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भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
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{'रिप्रेजेंटेटिव गवर्नमेंट' नामक पुस्तक के लेखक कौन हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-202,प्रश्न-8
{[[भारतीय संविधान]] को निम्नलिखित में से कौन-सी अनुसूची राज्यसभा में स्थानों के आवंटन से संबंधित है?  
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|type="()"}
-एच.जी. बेल्स
-[[भारत का संविधान- तीसरी अनुसूची |तीसरी अनुसूची]]
-सी.डी. बर्न्स
+[[भारत का संविधान- चौथी अनुसूची|चौथी अनुसूची]]
+जे.एस. मिल
-[[भारत का संविधान- पांचवीं अनुसूची|पांचवीं अनुसूची]]
-अरस्तू
-[[भारत का संविधान- छठी अनुसूची|छठीं अनुसूची]]
||'प्रतिनिध्यात्मक शासन पर विचार' (Considerations on Representative Government) नामक ग्रंथ के लेखक जॉन स्टुअर्ट मिल हैं जो वर्ष 1861 में प्रकाशित किया गया।
||[[भारतीय संविधान]] की चौथी अनुसूची [[राज्य सभा]] में स्थानों के आवंटन से संबंधित है।


{[[अरस्तू]] के अनुसार, राज्य का अस्तित्व- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-9,प्रश्न-31
 
{'पैकेज डील' का संबंध है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-121,प्रश्न-25
|type="()"}
|type="()"}
-दैवी इच्छा का परिणाम है
-[[भारत]]-[[चीन]] वार्ता से
-बल और भय का परिणाम है
-[[भारत]]-[[पाक]] वार्ता से
-केवल राजनैतिक और धार्मिक संयोग है
+[[संयुक्त राष्ट्र संघ]] की सदस्यता से
+विकास का परिणाम है
-कॉमनवेल्थ की सदस्यता से
||अरस्तू के अनुसार, राज्य का अस्तित्व विकास का परिणाम है। [[अरस्तू]] के अनुसार, राज्य का निर्माण व्यक्ति या व्यक्ति समूह ने सोच समझकर नहीं किया बल्कि राज्य एक प्राकृतिक संस्था है, जिसका जन्म विकास के कारण हुआ है। यह एक स्वाभाविक संस्था है। इसके उद्देश्य और कार्य नैतिक है और यह सभी संस्थाओं में श्रेष्ठ है।
||पैकेज डील का संबंध संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता से था।
 


{सामाजिक समझौता सिद्धांत वर्णन करता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-21,प्रश्न-28
|type="()"}
-राज्य के स्वरूप का
-राज्यों के कार्यों का
+राज्य की उत्पत्ति का
-इनमें से कोई नहीं
||सामाजिक समझौता सिद्धांत राज्य की उत्पत्ति के संबंध में प्रचलित सिद्धांतों में महत्त्वपूर्ण सिद्धांत है। इस सिद्धांत की स्पष्ट व व्यापक अभिव्यक्ति 17वीं सदी में [[इंग्लैण्ड]] के हॉब्स व लॉक तथा 18वीं सदी में [[फ्रांस]] के रूसो के विचारों में हुई। 17वीं और 18वीं सदी की राजनीतिक विचारधारा में तो इस सिद्धांत का पूर्ण प्राधान्य था। इस सिद्धांत के अनुसार, राज्य दैवीय न होकर एक मानवीय संस्था है, जिसका निर्माण व्यक्तियों द्वारा पारस्पतिक समझौते के आधार पर किया गया है।


{निम्नलिखित में से कौन-सी दल पद्धति लोकतंत्र के स्थायित्व के लिए सबसे उपयुक्त है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-47,प्रश्न-20
{सर आइवर जेनिंग्स द्वारा लिखित पुस्तक कौन नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-205,प्रश्न-34
|type="()"}
|type="()"}
-एक दल प्रधानता
-सम कैरेक्टरस्टिक्स ऑफ़ दि इंडियन कांस्टीट्यूशन
-दल रहित
-दी लॉ एंड दी कांस्टीट्यूशन
-बहुदलीय
+माडर्न कांस्टीट्यूशन
+द्विदलीय
-कैबिनेट गवर्नमेंट
||द्विदलीय दल पद्धति लोकतंत्र के स्थायित्व के लिए सबसे उपयुक्त होती है। द्विदलीय दल पद्धति केंद्रीय कृत होती है तथा इसमें कुछ श्रेष्ठजनों को आगे बढ़ाने के साथ स्थान पर व्यक्तिगत गुण अधिक मायने रखते हैं। प्राय: देखा जाता है कि इस दल पद्धति में पार्टियां चुनाव के समय ही सक्रिय होती हैं तथा एक बार सरकार का गठन हो जाने के बाद वह अपना कार्यकाल पूरा  कर लेती हैं तथा स्थायित्व बना रहता है। [[संयुक्त राज्य अमेरिका]], [[ब्रिटेन]], [[ऑस्ट्रेलिया]], आयरलैंड आदि लोकतांत्रिक शासन प्रणालियों में स्थायित्व का कारण द्विदलीय दल पद्धति है।
||'मॉडर्न कांस्टीट्यूशन' नामक पुस्तक के.सी. व्हीयर द्वारा लिखी गई है। शेष पुस्तकों को सर आइवर जेनिंग्स द्वारा लिखा गया है।


{निम्न में किस वर्ग के विचारकों को संप्रभुता की व्याख्या करने का श्रेय दिया जाता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-23,प्रश्न-8
{यदि राज्य सभा किसी संविधान संशोधन विधेयक पर लोक सभा से असहमत हो तो ऐसी स्थिति में-(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-141,प्रश्न-25
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-बोदां, मार्क्स और ऑस्टिन
+संशोधन विधेयक पारित नहीं माना जाता
-बोदां, मार्क्स और हीगेल
-दोनों सदनों की संयुक्त बैठक द्वारा इसका निर्णय होगा
-हीगेल, लास्वेल और हस्टन
-लोक सभा द्वारा दो-तिहाई बहुमत से यह विधेयक पारित कर दिया जाएगा
+बोदां, ग्रोशस और ऑस्टिन
-लोक सभा राज्य सभा के मत को अस्वीकृत कर देगी
||संप्रभुता की व्याख्या करने का श्रेय ज्यां बोदां, ह्यूगो ग्रोश्यस और जॉन ऑस्टिन को दिया जाता है। संप्रभुता सिद्धांत का निरूपण सोलहवीं शताब्दी में ज्यां बोदां, ह्यूगो ग्रोश्यस और टॉमस हॉब्स तथा अठारहवीं शताब्दी में जे. जे. रूसो और उन्नीसवीं शताब्दी में जॉन ऑस्टिन ने किया।
||संविधान संशोधन विधेयक संसद के दोनों सदनों द्वारा अलग-अलग विशेष बहुमत से स्वीकृत किया जाना आवश्यक है। दोनों सदनों में असहमति की स्थिति में विधेयक अंतिम रूप से समाप्त हो जाएगा क्योंकि संविधान संशोधन के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की संविधान में कोई व्यवस्था नहीं हैं।
 
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Latest revision as of 12:56, 17 March 2018

1 भारतीय संविधान को निम्नलिखित में से कौन-सी अनुसूची राज्यसभा में स्थानों के आवंटन से संबंधित है?

तीसरी अनुसूची
चौथी अनुसूची
पांचवीं अनुसूची
छठीं अनुसूची

2 'पैकेज डील' का संबंध है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-121,प्रश्न-25

भारत-चीन वार्ता से
भारत-पाक वार्ता से
संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्यता से
कॉमनवेल्थ की सदस्यता से

3 सर आइवर जेनिंग्स द्वारा लिखित पुस्तक कौन नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-205,प्रश्न-34

सम कैरेक्टरस्टिक्स ऑफ़ दि इंडियन कांस्टीट्यूशन
दी लॉ एंड दी कांस्टीट्यूशन
माडर्न कांस्टीट्यूशन
कैबिनेट गवर्नमेंट

4 यदि राज्य सभा किसी संविधान संशोधन विधेयक पर लोक सभा से असहमत हो तो ऐसी स्थिति में-(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-141,प्रश्न-25

संशोधन विधेयक पारित नहीं माना जाता
दोनों सदनों की संयुक्त बैठक द्वारा इसका निर्णय होगा
लोक सभा द्वारा दो-तिहाई बहुमत से यह विधेयक पारित कर दिया जाएगा
लोक सभा राज्य सभा के मत को अस्वीकृत कर देगी