छोड़ो कल की बातें: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - " रुख " to " रुख़ ")
m (Text replacement - " जगत " to " जगत् ")
 
(3 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 6: Line 6:
* संगीतकार :  ऊषा खन्ना  
* संगीतकार :  ऊषा खन्ना  
* गायक :  [[मुकेश]]
* गायक :  [[मुकेश]]
* गीतकार: प्रेम धवन   
* गीतकार: [[प्रेम धवन]]  
|}
|}
{{Poemopen}}
{{Poemopen}}
Line 15: Line 15:


आज पुरानी ज़ंजीरों को तोड़ चुके हैं
आज पुरानी ज़ंजीरों को तोड़ चुके हैं
क्या देखें उस मंजिल को जो छोड़ चुके हैं
क्या देखें उस मंज़िल को जो छोड़ चुके हैं
चाँद के दर पे जा पहुंचा है आज ज़माना
चाँद के दर पे जा पहुंचा है आज ज़माना
नये जगत से हम भी नाता जोड़ चुके हैं
नये जगत् से हम भी नाता जोड़ चुके हैं
नया खून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
नया ख़ून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ...
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ...


Line 25: Line 25:
अभी पलटना है रुख़ कितने दरियाओं का
अभी पलटना है रुख़ कितने दरियाओं का
कितने पवर्त राहों से हैं आज हटाने
कितने पवर्त राहों से हैं आज हटाने
नया खून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
नया ख़ून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ...
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ...


Line 32: Line 32:
राम की इस धरती को गौतम की भूमी को
राम की इस धरती को गौतम की भूमी को
सपनों से भी प्यारा हिंदुस्तान बनाएं
सपनों से भी प्यारा हिंदुस्तान बनाएं
नया खून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
नया ख़ून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ...
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ...


Line 39: Line 39:
सोने की ये गंगा है चांदी की यमुना
सोने की ये गंगा है चांदी की यमुना
चाहो तो पत्थर पे धान उगाकर देखो
चाहो तो पत्थर पे धान उगाकर देखो
नया खून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
नया ख़ून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ...
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ...
</poem>
</poem>

Latest revision as of 13:51, 30 June 2017

संक्षिप्त परिचय

छोड़ो कल की बातें कल की बात पुरानी
नये दौर में लिखेंगे मिलकर नई कहानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ...

आज पुरानी ज़ंजीरों को तोड़ चुके हैं
क्या देखें उस मंज़िल को जो छोड़ चुके हैं
चाँद के दर पे जा पहुंचा है आज ज़माना
नये जगत् से हम भी नाता जोड़ चुके हैं
नया ख़ून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ...

हमको कितने ताजमहल हैं और बनाने
कितने हैं अजंता हम को और सजाने
अभी पलटना है रुख़ कितने दरियाओं का
कितने पवर्त राहों से हैं आज हटाने
नया ख़ून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ...

आओ मेहनत को अपना ईमान बनाएं
अपने हाथों को अपना भगवान बनाएं
राम की इस धरती को गौतम की भूमी को
सपनों से भी प्यारा हिंदुस्तान बनाएं
नया ख़ून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ...

हर ज़र्रा है मोती आँख उठाकर देखो
माटी में सोना है हाथ बढ़ाकर देखो
सोने की ये गंगा है चांदी की यमुना
चाहो तो पत्थर पे धान उगाकर देखो
नया ख़ून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ...


टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख