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| {शून्य-आधार बजट की प्रक्रिया को कब से लोकप्रियता प्राप्त हुई? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-101,प्रश्न-4 | | {[[भारतीय संविधान]] को निम्नलिखित में से कौन-सी अनुसूची राज्यसभा में स्थानों के आवंटन से संबंधित है? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -रीगन द्वारा विस्कांसिन के बजट द्वारा | | -[[भारत का संविधान- तीसरी अनुसूची |तीसरी अनुसूची]] |
| -निक्सन द्वारा ओहायो के बजट द्वारा | | +[[भारत का संविधान- चौथी अनुसूची|चौथी अनुसूची]] |
| -आइजनहावर द्वारा न्यूयार्क के बजट द्वारा | | -[[भारत का संविधान- पांचवीं अनुसूची|पांचवीं अनुसूची]] |
| +जिमी कार्टर द्वारा जार्जिया के बजट द्वारा
| | -[[भारत का संविधान- छठी अनुसूची|छठीं अनुसूची]] |
| ||शून्य-आधार बजट की प्रक्रिया को 1973 में जार्जिया के गवर्नर जिमी कार्टर ने पीटर पीहर की सहायता से शून्य-आधार बजट आरंभ किया था। | | ||[[भारतीय संविधान]] की चौथी अनुसूची [[राज्य सभा]] में स्थानों के आवंटन से संबंधित है। |
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| {किस देश में सिविल सेवक किसी राजनीतिक दल के सदस्य बन सकते हैं? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-105, प्रश्न-9
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| |type="()"}
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| -[[ब्रिटेन]]
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| -[[भारत]]
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| +[[फ्रांस]]
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| -[[अमेरिका]]
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| ||[[फ्रांस]] में सिविल सेवकों को राजनीतिक दल की सदस्यता ग्रहण करने एवं उसकी गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति दी गई है जबकि [[भारत]] एवं [[अमेरिका]] में सिविल सेवकों पर कठोर प्रतिबंध हैं। हाल के वर्षों में [[ब्रिटेन]] में उच्च पदीय सिविल सेवकों को छोड़कर अन्य सिविल सेवकों को सीमित राजनीतिक गतिविधियों की स्वतंत्रता प्रदान की गई है।
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| {कुछ रिक्तियों को भरने के लिए किए गए निर्वाचन को निम्नांकित में से किस प्रकार की संज्ञा देंगे? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-110,प्रश्न-6 | | {'पैकेज डील' का संबंध है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-121,प्रश्न-25 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -नामांकन | | -[[भारत]]-[[चीन]] वार्ता से |
| +उपचुनाव | | -[[भारत]]-[[पाक]] वार्ता से |
| -निर्वाचन | | +[[संयुक्त राष्ट्र संघ]] की सदस्यता से |
| -इनमें से कोई नहीं
| | -कॉमनवेल्थ की सदस्यता से |
| ||कुछ रिक्तियों को भरने के लिए किए गए निर्वाचन को 'उपचुनाव' की संज्ञा दी जाती है। ऐसी स्थितियाँ जिनमें इस प्रकार से चुनाव कराए जाते हैं, निम्न हैं-1.कोई निर्वाचित प्रत्याशी त्याग-पत्र दे दे या उसकी मूल्य हो जाए।, 2.किसी गंभीर अपराध में सिद्धदोष पाया जाए या बैंक धोखाधड़ी में लिप्त पाया जाए।, 3.अपना मानसिक संतुलन खो बैठे अर्थात मानसिक रूप से अयोग्य घोषित हो जाए।, 4.चुनावों में धांधली की स्थिति में। | | ||पैकेज डील का संबंध संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता से था। |
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| {[[भारत]] के प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने किस संगठन का स्थान दिया है?(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-133,प्रश्न-30
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| |type="()"}
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| -प्रतिस्पर्धा नियंत्रण प्राधिकरण (CCA) का
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| -एकाधिकार नियंत्रण परिषद् (MCC) का
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| -भारतीय मुक्त व्यापार अधिकरण (FITA) का
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| +एकाधिकार एवं प्रतिबंधात्मक व्यापार व्यवहार आयोग (MRTPC) का
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| ||[[भारत]] के प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने एकाधिकार एवं प्रतिबंधात्मक व्यापार व्यवहार आयोग (MRTPC) का स्थान लिया है। प्रतिस्पर्धा अधिनियम 2002 के द्वारा एकाधिकार एवं प्रतिबंधात्मक व्यापार व्यवहार (MRTP) अधिनियम, 1969 को निरस्त करके 14 अक्टूवर, 2003 के प्रतिस्पर्धा आयोग का गठन किया गया। वर्ष 2009 से यह पूर्णता: कार्य करने लगा।
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| {संसदीय व्यवस्था में 'जीरो आवर' किस देश की देन है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-140,प्रश्न-19 | | {सर आइवर जेनिंग्स द्वारा लिखित पुस्तक कौन नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-205,प्रश्न-34 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[अमेरिका]] | | -सम कैरेक्टरस्टिक्स ऑफ़ दि इंडियन कांस्टीट्यूशन |
| -[[ब्रिटेन]] | | -दी लॉ एंड दी कांस्टीट्यूशन |
| +[[भारत]] | | +माडर्न कांस्टीट्यूशन |
| -स्विट्जरलैंड | | -कैबिनेट गवर्नमेंट |
| ||'शून्य काल'- विशिष्ट भारतीय संसदीय व्यवहार है। प्रश्न काल और अभापटल पर पत्र रखे जाने के तत्काल पश्चात तथा किसी सूचीबद्ध कार्य को सभा द्वारा शुरू करने के पहले का लोकप्रिय नाम 'शून्य काल' है। चूंकि यह मध्याह्न 12 बजे शुरू होता है इसीलिए इसे शून्य काल कहते हैं। संसदीय प्रक्रिया में शून्य काल शब्द को औपचारिक मान्यता नहीं प्राप्त है। शून्य काल में किसी मामले को उठाने के लिए सदस्य प्रतिदिन पूर्वाह्न 10.00 से पूर्व अध्यक्ष को सूचना देते हैं। किसी मामले को उठाने या न उठाने की अनुमति या मामलों के क्रम का निर्णय अध्यक्ष पर निर्भर करता है। वर्तमान में शून्य काल के दौरान 20 मामले उठाए जाने की अनुमति है। | | ||'मॉडर्न कांस्टीट्यूशन' नामक पुस्तक के.सी. व्हीयर द्वारा लिखी गई है। शेष पुस्तकों को सर आइवर जेनिंग्स द्वारा लिखा गया है। |
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| {[[राष्ट्रपति]] के चुनाव में निम्न में से कौन भाग नहीं लेता? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-174,प्रश्न-208 | | {यदि राज्य सभा किसी संविधान संशोधन विधेयक पर लोक सभा से असहमत हो तो ऐसी स्थिति में-(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-141,प्रश्न-25 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[राज्य सभा]] के निर्वाचित सदस्य | | +संशोधन विधेयक पारित नहीं माना जाता |
| -[[लोक सभा]] के निर्वाचित सदस्य | | -दोनों सदनों की संयुक्त बैठक द्वारा इसका निर्णय होगा |
| -विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य | | -लोक सभा द्वारा दो-तिहाई बहुमत से यह विधेयक पारित कर दिया जाएगा |
| +विधान परिषदों के निर्वाचित सदस्य
| | -लोक सभा राज्य सभा के मत को अस्वीकृत कर देगी |
| ||[[राष्ट्रपति]] के चुनाव में विधान परिषदों के निर्वाचित सदस्य भाग नहीं लेते हैं। अनुच्छेद 54 के अनुसार, राष्ट्रपति का निर्वाचन ऐसे निर्वाचकगण के सदस्य करते हैं जिसमें [[संसद]] के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य तथा राज्यों की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य होते हैं। अनुच्छेद 55 में [[राष्ट्रपति]] के निर्वाचन की रीति दी गई है। | | ||संविधान संशोधन विधेयक संसद के दोनों सदनों द्वारा अलग-अलग विशेष बहुमत से स्वीकृत किया जाना आवश्यक है। दोनों सदनों में असहमति की स्थिति में विधेयक अंतिम रूप से समाप्त हो जाएगा क्योंकि संविधान संशोधन के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की संविधान में कोई व्यवस्था नहीं हैं। |
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| {निम्नलिखित में से किस पर कर लगाने के लिए नगर-निगम को अधिकार नहीं होता? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-187,प्रश्न-9
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| |type="()"}
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| -संपत्ति
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| -वाहन
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| +बिक्री
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| -मनोरंजन
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| ||[[नगर निगम]] की जाय के स्त्रोत हैं- जल कर, गृह कर, बाजार कर, मनोरंजन कर, वाहन कर तथा राज्य सरकार द्वारा अनुदान। बिक्री कर राज्य सूची का विषय है। ब्रिक्री कर [[राज्य]] द्वारा लगाया तथा वसूला जाता है।
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| {सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व का अर्थ होता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-189,प्रश्न-9
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| |type="()"}
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| -धन के आधार पर प्रतिनिधित्व
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| +धार्मिक आधार पर प्रतिनिधित्व
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| -जाति के आधार पर प्रतिनिधित्व
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| -संपत्ति के आधार पर प्रतिनिधित्व
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| ||[[धर्म]] के आधार पर प्रतिनिधित्व प्रदान करना ही 'सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व' कहलाता है। [[भारत सरकार]] अधिनियम, 1909 के द्वारा पहली बार ब्रिटिश सरकार ने सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व की शुरुआत की थी, परंतु स्वतंत्र भारत के संविधान में धर्म के आधार पर प्रतिनिधित्व को निषेध कर दिया गया है।
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| {[[मायावती|सुश्री मायावती]] [[उत्तर प्रदेश]] की [[मुख्यमंत्री|मुख्य मंत्री]] पहली बार बनी थीं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-189,प्रश्न-10
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| |type="()"}
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| -1994
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| +1995
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| -1997
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| -2007
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| ||सुश्री मायावती उत्तर प्रदेश की पहली बार मुख्यमंत्री 3 जून, 1995 को बनी थीं। अब तक वे चार बार उत्तर प्रदेश की [[मुख्यमंत्री]] बन चुकी हैं। सुश्री मायावती का मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल इस प्रकार है-पहली बार-03-06-1995 से 27-10-1995 तक दूसरी बार-21-03-1997 से 20-08-1997 तक तीसरी बार-03-05-2002 से 26-08-2002 तक चौथी बार-13-05-2007 से 14-03-2012 तक
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| {निम्न में से किस देश में संसदीय और अध्यक्षीय तरह की सरकारों का सम्मिक्षण विद्यमन है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-98,प्रश्न-10
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| |type="()"}
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| -[[ब्रिटेन]] में
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| +[[फ्रांस]] में
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| -[[संयुक्त राज्य अमेरिका]] में
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| -[[चीन]] में
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| ||जनरल डी. गाल द्वारा निर्मित फ्रांसीसी संविधान को 4 अक्टूबर, 1958 से लागू हुआ, वह [[फ्रांस]] के पंचम गणराज्य का संविधान कहलाता है। इसमें संसदीय एवं अध्यक्षीय शासन प्रणालियों में अमंवय स्थापित कर अपनाया गया है।
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