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| {कानून का सर्वमान्य स्त्रोत है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-99,प्रश्न-3 | | {[[भारतीय संविधान]] को निम्नलिखित में से कौन-सी अनुसूची राज्यसभा में स्थानों के आवंटन से संबंधित है? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -परम्परा तथा रीति-रिवाज
| | -[[भारत का संविधान- तीसरी अनुसूची |तीसरी अनुसूची]] |
| -[[धर्म]] | | +[[भारत का संविधान- चौथी अनुसूची|चौथी अनुसूची]] |
| -कानूनी टीकाएं
| | -[[भारत का संविधान- पांचवीं अनुसूची|पांचवीं अनुसूची]] |
| +[[विधान मंडल]] | | -[[भारत का संविधान- छठी अनुसूची|छठीं अनुसूची]] |
| ||कानून का सर्वमान्य स्त्रोत [[विधानमंडल]] है। [[भारत]] के [[संविधान]] के अनुसार, राष्ट्रीय स्तर पर [[संसद]] सर्वोच्च विधायी निकाय है। संविधान की सातवीं अनुसूची में संघ तथा समवर्ती सूचियों में इसके लिए आवंटित अनेक विषयों पर यह विधान बना सकती है। अवशिष्ट शक्ति चूंकि संसद में निहित है, अत: यह उन विषयों पर भी विधान बना सकती है जो विशिष्टता राज्यों को न सौपें गए हों।
| | ||[[भारतीय संविधान]] की चौथी अनुसूची [[राज्य सभा]] में स्थानों के आवंटन से संबंधित है। |
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| {निम्न में किसमें राजनैतिक दल भाग नहीं लेते हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-105,प्रश्न-3
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| |type="()"}
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| -शासन
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| -विधि-निर्मान
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| +प्रदत्त विधि-निर्माण
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| -[[निर्वाचन आयोग|निर्वाचन]]
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| ||राजनीतिक दलों के कार्यों में प्रदत्त विधि निर्माण या प्रत्यायुक्त विधायन का कार्य नहीं आता है। राजनीतिक दलों के कार्यों में मुख्यत: चुनावों में प्रतिभाग करना, नीति निर्माण करना, नेताओं की भर्ती एवं प्रशिक्षण करना, सरकार चलाना, विपक्ष की भूमिका निभाना, जनमत का निर्माण करना, हित प्रकटीकरण एवं समूहन एवं राजनीतिक समाजीकरण शामिल है।
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| {"राजनीतिक दल जनतंत्र से कहीं अधिक प्राचीन हैं।" यह किसने कहा है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-109,प्रश्न-33
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| |type="()"}
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| -लास्की
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| +ब्राइस
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| -लॉवेल
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| -बर्क
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| ||जेम्स ब्राइस ने अपनी पुस्तक 'माडर्न डेमोक्रेसीज' के भाग एक के नौवें अध्याय की पहली पंक्ति में उल्लेख किया है कि "राजनीतिक दल जनतंत्र से कहीं अधिक प्राचीन हैं।"
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| {इनमें से किसने नौकरशाही की परिभाषा दी थी? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-132,प्रश्न-23 | | {'पैकेज डील' का संबंध है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-121,प्रश्न-25 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| +[[मैक्स वेबर]]
| | -[[भारत]]-[[चीन]] वार्ता से |
| -वुडरो विल्सन | | -[[भारत]]-[[पाक]] वार्ता से |
| -साइमन | | +[[संयुक्त राष्ट्र संघ]] की सदस्यता से |
| -इनमें से कोई नहीं
| | -कॉमनवेल्थ की सदस्यता से |
| | ||पैकेज डील का संबंध संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता से था। |
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| {[[भारतीय संसद]] के दो पत्रों में कितना अंतर होता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-139,प्रश्न-13
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| |type="()"}
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| -एक माह
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| -तीन माह
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| -नौ माह
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| +छ: माह
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| ||अनुच्छेद 85(1) के अनुसार संसद के प्रत्येक सदन के एक सत्र की अंतिम बैठक और आगामी सत्र की प्रथम बैठक के बीच 6 माह से अधिक का अंतर नहीं होगा। इस प्रकार एक वर्ष में कम से कम 2 बार बैठक होना अनिवार्य है।
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| {किस [[संविधान]] संशोधन द्वारा मंत्रियों की संख्या [[लोक सभा]] की कुल संख्या की 15% निश्चित की गई? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-173,प्रश्न-203
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| |type="()"}
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| -89वां संशोधन
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| -90वां संशोधन
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| +91वां संशोधन
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| -92वां संशोधन
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| ||91वां संविधान संशोधन द्वारा अनुच्छेद 75 एवं अनुच्छेद 164 में संशोधन करके मंत्रिपरिषद के आकार को निर्धारित कर दिया गया है। अब केंद्र तथा राज्य में मंत्रियों की संख्या [[लोक सभा]] एवं [[विधान सभा]] की कुल सदस्य संख्या के 15% से अधिक नहीं हो सकती।
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| {ग्राम पंचायत अपने सभी कर्यों के लिए- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-186,प्रश्न-3 | | {सर आइवर जेनिंग्स द्वारा लिखित पुस्तक कौन नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-205,प्रश्न-34 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -सरपंच के प्रति उत्तरदायी है। | | -सम कैरेक्टरस्टिक्स ऑफ़ दि इंडियन कांस्टीट्यूशन |
| +ग्राम सभा के प्रति उत्तरदायी है। | | -दी लॉ एंड दी कांस्टीट्यूशन |
| -क्षेत्र समिति के प्रति उत्तरदायी है। | | +माडर्न कांस्टीट्यूशन |
| -जिलाधिकारी के प्रति उत्तरदायी है।
| | -कैबिनेट गवर्नमेंट |
| ||ग्राम पंचायत अपने सभी कार्यों के लिए ग्राम सभा के प्रति उत्तरदायी होती है। 73वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा ग्राम सभा को संवैधानिक दर्जा दिया गया है। किसी ग्राम की निर्वाचक नामावली में दर्जा दिया गया है। किसी ग्राम की निर्वाचाक नामावली में दर्ज नामों वाले व्यक्तियों को सामूहिक रूप से ग्राम सभा कहा जाता है। ग्राम पंचायक ग्राम सभा की कार्यकारी संस्था है तथा ग्राम सभा, ग्राम पंचायक के कार्य का निरीक्षण तथा मूल्यांकन करती है | | ||'मॉडर्न कांस्टीट्यूशन' नामक पुस्तक के.सी. व्हीयर द्वारा लिखी गई है। शेष पुस्तकों को सर आइवर जेनिंग्स द्वारा लिखा गया है। |
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| {'धर्मनिरपेक्षता' से तात्पर्य है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-189,प्रश्न-3 | | {यदि राज्य सभा किसी संविधान संशोधन विधेयक पर लोक सभा से असहमत हो तो ऐसी स्थिति में-(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-141,प्रश्न-25 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -धर्म की राजनीति से पृथकता | | +संशोधन विधेयक पारित नहीं माना जाता |
| -धार्मिक स्वतंत्रता | | -दोनों सदनों की संयुक्त बैठक द्वारा इसका निर्णय होगा |
| +राज्य का कोई धर्म न होना
| | -लोक सभा द्वारा दो-तिहाई बहुमत से यह विधेयक पारित कर दिया जाएगा |
| -धार्मिक समानता
| | -लोक सभा राज्य सभा के मत को अस्वीकृत कर देगी |
| ||'धर्मनिरपेक्षता' से तात्पर्य है- 'राज्य का अपना कोई धर्म नहीं होना'। राज्य न तो किसी धर्म विशेष से संबंधित होता है न उसमें हस्तक्षेप करता है और न किसी धर्म की उन्नति के लिए कोई सहायता ही देता है। | | ||संविधान संशोधन विधेयक संसद के दोनों सदनों द्वारा अलग-अलग विशेष बहुमत से स्वीकृत किया जाना आवश्यक है। दोनों सदनों में असहमति की स्थिति में विधेयक अंतिम रूप से समाप्त हो जाएगा क्योंकि संविधान संशोधन के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की संविधान में कोई व्यवस्था नहीं हैं। |
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| {अधिकार संबंधी सबसे पुराना सिद्धांत क्या है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-91,प्रश्न-14
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| |type="()"}
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| -नैतिक
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| +प्राकृतिक
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| -ऐतिहासिक
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| -कानूनी
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| {सहयोगी संघवाद का उदाहरण है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-97,प्रश्न-4
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| |type="()"}
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| +[[अमेरिका]]
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| -नाइजीरियो
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| -स्विट्जरलैंड
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| -कनाडा
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| </quiz> | | </quiz> |
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