/news/sachin/tayaarinews/article1-story-99-67-457282.html |title= कालजयी कृति |accessmonthday=14 मार्च |accessyear=2015 |last= सुशांत|first=धर्मेद्र  |authorlink= |format= |publisher=हिंदुस्तान लाइव |language= हिन्दी}}</ref>
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Latest revision as of 11:22, 14 March 2015

चंपारण का सच
लेखक अतुल प्रियदर्शी
प्रकाशक तरुण प्रकाशन, ग़ाज़ियाबाद
देश भारत
भाषा हिन्दी
विषय भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन
मुखपृष्ठ रचना सजिल्द

चंपारण का सच एक प्रसिद्ध पुस्तक है जिसके रचनाकार अतुल प्रियदर्शी है। भारत में गांधीवादी राजनीति की शुरुआती प्रयोगभूमि के बतौर चंपारण का नाम इतिहास में दर्ज है। ‘चम्पारन सत्याग्रहभारतीय स्वाधीनता आंदोलन का भी एक महत्वपूर्ण पड़ाव था। इतिहासकारों ने इस आंदोलन के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक आयामों को कई नजरिये से देखा और समझा है। इसके बावजूद अभी कुछ ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, जो अछूते रह गए, जिनकी ओर इतिहास लेखन के अब तक के उपलब्ध स्रोतों की परख के जरिये ‘चंपारण का सच’ नामक किताब पाठकों का ध्यान आकर्षित करती है। चंपारण सत्याग्रह के बारे में इतिहासकारों के अलग-अलग नजरिये भी पाठक इस किताब के जरिये अवगत हो सकते हैं। यह इसकी ख़ासियत है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सुशांत, धर्मेद्र। कालजयी कृति (हिन्दी) हिंदुस्तान लाइव। अभिगमन तिथि: 14 मार्च, 2015।

बाहरी कड़ियाँ

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