भजौं तो काको मैं भजौं -रहीम: Difference between revisions

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भजूँ तो मैं किसे भजूं ? और तजूं तो कहो किसे तजूँ ? तू तो उस परमतत्व का ज्ञान प्राप्त कर, जो भजन अर्थात राग-अनुराग एवं त्याग से, इन दोनों से बिल्कुल अलग है, सर्वथा निर्लिप्त है।
भजूँ तो मैं किसे भजूं ? और तजूं तो कहो किसे तजूँ ? तू तो उस परमतत्व का ज्ञान प्राप्त कर, जो भजन अर्थात् राग-अनुराग एवं त्याग से, इन दोनों से बिल्कुल अलग है, सर्वथा निर्लिप्त है।


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Latest revision as of 07:47, 7 November 2017

भजौं तो काको मैं भजौं, तजौं तो काको आन ।
भजन तजन से बिलग है, तेहि ‘रहीम’ तू जान ॥

अर्थ

भजूँ तो मैं किसे भजूं ? और तजूं तो कहो किसे तजूँ ? तू तो उस परमतत्व का ज्ञान प्राप्त कर, जो भजन अर्थात् राग-अनुराग एवं त्याग से, इन दोनों से बिल्कुल अलग है, सर्वथा निर्लिप्त है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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