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| {संसदीय सरकार का सबसे महत्त्वपूर्ण लक्षण है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-100,प्रश्न-6
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| -[[संसद]] की संप्रभुता
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| +कार्यपालिका का विधायिका के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व
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| -विधि का शासन
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| -बहुमत का शासन
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| ||संसदीय सरकार का सबसे महत्त्वपूर्ण लक्षण कार्यपालिका का विधायिका के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व है। अनुच्छेद 75 (3) के अनुसार, मंत्रिपरिषद [[लोक सभा]] के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायित्व होती है।
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| {निम्न में से कौन-सा राजनीतिक दल का आवश्यक तत्व नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-105,प्रश्न-5
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| -संगठन
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| +विदेशों द्वारा मान्यता
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| -सामान्य सिद्धांतों में सहमति
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| -संवैधानिक साधनों में विश्वास
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| ||विदेशों द्वारा मान्यता राजनीतिक दल का आवश्यक तत्व नहीं है।
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| {एकल संक्रमणीय मत प्रणाली का सर्वप्रथम प्रतिपादन करने वाले राजनीतिक चिंतक का नाम क्या है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-109,प्रश्न-2
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| -जे.एस. मिल
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| +थॉमस हेयर
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| -डेविस ईस्टन
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| -लुसियन पाई
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| ||एकल संक्रमणीय मत प्रणाली का सर्वप्रथम अविष्कार 'थामस राइट हिल' किया। डेनमार्क में इस प्रणाली का सर्वप्रथम प्रयोग चुनावों में किया गया। लेकिन 'एकल संक्रमणीय मत प्रणाली' (Single Transfer-able Vote System- STV) का सर्वप्रथम व्यवस्थित प्रतिपादन करने वाले राजनीतिक चिंतक ब्रिटिश विधिवेत्ता थॉमस हेयर थे जिन्होंने इसका प्रतिपादन अपनी पुस्तक 'द मशीनरी ऑफ रिप्रेजेंटेशन' में सन् 1857 में किया। इन्होंने 'आनुपातिक प्रतिनिधित्व' की प्रणाली का भी सर्वप्रथम प्रतिपादन किया जिसे 'हेयर प्रणाली' भी कहा जाता है। यह प्रणाली अल्पसंख्यकों को प्रतिनिधित्व प्रदान करने की उत्तम व्यवस्था है।
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| {[[भारत]] के [[योजना आयोग]] और रेलवे को प्रमुख तौर पर क्रमश: क्या माना जाएगा? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-133,प्रश्न-26 | | {[[भारतीय संविधान]] को निम्नलिखित में से कौन-सी अनुसूची राज्यसभा में स्थानों के आवंटन से संबंधित है? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -वित्तीय और संचार संस्था | | -[[भारत का संविधान- तीसरी अनुसूची |तीसरी अनुसूची]] |
| -पूर्ण और अपूर्ण स्टॉफ | | +[[भारत का संविधान- चौथी अनुसूची|चौथी अनुसूची]] |
| +स्टॉफ और सूत्र संस्था
| | -[[भारत का संविधान- पांचवीं अनुसूची|पांचवीं अनुसूची]] |
| -पूर्ण और अपूर्ण सूत्र संस्था | | -[[भारत का संविधान- छठी अनुसूची|छठीं अनुसूची]] |
| ||[[भारत]] के योजना और रेलवे के क्रमश: स्टॉफ और सूत्र संस्था माना जा सकता है। मुख्य कार्यपालिका को सहायता तथा परामर्श उपलब्ध कराने के संबंध में दो प्रकार के प्रशासनिक अभिकरण कार्य करते हैं-.सूत्र अभिकरण 2.स्टॉफ अभिकरण | | ||[[भारतीय संविधान]] की चौथी अनुसूची [[राज्य सभा]] में स्थानों के आवंटन से संबंधित है। |
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| {[[लोक सभा]] में दिए गए सभी भाषण और अभ्युक्तियां किसे संबोधित की जाती हैं? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं- 139,प्रश्न-15 | | {'पैकेज डील' का संबंध है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-121,प्रश्न-25 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[भारत के राष्ट्रपति]] | | -[[भारत]]-[[चीन]] वार्ता से |
| -[[प्रधानमंत्री]] | | -[[भारत]]-[[पाक]] वार्ता से |
| +[[लोक सभा अध्यक्ष|अध्यक्ष]]
| | +[[संयुक्त राष्ट्र संघ]] की सदस्यता से |
| -संबंधित | | -कॉमनवेल्थ की सदस्यता से |
| ||[[संविधान]] के अनुच्छेद 93 में उपबंधित है कि [[लोक सभा]] यथाशीघ्र अपने दो सदस्यों को अपना अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष चुनेगी और जब अध्यक्ष या उपाध्यक्ष का पद रिक्त होगा तब लोक सभा किसी अन्य सदस्य को अध्यक्ष या उपाध्यक्ष चुनेगी। सदन के कार्य का संचालन शांत एवं व्यवस्थित ढंग से सुनिश्चित करने के लिए अध्यक्ष को बहुत शक्तियां प्राप्त हैं। लोक सभा में दिए गए सभी भाषण और अभ्युक्तियां अध्यक्ष को संबोधित की जाती हैं।
| | ||पैकेज डील का संबंध संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता से था। |
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| {भारतीय संसदीय शासन प्रणाली में मंत्रिमंडल किसके प्रति उत्तरदायी होता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-173,प्रश्न-205
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| |type="()"}
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| -[[राष्ट्रपति]] के प्रति
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| +[[लोक सभा]] के प्रति
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| -[[राज्य सभा]] के प्रति
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| -[[सर्वोच्च न्यायालय]] के प्रति
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| ||मंत्रिमंडल (Cabinet), [[मंत्रिपरिषद]] (Council of Ministers) की एक छोटी इकाई है। हमारे संविधान में 'मंत्रिमंडल' शब्द का उल्लेख अनुच्छेद 352 (3) में किया गया है। ब्रिटेन की परंपरा के अनुसार हमारे यहां भी मंत्रिमंडल का अस्तित्व चला आ रहा है। यह हमारी सांविधानिक प्रणाली का एक आवश्यक अंग बन गया है। मंत्रिमंडल नीति-निर्धारण करने वाली सर्वोच्च संस्था है। चूंकि संसदीय प्रणाली सामूहिक उत्तरायित्व के आधार पर कार्य करती है, अत: अनुच्छेद 75 (3) के अंतर्गत यह उत्तरदायित्व लोक सभा (निम्न सदन) के प्रति होता है।
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| {सामान्यत: [[ग्राम पंचायत]] उत्तरदायी नहीं है इसके लिए- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-186,प्रश्न-5
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| |type="()"}
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| -ग्राम की सड़कों और तालाबों का निर्माण
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| -स्वच्छता, प्रसूति और बाल कल्याण
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| +कृषकों को वित्त देना
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| -कृषि उत्पादन
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| ||संविधान का अनुच्छेद 243 (छ) पंचायतों की शक्तियों, प्राधिकार तथा उत्तरदायित्व संबंधी प्रावधान करता है। 11 वीं अनुसूची में ग्राम की सड़कों और तालाबों का निर्माण, स्वच्छता, प्रसूति और बाल कल्याण, कृषि उत्पादन आदि हेतु ग्राम पंचायतों को उत्तरदायी बनाया गया है जबकि कृषकों को वित्त देना इस अनुसूची में वर्णित नहीं है।
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| {'मंडल आयोग' गठित किया गया था: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-189,प्रश्न-5 | | {सर आइवर जेनिंग्स द्वारा लिखित पुस्तक कौन नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-205,प्रश्न-34 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -सन 1953 ई. में | | -सम कैरेक्टरस्टिक्स ऑफ़ दि इंडियन कांस्टीट्यूशन |
| -सन 1982 ई. में | | -दी लॉ एंड दी कांस्टीट्यूशन |
| -सन 1980 ई. में | | +माडर्न कांस्टीट्यूशन |
| +सन 1979 ई. में
| | -कैबिनेट गवर्नमेंट |
| ||वर्ष 1979 ई. में [[मोरारजी देसाई]] की [[जनता पार्टी|जनता पार्टी]] सरकार ने द्वितीय पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन संसद सदस्य बी.पी. मंडल की अध्यक्षता में किया। आयोग ने अपनी रिपोर्ट [[1980]] में प्रस्तुत की और 3743 जातियों की पहचान की, जो सामाजिक एवं शैक्षणिक आधार पर पिछड़ी थीं। ज्ञातव्य है कि 1952 में काका कालेलकर की अध्यक्षता में प्रथम पिछड़ा वर्ग आयोग गठित किया गया। इसने अपनी रिपोर्ट [[1955]] में प्रस्तुत की। | | ||'मॉडर्न कांस्टीट्यूशन' नामक पुस्तक के.सी. व्हीयर द्वारा लिखी गई है। शेष पुस्तकों को सर आइवर जेनिंग्स द्वारा लिखा गया है। |
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| {निम्न में से कौन एक अधिकार का लक्षण नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-91,प्रश्न-16 | | {यदि राज्य सभा किसी संविधान संशोधन विधेयक पर लोक सभा से असहमत हो तो ऐसी स्थिति में-(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-141,प्रश्न-25 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -कल्याणकारी स्वरूप | | +संशोधन विधेयक पारित नहीं माना जाता |
| -लोकहित में प्रयोग | | -दोनों सदनों की संयुक्त बैठक द्वारा इसका निर्णय होगा |
| -राज्य का संरक्षण | | -लोक सभा द्वारा दो-तिहाई बहुमत से यह विधेयक पारित कर दिया जाएगा |
| +समाज का संरक्षण
| | -लोक सभा राज्य सभा के मत को अस्वीकृत कर देगी |
| ||अधिकार की सामान्य धारणा के आधार पर अधिकार के निम्नलिखित आवश्यक लक्षण कहे जा सकते हैं- 1.सामाजिक स्वरूप, 2.कल्याणकारी स्वरूप, 3.लोकहित में प्रयोग, 4.राज्य का संरक्षण 5.सार्वभौतिकता या सर्वव्यापकता। अत: स्पष्ट है कि 'समाज का संरक्षण' अधिकार का लक्षण नहीं है। | | ||संविधान संशोधन विधेयक संसद के दोनों सदनों द्वारा अलग-अलग विशेष बहुमत से स्वीकृत किया जाना आवश्यक है। दोनों सदनों में असहमति की स्थिति में विधेयक अंतिम रूप से समाप्त हो जाएगा क्योंकि संविधान संशोधन के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की संविधान में कोई व्यवस्था नहीं हैं। |
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| {निम्नलिखित में से किस देश का संविधान एक संघीय दृष्टांत का नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-97,प्रश्न-6
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| |type="()"}
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| -[[संयुक्त राज्य अमेरिका]]
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| -स्विट्जरलैंड
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| -[[ऑस्ट्रेलिया]]
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| +[[ब्रिटेन|ग्रेट ब्रिटेन]]
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| ||ग्रेट ब्रिटेन में एकात्मक शासन प्रणाली है। ब्रिटेन में समस्त शक्तियां केंद्र में निहित हैं। इसके विपरीत संयुक्त राज्य अमेरिका, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रेलिया तथा [[भारत]] में संघात्मक शासन प्रणाली है।
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| {संसदीय सरकार में कार्यपालिका की वास्तविक शक्तियां किसमें निहित हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-100,प्रश्न-1
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| |type="()"}
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| -[[प्रधानमंत्री]]
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| -[[संसद]]
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| +[[मंत्रिपरिषद]]
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| -[[राष्ट्रपति]]
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| ||संसदीय सरकार में कार्यपालिका की वास्तविक शक्तियां [[प्रधानमंत्री]] को अध्यक्षता वाली मंत्रिपरिषद के पास होती हैं। [[भारतीय संविधान]] के अनुच्छेद 74 में उल्लिखित है कि [[राष्ट्रपति]] को सहायता एवं सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी जिसका प्रधान, प्रधानमंत्री होगा प्रधानमंत्री के चयन तथा नियुक्ति के संबंध में संविधान के अनुच्छेद 75 में उल्लेख है।{{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[मंत्रिपरिषद]]
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