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| | {[[भारतीय संविधान]] को निम्नलिखित में से कौन-सी अनुसूची राज्यसभा में स्थानों के आवंटन से संबंधित है? |
| {निम्न में से कौन [[राज्य]] का आवश्यक अंग नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-14,प्रश्न-55 | |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -सरकार | | -[[भारत का संविधान- तीसरी अनुसूची |तीसरी अनुसूची]] |
| -संप्रभुता
| | +[[भारत का संविधान- चौथी अनुसूची|चौथी अनुसूची]] |
| -भू-भाग | | -[[भारत का संविधान- पांचवीं अनुसूची|पांचवीं अनुसूची]] |
| +कानून
| | -[[भारत का संविधान- छठी अनुसूची|छठीं अनुसूची]] |
| || | | ||[[भारतीय संविधान]] की चौथी अनुसूची [[राज्य सभा]] में स्थानों के आवंटन से संबंधित है। |
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| {राजनीतिक यथार्थवाद के मुख्य प्रवक्ता के रूप में किया विचारक को जाना जाता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-74,प्रश्न-63
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| -जॉर्ज एफ, केनन
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| +मारगेन्थाऊ | |
| -ट्रीटस्के
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| -डेविड ईस्टन
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| ||राजनीति यथार्थवाद का मुख्य प्रवक्ता मारगेन्थाऊ है। अपनी पुस्तक 'पॉलिटिक्स एमंग नेशंस' में मारगेन्थाऊ ने शक्ति को अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का केंन्द्र बिंदु माना है। उसकी दृष्टि में शक्ति राष्ट्रहित का ही प्रतिबिंब है। मारगेन्थाऊ ने यथार्थवाद को सैद्धांतिक आधार प्रदान किया है।
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| {"स्वतंत्रता इसके अलावा और कुछ नहीं है कि इस इच्छा का प्रोत्साहित करना जो विनम्र व्यक्तियों के अनुदिष्ट अंत:करण पर आधारित हो" निम्नलिखित में से कौन-सा वाद इस वक्तव्य को मानता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-88,प्रश्न-31
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| |type="()"} | |
| +उदारवाद
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| -समाजवाद | |
| -बहुलवाद
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| -फासीवाद
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| ||"स्वतंत्रता इसके अलावा और कुछ नहीं है कि उस इच्छा की प्रोत्साहित करना जो विनम्र व्यक्तियों के अनुदिष्ट अंत:करण पर आधारित हो।" यह कथन स्वतंत्रता के उदारवादी धारणा को अभिव्यक्त करता है। इसके अनुसार स्वतंत्रता की इच्छा व्यक्ति की स्वाभाविक प्रवृत्ति है, जिससे उसके सामाजिक जीवन का निर्माण होता है तथा यह व्यक्तित्व के विकास की प्राथमिक शर्त है। उदारवाद के अनुसार, राज्य साधन है तथा व्यक्ति साध्य, अत: राज्य को व्यक्ति की इच्छा को प्रोत्साहित करते हुए उसकी स्वतंत्रता में वृद्धि करनी चाहिए।
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| {'गुटतंत्र के लौह नियम' का प्रतिपादन किसने किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-75,प्रश्न-74
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| +रॉबर्ट मिचेल्स ने
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| -[[मैक्स वेबर]] ने | |
| -परेटो ने
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| -मोस्का ने
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| ||रॉबर्ट मिचेल्स 20वीं सदी के प्रारंभ का जर्मन समाज वैज्ञानिक था। इसे राजनीतिक समाज विज्ञान का अग्रदूत माना जाता है। मोस्का, पैरेटो तथा [[मैक्स वेबर]] के साथ इसे विशिष्ट वर्गवाद का प्रवर्तक माना जाता है। मिचेल्स ने अपनी कृति 'पोलिटिकल पार्टीज' में अपना प्रमुख सिद्धांत 'गुटतंत्र का लौह नियम' प्रस्तुत किया। मिचेल्स की मान्यता है कि सभी संगठित समूह चाहे वे राज्य हो, राजनीतिक दल हो, मजदूर संघ हो, व्यवहार के धरातल पर गुटतंत्र का रूप धारण कर लेते हैं। अर्थात उनमें सारी शक्ति इन गिने नेताओं के हाथों में केंद्रित हो जाती है। चाहे उनका औपचारिक संविधान कैसा भी क्यों न हो। | |
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| {[[भारत]] में केंद्र में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार का गठन कब हुआ था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-157,प्रश्न-119 | | {'पैकेज डील' का संबंध है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-121,प्रश्न-25 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[1968]] में | | -[[भारत]]-[[चीन]] वार्ता से |
| -[[1971]] में | | -[[भारत]]-[[पाक]] वार्ता से |
| +[[1977]] में
| | +[[संयुक्त राष्ट्र संघ]] की सदस्यता से |
| -[[1979]] में | | -कॉमनवेल्थ की सदस्यता से |
| ||भूतपूर्व [[प्रधानमंत्री]] [[इंदिरा गांधी]] द्वारा लागू [[आपातकाल]] ([[1975]]-[[1976]]) के बाद जनसंघ सहित [[भारत]] के प्रमुख राजनैतिक दलों का विलय करके एक नए दल '[[जनता पार्टी]]' का गठन किया गया। जनता पार्टी ने वर्ष 1977 से 1980 तक [[भारत सरकार]] का नेतृत्व किया। इसके नेता [[मोरारजी देसाई]] थे। आंतरिक मतभेदों के कारण वर्ष [[1980]] में जनता पार्टी टूट गई। [[लोकसभा चुनाव]] [[2014]] के पूर्व डॉ. सुब्रमणियन स्वामी जनता पार्टी का विलय [[भारतीय जनता पार्टी]] में कर चुके हैं।
| | ||पैकेज डील का संबंध संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता से था। |
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| {"अंतर्राष्ट्रीय राजनीति राष्ट्रों के बीच निरंतर होने वाले शक्ति संघर्ष के अतिरिक्त कुछ नहीं है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-77,प्रश्न-84
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| |type="()"}
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| -जेम्स रोजनाऊ
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| +मारगेन्थाऊ
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| -फेलिक्स ग्रास
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| -थाम्पसन
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| ||हान्स जे. मारगेन्थाऊ के शब्दों में "अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, राष्ट्रों के बीच निरंतर होने वाले शक्ति संघर्ष के अतिरिक्त कुछ नहीं है"। अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का अंतिम लक्ष्य चाहे कुछ भी हो, शक्ति सदैव तात्कालिक उद्देश्य रखती है। मार्गेन्थाऊ को यथार्थवादी दृष्टिकोण का प्रमुख प्रवक्ता माना जाता है।
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| {सर्वप्रथम किस मार्क्सवादी ने राष्ट्रवाद के अभिमत को स्वीकार किया था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-58,प्रश्न-44
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| |type="()"}
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| -फिदेल कास्त्रो
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| +स्टालिन
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| -ग्राम्सी
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| -काटस्की
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| ||जोसेफ़ स्टालिन ने मार्क्सवाद के अंतर्गत राष्ट्रवाद (Nationalism) का विचार प्रस्तुत किया। इसके पहले [[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]], एंजिल्स व लेनिन का विचार अंतर्राष्ट्रीयतावाद (Internationalism) में विश्वास रखता था, लेकिन स्टालिन ऐसे प्रथम मार्क्सवादी विचारक व राजनेता थे जिसने "एक देश में समाजवाद" का सिद्धांत प्रस्तुत किया। जिसके द्वारा क्रांति के अंतर्राष्ट्रीयतावाद की चाहत कम होती गई।
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| {सिंडिकेलिस्ट समाजवाद में इनमें से किस पर अधिक जोर दिया गया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-61,प्रश्न-55 | | {सर आइवर जेनिंग्स द्वारा लिखित पुस्तक कौन नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-205,प्रश्न-34 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -असंगठित श्रमिकों और शांतिपूर्ण आंदोलन पर | | -सम कैरेक्टरस्टिक्स ऑफ़ दि इंडियन कांस्टीट्यूशन |
| -सहकारिता और भूमिहीन श्रमिकों पर | | -दी लॉ एंड दी कांस्टीट्यूशन |
| -कृषकों-श्रमिकों की एकता पर | | +माडर्न कांस्टीट्यूशन |
| +श्रमिक संघ और व्यापक हड़ताल पर
| | -कैबिनेट गवर्नमेंट |
| ||सिंडिकेलिस्ट समाजवाद की कार्यपद्धतियों में आम हड़ताल, औद्योगिक तोड़फोड़, बहिष्कार, धीरे-धीरे काम करना, सुस्ती, लापरवाही तथा ग़लत लेबल लगाना प्रमुख हैं। ये अपनी कार्यपद्धति को सांकेतिक नाम ''केकेनी'' देते हैं। | | ||'मॉडर्न कांस्टीट्यूशन' नामक पुस्तक के.सी. व्हीयर द्वारा लिखी गई है। शेष पुस्तकों को सर आइवर जेनिंग्स द्वारा लिखा गया है। |
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| {कौन-सा सिद्धांत मानता है कि अधिकार राज्य द्वारा निर्मित है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-90,प्रश्न-11 | | {यदि राज्य सभा किसी संविधान संशोधन विधेयक पर लोक सभा से असहमत हो तो ऐसी स्थिति में-(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-141,प्रश्न-25 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| +कानूनी | | +संशोधन विधेयक पारित नहीं माना जाता |
| -प्राकृतिक | | -दोनों सदनों की संयुक्त बैठक द्वारा इसका निर्णय होगा |
| -ऐतिहासिक | | -लोक सभा द्वारा दो-तिहाई बहुमत से यह विधेयक पारित कर दिया जाएगा |
| -आदर्शवादी | | -लोक सभा राज्य सभा के मत को अस्वीकृत कर देगी |
| | | ||संविधान संशोधन विधेयक संसद के दोनों सदनों द्वारा अलग-अलग विशेष बहुमत से स्वीकृत किया जाना आवश्यक है। दोनों सदनों में असहमति की स्थिति में विधेयक अंतिम रूप से समाप्त हो जाएगा क्योंकि संविधान संशोधन के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की संविधान में कोई व्यवस्था नहीं हैं। |
| {शब्द 'फेडरेलिज्म', 'फोडस' (Foedus) से ग्रहण किया गया है। यह किस भाषा से लिया गया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-96,प्रश्न-1
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| |type="()"}
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| -स्पेनिश | |
| +लैटिन
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| -फ्रेंच
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| -[[अंग्रेज़ी]]
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| ||'फेडरेलिज्म' शब्द लैटिन भाषा के 'फोडस' से ग्रहण किया गया है। | |
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