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*लीला जी ने अपनी [[आंख|आंखें]] दान देने का वचन दिया था।
*लीला जी ने अपनी [[आंख|आँखें]] दान देने का वचन दिया था।
*सगोत्रवाद और महिला अध्ययन को लेकर अपने कार्यों के लिए जानी जाने वाली लीला जी ने कई पुस्तकें लिखीं, जिसमें ‘मैत्रिलिनी एंड इस्लाम: रिलीजन एंड सोसाइटी इन द लैकेडिव्स’ उल्लेखनीय है।  
*सगोत्रवाद और महिला अध्ययन को लेकर अपने कार्यों के लिए जानी जाने वाली लीला जी ने कई पुस्तकें लिखीं, जिसमें ‘मैत्रिलिनी एंड इस्लाम: रिलीजन एंड सोसाइटी इन द लैकेडिव्स’ उल्लेखनीय है।  



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लीला दुबे
पूरा नाम लीला दुबे
अन्य नाम लीलादी
जन्म 27 मार्च, 1923
मृत्यु 20 मई, 2012
मृत्यु स्थान दिल्ली
पति/पत्नी श्यामा चरण दुबे
संतान दो पुत्र 'मुकुल दुबे' और 'सौरभ दुबे'
कर्म भूमि भारत
मुख्य रचनाएँ 'लिंगभाव का मानववैज्ञानिक अन्वेषण:प्रतिच्छेदी क्षेत्र', 'मैत्रिलिनी एंड इस्लाम: रिलीजन एंड सोसाइटी इन द लैकेडिव्स' आदि।
प्रसिद्धि मानव विज्ञानी तथा नारीवादी विद्वान
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी सगोत्रवाद और महिला अध्ययन को लेकर अपने कार्यों के लिए जानी जाने वाली लीला जी ने कई पुस्तकें लिखीं।

लीला दुबे (अंग्रेज़ी: Leela Dube ; जन्म- 27 मार्च, 1923; मृत्यु- 20 मई, 2012, दिल्ली) एक प्रसिद्ध मानव विज्ञानी और नारीवादी विद्वान थीं। उन्हें कई लोग 'लीलादी' नाम से भी सम्बोधित करते थे।

  • लीला जी प्रसिद्ध मानव विज्ञानी और समाजशास्त्री श्यामा चरण दुबे की पत्नी थीं।
  • इनकी रचना "लिंगभाव का मानववैज्ञानिक अन्वेषण:प्रतिच्छेदी क्षेत्र" में नातेदारी, संस्कृति तथा लिंगभाव के विभिन्न पहलुओं पर लिखा गया है। इस अन्वेषण में क्षेत्रीय शोधकार्य, वैयक्तिक वृत्तांक, प्रचुर मानवजाति चित्रणात्मक साहित्य तथा सैद्धान्तिक निरूपण का उपयोग किया गया है।
  • लीला दुबे ने अपनी सामग्री विभिन्न स्रोतों से ली है, जिसमें देशज चिन्तन, प्रचलित प्रतीक तथा भाषायी अभिव्यक्तियाँ, कर्मकांड एवं आचार-व्यवहार और लोगों के विश्वास व धारणाएँ समाविष्ट हैं। वे नातेदारी की अपनी व्याख्या में अध्येता भौतिक तथा विचारधारात्मक दोनों पक्षों का समावेश करती हैं।
  • 89 वर्ष की आयु में लीला दुबे का निधन उनके आवास पर 20 मई, 2012 को हुआ।
  • उनके परिवार में दो पुत्र मुकुल और सौरभ दुबे हैं।
  • लीला जी ने अपनी आँखें दान देने का वचन दिया था।
  • सगोत्रवाद और महिला अध्ययन को लेकर अपने कार्यों के लिए जानी जाने वाली लीला जी ने कई पुस्तकें लिखीं, जिसमें ‘मैत्रिलिनी एंड इस्लाम: रिलीजन एंड सोसाइटी इन द लैकेडिव्स’ उल्लेखनीय है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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