भजौं तो काको मैं भजौं -रहीम: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
('<div class="bgrahimdv"> भजौं तो काको मैं भजौं, तजौं तो काको आन ।<br /> भ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - "अर्थात " to "अर्थात् ") |
||
Line 4: | Line 4: | ||
;अर्थ | ;अर्थ | ||
भजूँ तो मैं किसे भजूं ? और तजूं तो कहो किसे तजूँ ? तू तो उस परमतत्व का ज्ञान प्राप्त कर, जो भजन | भजूँ तो मैं किसे भजूं ? और तजूं तो कहो किसे तजूँ ? तू तो उस परमतत्व का ज्ञान प्राप्त कर, जो भजन अर्थात् राग-अनुराग एवं त्याग से, इन दोनों से बिल्कुल अलग है, सर्वथा निर्लिप्त है। | ||
{{लेख क्रम3| पिछला=बिगरी बात बनै नहीं -रहीम|मुख्य शीर्षक=रहीम के दोहे |अगला=भार झोंकि कै भार में -रहीम}} | {{लेख क्रम3| पिछला=बिगरी बात बनै नहीं -रहीम|मुख्य शीर्षक=रहीम के दोहे |अगला=भार झोंकि कै भार में -रहीम}} |
Latest revision as of 07:47, 7 November 2017
भजौं तो काको मैं भजौं, तजौं तो काको आन ।
भजन तजन से बिलग है, तेहि ‘रहीम’ तू जान ॥
- अर्थ
भजूँ तो मैं किसे भजूं ? और तजूं तो कहो किसे तजूँ ? तू तो उस परमतत्व का ज्ञान प्राप्त कर, जो भजन अर्थात् राग-अनुराग एवं त्याग से, इन दोनों से बिल्कुल अलग है, सर्वथा निर्लिप्त है।
left|50px|link=बिगरी बात बनै नहीं -रहीम|पीछे जाएँ | रहीम के दोहे | right|50px|link=भार झोंकि कै भार में -रहीम|आगे जाएँ |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख