पं. मोतीलाल नेहरू: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
(मोतीलाल नेहरू को अनुप्रेषित (रिडायरेक्ट))
 
(16 intermediate revisions by 4 users not shown)
Line 1: Line 1:
[[चित्र:Jawahar-Lal-Nehru-Family.jpg|thumb|मोतीलाल नेहरू (दाएं खड़े) अपने बेटे [[जवाहरलाल नेहरू|जवाहरलाल]], बहू [[कमला नेहरू]] (बीच में) और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ]]
#REDIRECT [[मोतीलाल नेहरू]]
पं. मोतीलाल नेहरू [[भारत]] के प्रथम प्रधानमंत्री [[जवाहरलाल नेहरू]] के पिता थे। ये कश्मीरी ब्राह्मण थे और इनकी पत्नी का नाम स्वरूप रानी था। देश के आजादी आंदोलन में मोतीलाल नेहरू एक ऐसी शख्सियत थे जिन्होंने न केवल अपनी जिंदगी की शानोशौकत को पूरी तरह से ताक पर रख दिया बल्कि देश के लिए परिजनों सहित अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया। मोतीलाल नेहरू अपने दौर में देश के चोटी के वकीलों में थे। वह पश्चिमी रहन-सहन, वेषभूषा और विचारों से काफी प्रभावित थे। लेकिन बाद में वह जब महात्मा गांधी के संपर्क में आए तो उनके जीवन में आमूलचूल परिर्वतन आ गया।पंडित मोतीलाल नेहरू अपने जमाने के शीर्ष वकीलों में शामिल थे। उस दौर में वह हजारों रुपए की फीस लेते थे। उनके मुवक्किलों में अधिकतर बड़े जमींदार और स्थानीय रजवाड़ों के वारिस होते थे। लेकिन वह गरीबों की मदद करने में पीछे नहीं रहते थे।
==पारिवारिक पृष्ठभूमि==
पंडित गंगाधर नेहरू भी अपना सब कुछ छोड़कर अपने परिवार को लेकर किसी तरह सुरक्षित रूप से आगरा पहुंच गए। लेकिन वह आगरा में अपने परिवार को स्थायी रूप से जमा नहीं पाए थे कि सन् 1861 में केवल चौंतीस वर्ष की छोटी-सी आयु में ही वह अपने परिवार को लगभग निराश्रित छोड़कर इस संसार से कूच कर गए।
पंडित गंगाधर नेहरू की मृत्यु के तीन महीने बाद 6 मई 1861 को पंडित मोतीलाल नेहरू का जन्म हुआ था।
 
पंडित गंगाधर नेहरू के तीन पुत्र थे। सबसे बड़े थे पंडित बंसीधर नेहरू जो भारत में विक्टोरिया का शासन स्थापित हो जाने के बाद तत्कालीन न्याय विभाग में नौकर हो गए। उनसे छोटे पंडित नंदलाल नेहरू थे जो लगभग दस वर्ष तक राजस्थान की एक छोटी-सी रियासत खेतड़ी के दीवान रहे। बाद में वह आगरा लौट गए। उन्होंने आगरा में रहकर कानून की शिक्षा प्राप्त की और फिर वहीं वकालत करने लगे। इन दो पुत्रों के अतिरिक्त तीसरे पुत्र थे पंडित मोतीलाल नेहरू।
पंडित नन्दलाल नेहरू ने ही अपने छोटे भाई मोतीलाल का पालन-पोषण किया, पढ़ाया-लिखाया।
 
पंडित नन्दलाल नेहरू की गणना आगरा के सफल वकीलों में की जाती थी। उन्हें मुकदमों के सिलसिले में अपना अधिकांश समय इलाहाबाद में हाईकोर्ट बन जाने के कारण वहीं बिताना पड़ता था। इसलिए उन्होंने इलाहाबाद में ही एक मकान बनवा लिया और अपने परिवार को लेकर स्थायी रूप से इलाहाबाद आ गए और वहीं रहने लगे। जब वह महज 25 वर्ष के थे तो उनके बड़े भाई का निधन हो गया।
==प्रारंभिक जीवन==
मोतीलाल नेहरू का जन्म एक काश्मीरी पण्डित परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम गंगाधर था। वह पश्चिमी ढ़ंग की शिक्षा पाने वाली प्रथम पीढ़ी के गिने-चुने भारतीयों में से एक थे। पंडित मोतीलाल नेहरू पढ़ने-लिखने में अधिक ध्यान नहीं देते थे लेकिन अपने स्कूल और कॉलेज में अपनी हंसी-मज़ाक और खेल-कूद के लिए विख्यात थे। आरम्भ में उन्होंने [[अरबी]] और [[फारसी]] की शिक्षा प्राप्त की थी।
==शिक्षा==
पंडित मोतीलील नेहरू ने अपनी पढ़ाई-लिखाई की ओर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया। जब बी.ए. की परीक्षा का समय आया तो उन्होंने परीक्षा की तैयारी बिलकुल ही नहीं की थी। उन्होंने पहला ही पेपर किया था तो लगा कि इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने की कोई आशा नहीं है, क्योंकि उस पेपर से उन्हें सन्तोष नहीं हुआ है और सोचकर उन्होंने बाकी पेपर नहीं दिए और [[ताजमहल]] की सैर करने चले गए। लेकिन वह पेपर ठीक ही हुआ था। इसलिए प्रोफेसर ने उन्हें बुलाकर बहुत डांटा। लेकिन अब क्या हो सकता था। इसका परिणाम यह हुआ कि मोतीलाल नेहरू की शिक्षा यहीं समाप्त हो गई। वह बी.ए. पास नहीं कर पाए। उनकी शुरूआती शिक्षा कानपुर और बाद में इलाहाबाद में हुई। शुरूआत में उन्होंने कानपुर में वकालत की।
==पाश्चात्य प्रभाव==
अपने कॉलेज जीवन में ही मोतीलाल नेहरू पश्चिमी सभ्यता से इतने प्रभावित हो गए थे कि उन्होंने अपने आपको पूरी तरह उसी ढ़ांचे में ढाल लिया था। उस जमाने में कलकत्ता और बम्बई जैसे बड़े-बड़े नगरों मे ही लोगों ने पाश्चात्य वेश-भूषा, रहन-सहन और सभ्यता को अपनाया था लेकिन मोतीलील नेहरू ने इलाहाबाद जैसे छोटे-से शहर में पाश्चात्य वेश-भूषा और सभ्यता को अपनाकर एक नई क्रान्ति को जन्म दिया। भारत में जब पहली बाइसिकल आई तो मोतीलाल नेहरू ही इलाहाबाद के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने बाइसिकल खरीदी।
==वकालत==
मोतीलाल नेहरू की पढ़ाई भले ही अधूरी रह गई थी लेकिन वे आरम्भ से ही अत्यन्त कुशाग्र बुद्धि थे। ज्ञान और विद्वता की उनमें कमी नहीं थी। उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट की वकालत की परीक्षा दी तो सब लोग चकित रह गए। उन्होंने इस परीक्षा में प्रथम स्थान ही प्राप्त नहीं किया था, बल्कि उन्हें एक स्वर्णपदक भी मिला था। उनकी रुचि आरम्भ से ही वकालत में थी। उन पर अपने बड़े भाई नंदलाल नेहरू का गहरा प्रभाव पड़ा था। नंदलाल नेहरू की गणना कानपुर के अच्छे वकीलों में की जाती थी। इसलिए मोतीलाल नेहरू ने अपनी वकालत उनके सहायक के रूप में ही आरम्भ की।
 
पंडित मोतीलील नेहरू ने वकालत के पेशे में सफलता प्राप्त करने का दृढ़ निश्चय कर लिया था। इसलिए उन्होंने जी-तोड़ परिश्रम किया और बहुत जल्द उनकी गिनती कानपुर के तेज़-तर्रार वकीलों में होने लगी। उन्होंने तीन वर्ष तक कानपुर की ज़िला अदालतों में वकालत की और फिर इलाहाबाद आकर हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे।
 
नेहरू एक बैरिस्टर बने और इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश के शहर में बस गए। मोतीलाल जल्द ही अपने लिए इलाहाबाद के कानूनी पेशे में प्रसिद्ध हो गये। अपनी सफलता के साथ उन्होंने इलाहाबाद के सिविल लेन में और एक घर खरीदा और उस घर का नाम 'आनंद भवन' रखा। 1909 में 'प्रिवी कौंसिल ग्रेट ब्रिटेन' में अपनी योग्यता प्रदर्शित कर अपने कानूनी कैरियर के शिखर पर पहुंच गये। लगातार यूरोप के दौरे करने से पारंपरिक रूढ़िवादी हिंदू धर्म के कश्मीरी ब्राह्मण समुदाय उनसे नाराज़ हो गया। समाज में प्रतिष्ठा पाने के लिए उन्हें कुछ धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए कहा, क्योंकि रूढ़िवादी ब्राह्मण समुदाय में प्रतिष्ठा पाने के लिए यह अनिवार्य था। किंतु मोतीलाल
इन सब बातों को नहीं मानते थे।
 
उनकी जीवन शैली पाश्चात्य थी। वह एक धनी व्यक्ति थे। 1918 में महात्मा गांधी के प्रभाव से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रभाव में आये और गाँधी जी से प्रभावित होकर देशी भारतीय जीवन शैली अपनाकर अपने जीवन को बदलने की पहले की गई। अपने बड़े परिवार और परिवार के खर्चों को पूरा करने के लिए नेहरू कभी कभी कानून के अपने व्यवसाय को अपनाते थे। बाद में उन्होंने परिवार के लिए 'स्वराज भवन' बनवाया। मोतीलाल नेहरू ने 'स्वरूप रानी', एक कश्मीरी ब्राह्मण से शादी कर ली।
==संतान==
मोतीलाल के घर जवाहरलाल नेहरू 1889 में पैदा हुए। बाद में उनके दो पुत्रियां सरूप :बाद में विजयलक्ष्मी पंडित के नाम से विख्यात: और कृष्णा :बाद में कृष्णाहटी सिंग: पैदा हुई। विजयलक्ष्मी पंडित ने अपनी आत्मकथा ''द स्कोप आफ हैप्पीनेस'' में बचपन की यादों को ताजा करते हुए लिखा है कि उनके पिता पूरी तरह से पश्चिमी विचारों और रहन-सहन के कायल थे। उस दौर में उन्होंने अपने सची बच्चों को अंगे्रजी शिक्षा दिलवाई। विजयलक्ष्मी पंडित के अनुसार उस दौर में मोतीलाल नेहरू आनंद भवन में भव्य पार्टियां दिया करते थे जिनमें देश के नामी गिरामी लोग और अंगे्रज अधिकारी शामिल हुआ करते थे। लेकिन बाद में इन्हीं मोतीलाल के जीवन में महात्मा गांधी से मिलने के बाद आमूलचूल परिवर्तन आ गया और यहां तक कि उनका बिछौना जमीन पर लगने लगा।
==राजनीतिक कैरियर==
पंडित मोतीलाल की क़ानून पर पकड़ काफी मजबूत थी। इसी कारण से [[साइमन कमीशन]] के विरोध में सर्वदलीय सम्मेलन ने [[1927]] में मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक समिति बनाई जिसे [[भारत]] का संविधान बनाने का दायित्व सौंपा गया। इस समिति की रिपोर्ट को 'नेहरू रिपोर्ट' के नाम से जाना जाता है।  इसके बाद मोतीलाल ने इलाहाबच्द उच्च न्यायालय आकर वकालत प्रारम्भ कर दी।
 
मोतीलाल 1910 में संयुक्त प्रांत, वर्तमान में [[उत्तर प्रदेश]] विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए। अमृतसर में 1919 के [[जलियांवाला बाग]] गोलीकांड के बाद उन्होंने [[महात्मा गांधी]] के आह्वान पर अपनी वकालत छोड़ दी। वह 1919 और 1920 में दो बार कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। उन्होंने देशबंधु चितरंजन दास के साथ 1923 में 'स्वराज पार्टी' का गठन किया। इस पार्टी के जरिए वह 'सेन्ट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली' पहुंचे और बाद वह विपक्ष के नेता बने। असेम्बली में मोतीलाल ने अपने क़ानूनी ज्ञान के कारण सरकार के कई क़ानूनों की जमकर आलोचना की। मोतीलाल नेहरू ने आज़ादी के आंदोलन में भारतीय लोगों के पक्ष को सामने रखने के लिए 'इंडिपेंडेट अख़बार' भी चलाया।
==निधन==
देश की आजादी के लिए कई बार जेल जाने वाले मोतीलाल नेहरू का निधन [[6 फरवरी]] [[1931]] को [[लखनऊ]] में हुआ।
 
{{see also|नेहरू-गाँधी परिवार वृक्ष}}
 
 
{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति
|आधार=
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|शोध=
}}
==टीका टिप्पणी==
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
* [http://jawaharlal.over-blog.com/article-30588095.html]
 
*[http://bnsingh.blogspot.com/2009/05/blog-post.html मोतीलाल नेहरू में थी देश की आजादी के लिए दीवानगी]
* [http://pustak.org/home.php?bookid=3692 युग पुरुष नेहरू]
==संबंधित लेख==
{{नेहरू परिवार}}
 
[[Category:नेहरू परिवार]]
[[Category:जवाहर लाल नेहरू]]
__INDEX__

Latest revision as of 09:39, 16 December 2012