पहेली 9 अगस्त 2017: Difference between revisions

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||[[चित्र:Romesh-Chunder-Dutt.jpg|100px|right|border|रमेश चन्द्र दत्त]]'रमेश चन्द्र दत्त' [[अंग्रेज़ी]] और [[बंगला भाषा]] के प्रसिद्ध लेखक थे। वे धन के बहिर्गमन की विचारधारा के प्रवर्तक तथा महान शिक्षाशास्त्री थे। सन [[1899]] में '[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]' के [[कांग्रेस अधिवेशन लखनऊ|लखनऊ अधिवेशन]] की अध्यक्षता उन्होंने की थी। [[रमेश चन्द्र दत्त]] की रचनाओं में 'ब्रिटिश भारत का आर्थिक इतिहास', 'विक्टोरिया युग में भारत' और 'प्राचीन भारतीय सभ्यता का इतिहास' आदि शामिल हैं। ऐतिहासिक उपन्यासकार के रूप में रमेश चन्द्र दत्त को विशेष ख्याति प्राप्त हुई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रमेश चन्द्र दत्त]]
||[[चित्र:Romesh-Chunder-Dutt.jpg|100px|right|border|रमेश चन्द्र दत्त]]'रमेश चन्द्र दत्त' [[अंग्रेज़ी]] और [[बंगला भाषा]] के प्रसिद्ध लेखक थे। वे धन के बहिर्गमन की विचारधारा के प्रवर्तक तथा महान् शिक्षाशास्त्री थे। सन [[1899]] में '[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]' के [[कांग्रेस अधिवेशन लखनऊ|लखनऊ अधिवेशन]] की अध्यक्षता उन्होंने की थी। [[रमेश चन्द्र दत्त]] की रचनाओं में 'ब्रिटिश भारत का आर्थिक इतिहास', 'विक्टोरिया युग में भारत' और 'प्राचीन भारतीय सभ्यता का इतिहास' आदि शामिल हैं। ऐतिहासिक उपन्यासकार के रूप में रमेश चन्द्र दत्त को विशेष ख्याति प्राप्त हुई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रमेश चन्द्र दत्त]]
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Latest revision as of 11:17, 1 August 2017

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वे भारतीय शिक्षाशास्त्री कौन थे, जो धन के बहिर्गमन की विचारधारा के प्रवर्तक थे?

अमर्त्य सेन
जे.सी. कुमारप्पा
रमेश चन्द्र दत्त
राधाकमल मुखर्जी



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