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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| {[[भारत]] एक गणतंत्रात्मक राज्य है, क्योंकि- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-100,प्रश्न-5
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| |type="()"}
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| +उसमें राज्याध्यक्ष निर्वाचित किया जाता है
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| -यह कई राज्यों तथा शासित क्षेत्रों का यूनियन है
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| - उपर्युक्त में से दोनों
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| -उपर्युक्त में से कोई नहीं
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| ||गणतंत्र का आशय है कि राष्ट्र का प्रधान निर्वाचित (प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष) होता है। वह वंशानुगत नहीं हो सकता है।
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| {निम्नलिखित में से किस देश में एकदलीय पद्धति है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-105,प्रश्न-4
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| -[[भारत]]
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| -[[फ्रांस]]
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| +[[चीन]]
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| -[[अमेरिका]]
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| ||चीन में साम्यवादी शासन प्रणाली है जिसके अंतर्गत एकदलीय व्यवस्था विद्यमान है। चीन की साम्यवादी पार्टी को 'कम्युनिस्ट पार्टी ओफ़ चाइना' कहते हैं। यह विश्व की सबसे पुरानी कम्युनिस्ट पार्टी है जो वर्तमान में कार्यरत है। इसके अतिरिक्त भारत में बहुदलीय दल प्रणाली पाई जाती है। संयुक्त राज्य अमेरिका में द्विदलीय दल प्रणाली पाई जाती है। चीन व अन्य साम्यवादी देशों में एकदलीय दल पद्धति पाई जाती है।
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| {निम्न देशों में से किसने एक ही प्रयास में सार्वभौम मताधिकार अपनाया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-109,प्रश्न-1 | | {[[भारतीय संविधान]] को निम्नलिखित में से कौन-सी अनुसूची राज्यसभा में स्थानों के आवंटन से संबंधित है? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -यू.के. | | -[[भारत का संविधान- तीसरी अनुसूची |तीसरी अनुसूची]] |
| +[[भारत]] | | +[[भारत का संविधान- चौथी अनुसूची|चौथी अनुसूची]] |
| -यू.एस.ए. | | -[[भारत का संविधान- पांचवीं अनुसूची|पांचवीं अनुसूची]] |
| -[[चीन]] | | -[[भारत का संविधान- छठी अनुसूची|छठीं अनुसूची]] |
| ||अनुच्छेद 326 के अनुसार, [[लोक सभा]] और प्रत्येक राज्य की विधान सभा के लिए निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे अर्थात प्रत्येक व्यक्ति, जो भारत का नागरिक है और ऐसी तारीख को, जो समुचित [[विधान मंडल]] द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन इस निमित्त नियत की जाए, कम से कम 18 वर्ष आयु का है और इस [[संविधान]] या समुचित विधान मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि के अधीन अनिवास, चित्तविकृति, अपराध या भ्रष्ट या अवैध आचरण के आधार पर अन्यथा निरर्हित नहीं कर दिया जाता है, ऐसे किसी निर्वाचन में मतदाता के रूप में रजिस्ट्रीकृत होने का हकदार होगा। | | ||[[भारतीय संविधान]] की चौथी अनुसूची [[राज्य सभा]] में स्थानों के आवंटन से संबंधित है। |
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| {अभिप्रेरणा का एक अत्यधिक लोकप्रिय सिद्धांत है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-132,प्रश्न-25 | | {'पैकेज डील' का संबंध है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-121,प्रश्न-25 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -कीथ डेविस का सिद्धांत | | -[[भारत]]-[[चीन]] वार्ता से |
| +मैस्लो का आवश्यकता सोपान सिद्धांत | | -[[भारत]]-[[पाक]] वार्ता से |
| -फ्रेडरिक टेलर का वैज्ञानिक प्रबंध सिद्धांत | | +[[संयुक्त राष्ट्र संघ]] की सदस्यता से |
| -मैकफाइरलैंड का सिद्धांत
| | -कॉमनवेल्थ की सदस्यता से |
| ||वर्ष 1938 में अब्राहम मैस्लो ने 'अभिप्रेरणा' शब्द का आधुनिक अर्थ प्रस्तुत किया था। मेस्लों का आवश्यकता सोपान सिद्धांत, अभिप्रेरणा का एक लोकप्रिय सिद्धांत है। [[ 1943|वर्ष 1943]] में मैस्लों ने अपने एक लेख 'A Tteoty of Human Motivation' के द्वारा यह सिद्ध किया कि मनुष्य की आवश्यकता अनंत है, अत: उन्हें एक साथ संतुष्ट नहीं किया जा सकता है। | | ||पैकेज डील का संबंध संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता से था। |
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| {[[राष्ट्रपति]] शासन के लिए संसद का अनुमोदन कितनी अवधि के भीतर प्राप्त किया जाना चाहिए? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-139,प्रश्न-14
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| |type="()"}
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| +2 माह
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| -6 माह
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| -1 वर्ष
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| -अवधि निश्चित नहीं
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| ||[[संविधान]] के अनुच्छेद 356 (1) के तरत [[राष्ट्रपति]] राज्य के [[राज्यपाल]] से प्रतिवेदन मिलने पर या अन्यथा उसे इस बात का समाधान हो जाता है कि राज्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गयी है जिससे उस राज्य का शासन संविधान के उपबंधों के अनुसार नहीं चलाया जा सकता तो राष्ट्रपति उद्घोषणा उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकता है। अनुच्छेद 356 (3) के अनुसार इस उद्घोषणा को संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखी जाएगी और वह 2 माह की समाप्ति पर प्रवर्तन में नहीं रहेगी यदि उस अवधि की समाप्ति से पहले [[संसद]] के दोनों सदनों के संकल्पों द्वारा उसका अनुमोदन नहीं कर दिया जाता।
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| {भारतीय संसद की किस समिति को 'संसद की तीसरी आंख' कहा गया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-173,प्रश्न-204
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| |type="()"}
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| -प्राक्कलन समिति
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| +लोक सेवा समिति
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| -लोक उद्यम समिति
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| -नियम समिति
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| ||[[भारतीय संसद]] की 'लोक लेखा समिति' को 'संसद की तीसरी आंख' कहा जाता है।
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| | | {सर आइवर जेनिंग्स द्वारा लिखित पुस्तक कौन नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-205,प्रश्न-34 |
| {[[भारत]] में स्वतंत्रता प्राति के पश्चात पहला वित्त निगम था- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-186,प्रश्न-4 | |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -जीवन वीमा निगम | | -सम कैरेक्टरस्टिक्स ऑफ़ दि इंडियन कांस्टीट्यूशन |
| -इंडियन एयरलाइंस कॉर्पेरेशन | | -दी लॉ एंड दी कांस्टीट्यूशन |
| +पुनर्वास वित्त निगम | | +माडर्न कांस्टीट्यूशन |
| -इंडियन इंटनेनेशनल | | -कैबिनेट गवर्नमेंट |
| ||भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात स्थापित पहला निगम 'पुनर्वास एवं वित्त निगम' था। इसकी स्थापना [[1948|वर्ष 1948]] में हुई थी। इसके अतिरिक्त विकल्पों में दिए गए जीवन बीमा निगम का स्थापना [[1956|वर्ष 1956]], इंडियन एयर लाइंस कॉर्पोरेशन का स्थापना वर्ष 1953 तथा इंडिया इंटरनेशनल का स्थापना वर्ष 1953 था। | | ||'मॉडर्न कांस्टीट्यूशन' नामक पुस्तक के.सी. व्हीयर द्वारा लिखी गई है। शेष पुस्तकों को सर आइवर जेनिंग्स द्वारा लिखा गया है। |
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| {'मंडल आयोग' का संबंध है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-189,प्रश्न-4 | | {यदि राज्य सभा किसी संविधान संशोधन विधेयक पर लोक सभा से असहमत हो तो ऐसी स्थिति में-(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-141,प्रश्न-25 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| +पिछड़ी जाति | | +संशोधन विधेयक पारित नहीं माना जाता |
| -अनुसूचित जाति | | -दोनों सदनों की संयुक्त बैठक द्वारा इसका निर्णय होगा |
| -अनुसूचित जनजाति | | -लोक सभा द्वारा दो-तिहाई बहुमत से यह विधेयक पारित कर दिया जाएगा |
| -उपरोक्त सभी से | | -लोक सभा राज्य सभा के मत को अस्वीकृत कर देगी |
| ||[[बिहार]] के पूर्व [[मुख्यमंत्री]] बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल की अध्यक्षता में द्वितीय पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन अन् 1979 में किया गय। मंडल आयोग ने अपनी रिपोर्ट 1980 में प्रस्तुत की। [[आयोग]] ने जाति को पिछड़ेपन का आधार मानते हुए सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक पिछड़ेपन के 11 मापदंड प्रस्तुत किए। इस आयोग की सिफारिश पर ही 27% आरक्षण का प्रावधान पिछड़े वर्गों के लिए किया गया। | | ||संविधान संशोधन विधेयक संसद के दोनों सदनों द्वारा अलग-अलग विशेष बहुमत से स्वीकृत किया जाना आवश्यक है। दोनों सदनों में असहमति की स्थिति में विधेयक अंतिम रूप से समाप्त हो जाएगा क्योंकि संविधान संशोधन के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की संविधान में कोई व्यवस्था नहीं हैं। |
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| {शक्ति और प्राधिकार में निर्मेदक तत्त्व क्या है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-91,प्रश्न-15
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| |type="()"}
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| -संप्रभुता
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| +वैधता
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| -श्रेष्ठता
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| -उपयोगिता
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| ||शाक्ति और प्राधिकार में प्रमुख निर्भेदक तत्व वैधता होती है। जब शक्ति को वैधता प्राप्त होती है, तब वह प्राधिकार या सत्ता का रूप धारणा अर लेती है।
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| {भारतीय और अमेरिकी संघवाद में जिस एक बिंदु पर समानता पाई जाती है, वह है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-97,प्रश्न-5
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| |type="()"}
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| -अवशिष्ट शक्तियों का केंद्र के पास होना
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| -अवशिष्ट शक्तियों का राज्य के पास होना
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| -कुछ विषयो में समवर्ती अधिकार का होना
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| +केंद्र और राज्य के बीच विवाद होने पर [[सर्वोच्च न्यायालय]] का पंचायत करना।
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| ||भारतीय एवं अमेरिकी संघवाद में केंद्र एवं राज्य के मध्य विवाद होने पर [[सर्वोच्च न्यायालय]] द्वारा उसे सुलझाया जाता है।
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| </quiz> | | </quiz> |
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