अम्बुतीर्थ: Difference between revisions

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'''अम्बुतीर्थ''' शिरावती नदी के उद्गमस्थल को कहते हैं जो कर्नाटक राज्य के शिमोगा जिले में तीर्थहाल्ली तालुक में स्थित है। विरूर-तालगुप्प लाइन पर शिमोगा स्टेशन है। यहाँ से यह स्थान 45 मील है। यहां आने के लिए समय-समय पर बसें चलती हैं। योगशाला के नाम से एक धर्मशाला है। अभिषेक सरोवर है। इससे बहती हुई नदी जोगकूप नामक स्थान पर गिरती है।  
'''अम्बुतीर्थ''' शिरावती नदी के उद्गमस्थल को कहते हैं जो [[कर्नाटक]] राज्य के शिमोगा जिले में तीर्थहाल्ली तालुक में स्थित है। विरूर-तालगुप्प लाइन पर शिमोगा स्टेशन है। यहाँ से यह स्थान 45 मील है। यहां आने के लिए समय-समय पर बसें चलती हैं। योगशाला के नाम से एक धर्मशाला है। अभिषेक सरोवर है। इससे बहती हुई नदी जोगकूप नामक स्थान पर गिरती है।  


'''जोगप्रपात'''– इसे जरसोपा या जोगकाल कहते हैं। विश्व के यह बड़े प्रपातों में है। शरावती नदी का जल आधे मील की चौड़ाई में 960 फुट ऊँचे से 132 फुट गहरे कुंड में गिरता है। यहाँ 4 प्रपात हैं। इनमें पहला सबसे बड़ा है। दूसरे को गर्जने वाला प्रपात कहते हैं। तीसरा अग्निवाण प्रपात है। चौथा सुकुमार प्रपात बहुत सुंदर दिखता है।  
'''जोगप्रपात'''– इसे जरसोपा या जोगकाल कहते हैं। विश्व के यह बड़े प्रपातों में है। शरावती नदी का जल आधे मील की चौड़ाई में 960 फुट ऊँचे से 132 फुट गहरे कुंड में गिरता है। यहाँ 4 प्रपात हैं। इनमें पहला सबसे बड़ा है। दूसरे को गरजने वाला प्रपात कहते हैं। तीसरा अग्निवाण प्रपात है। चौथा सुकुमार प्रपात बहुत सुंदर दिखता है।  





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अम्बुतीर्थ शिरावती नदी के उद्गमस्थल को कहते हैं जो कर्नाटक राज्य के शिमोगा जिले में तीर्थहाल्ली तालुक में स्थित है। विरूर-तालगुप्प लाइन पर शिमोगा स्टेशन है। यहाँ से यह स्थान 45 मील है। यहां आने के लिए समय-समय पर बसें चलती हैं। योगशाला के नाम से एक धर्मशाला है। अभिषेक सरोवर है। इससे बहती हुई नदी जोगकूप नामक स्थान पर गिरती है।

जोगप्रपात– इसे जरसोपा या जोगकाल कहते हैं। विश्व के यह बड़े प्रपातों में है। शरावती नदी का जल आधे मील की चौड़ाई में 960 फुट ऊँचे से 132 फुट गहरे कुंड में गिरता है। यहाँ 4 प्रपात हैं। इनमें पहला सबसे बड़ा है। दूसरे को गरजने वाला प्रपात कहते हैं। तीसरा अग्निवाण प्रपात है। चौथा सुकुमार प्रपात बहुत सुंदर दिखता है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

हिन्दूओं के तीर्थ स्थान |लेखक: सुदर्शन सिंह 'चक्र' |पृष्ठ संख्या: 175 |


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