File:Amir-Khusro.jpg: Difference between revisions
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Latest revision as of 10:24, 14 February 2013
विवरण (Description) | अमीर ख़ुसरो और हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया |
चित्रकार (Painter) | Deccan Miniature Paintings |
उपलब्ध (Available) | राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली |
अन्य विवरण | हिन्दी खड़ी बोली के पहले लोकप्रिय कवि अमीर ख़ुसरो ने कई गज़ल, ख़याल, कव्वाली, रुबाई, तराना की रचना की हैं। अमीर ख़ुसरो का जन्म सन् 1253 ई॰ में एटा (उत्तरप्रदेश) के पटियाली नामक क़स्बे में गंगा किनारे हुआ था। |
File history
फ़ाइल पुराने समय में कैसी दिखती थी यह जानने के लिए वांछित दिनांक/समय पर क्लिक करें।
Date/Time | अंगुष्ठ नखाकार (थंबनेल) | Dimensions | User | Comment | |
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current | 06:34, 30 March 2010 | ![]() | 278 × 339 (17 KB) | Govind (talk | contribs) |
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File usage
The following 53 pages use this file:
- अमीर ख़ुसरो
- अम्मा मेरे बाबा को भेजो री -अमीर ख़ुसरो
- आ घिर आई दई मारी घटा कारी। -अमीर ख़ुसरो
- ऐ री सखी मोरे पिया घर आए -अमीर ख़ुसरो
- कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 23
- कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 28
- कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 34
- कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 6
- कवियों की ब्रजभाषा
- काहे को ब्याहे बिदेस -अमीर ख़ुसरो
- खालिकबारी
- छाप तिलक सब छीन्हीं रे -अमीर ख़ुसरो
- जब यार देखा नैन भर -अमीर ख़ुसरो
- ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल -अमीर ख़ुसरो
- जो पिया आवन कह गए अजहुँ न आए -अमीर ख़ुसरो
- जो मैं जानती बिसरत हैं सैय्या -अमीर ख़ुसरो
- ढकोसले या अनमेलियाँ -अमीर ख़ुसरो
- तोरी सूरत के बलिहारी, निजाम -अमीर ख़ुसरो
- दुसुख़ने -अमीर ख़ुसरो
- दैया री मोहे भिजोया री शाह निजम के रंग में। -अमीर ख़ुसरो
- दोहे -अमीर ख़ुसरो
- निज़ामुद्दीन औलिया
- परदेसी बालम धन अकेली मेरा बिदेसी घर आवना -अमीर ख़ुसरो
- पहेली 10 दिसम्बर 2017
- पहेली 17 अप्रॅल 2016
- पहेली 19 दिसम्बर 2014
- पहेली 1 मार्च 2022
- पहेली 20 सितम्बर 2016
- पहेली 20 सितम्बर 2020
- पहेली 23 मार्च 2018
- पहेली 24 जनवरी 2018
- पहेली 27 अप्रॅल 2022
- पहेली 28 नवम्बर 2020
- पहेली 2 अगस्त 2013
- पहेली 5 जुलाई 2019
- पहेली 5 मई 2014
- पहेली 6 अप्रॅल 2018
- पहेली अगस्त 2013
- पहेली अप्रैल 2016
- पहेली जनवरी 2018
- पहेली दिसम्बर 2014
- पहेली दिसम्बर 2017
- पहेली मई 2014
- पहेली सितंबर 2016
- बहुत कठिन है डगर पनघट की -अमीर ख़ुसरो
- बहुत दिन बीते पिया को देखे -अमीर ख़ुसरो
- बहोत रही बाबुल घर दुल्हन -अमीर ख़ुसरो
- ब्रजभाषा
- मेरे महबूब के घर रंग है री -अमीर ख़ुसरो
- मोरा जोबना नवेलरा भयो है गुलाल -अमीर ख़ुसरो
- सकल बन फूल रही सरसों -अमीर ख़ुसरो
- सूफ़ी दोहे -अमीर ख़ुसरो
- हजरत ख्वाजा संग खेलिए धमाल -अमीर ख़ुसरो