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| *पौराणिक [[भूगोल]] के अनुसार इलावृत, जंबुद्वीप का एक भाग है।
| | #REDIRECT [[इलावृत]] |
| *इंलावृत की स्थिति जंबुद्वीप के मध्य में मानी गई है।
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| *इंलावृत के नाभिस्थान में मेरु पर्वत है तथा इसके उपास्यदेव [[शंकर]] हैं-
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| <poem>'पुनश्च परिवृत्याथ मध्यं देशमिलावृतम्।'<ref>[[सभा पर्व महाभारत|महाभारत सभा पर्व]] 28</ref></poem>
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| *[[विष्णुपुराण]] में इसका उल्लेख इस प्रकार है-
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| <poem>'मेरोश्चचतुर्दिशं तत्तु नव साहस्त्रविस्तृतम्, इलावृतं महाभाग चत्वारश्चात्र पर्वता:।'<ref>[[विष्णु पुराण]] 2,2,15</ref></poem>
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| *विष्णु पुराण के अनुसार इलावृत के चार [[पर्वत]] हैं, मंदर, गंधमादन, विमल और सुपार्श्च।
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| *इस देश में संभवत: [[हिमालय]] के उत्तर में [[चीन]], मंगोलिया और साइबेरिया के कुछ भाग सम्मिलित रहे होंगे।
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| *कल्पनारंजित होने के कारण ठीक-ठीक अभिज्ञान सम्भव नहीं जान पड़ता।
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| *इलावृत के दक्षिण में हरिवर्ष की स्थिति थी।
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| {{संदर्भ ग्रंथ}}
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| ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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| <references/>
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| ==बाहरी कड़ियाँ==
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| ==संबंधित लेख==
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| [[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]]
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| [[Category:विष्णु पुराण]]
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| [[Category:महाभारत]]
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| __INDEX__
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