Template:साप्ताहिक सम्पादकीय: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
(75 intermediate revisions by 4 users not shown)
Line 1: Line 1:
<noinclude>{| width="49%" align="left" cellpadding="5" cellspacing="5"
<h4>[[कौऔं का वायरस -आदित्य चौधरी|भारतकोश सम्पादकीय <small>-आदित्य चौधरी</small>]]</h4>
|-</noinclude>
<div class="hamariaapki-new headbg34">
| style="background:transparent;"|
[[चित्र:4-crow-meeting.jpg|100px|border|right|link=भारतकोश सम्पादकीय 3 मार्च 2012]]
{| style="background:transparent; width:100%"
<center>[[कौऔं का वायरस -आदित्य चौधरी|कौऔं का वायरस]]</center>
|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 21 अगस्त 2012|साप्ताहिक सम्पादकीय<small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font>
|-
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}}
{| style="background:transparent; width:100%" align="left"
|- valign="top"
|
[[चित्र:Hippocampus-brain.jpg|right|130px|link=भारतकोश सम्पादकीय 21 अगस्त 2012]]
<poem>
<poem>
[[भारतकोश सम्पादकीय 21 अगस्त 2012|यादों का फंडा]]
        यह एक तरह की ध्यानावस्था ही है। यह एक ऐसा ध्यान है जो किया नहीं जाता या धारण नहीं करना होता बल्कि स्वत: ही धारित हो जाता है... बस लग जाता है। मनोविश्लेषण की पुरानी अवधारणा के अनुसार कहें तो अवचेतन मस्तिष्क (सब कॉन्शस) में कहीं स्थापित हो जाता है। दिमाग़ में बादाम जितने आकार के दो हिस्से, जिन्हें ऍमिग्डाला (Amygdala) कहते हैं, कुछ ऐसा ही व्यवहार करते हैं। ये दोनों कभी-कभी दिमाग़ को अनदेखा कर शरीर के किसी भी हिस्से को सक्रिय कर देते हैं। असल में इनकी मुख्य भूमिका संवेदनात्मक आपातकालिक संदेश देने की होती है। इस तरह की ही कोई प्रणाली संभवत: अवचेतन के संदेशों के निगमन को संचालित करती है। ऍमिग्डाला की प्रक्रिया को 'डेनियल गोलमॅन' ने अपनी किताब इमोशनल इंटेलीजेन्स में बहुत अच्छी तरह समझाया है। [[कौऔं का वायरस -आदित्य चौधरी|...पूरा पढ़ें]]
          मस्तिष्क को वैज्ञानिकों ने एक कम्प्यूटर की तरह मानकर ही इसका अध्ययन किया है और यह अध्ययन लगातार जारी है। वैज्ञानिक मस्तिष्क की याददाश्त की क्षमता को अद्‌भुत मानते हैं और यह भी प्रमाणित है कि मस्तिष्क को जितने भी संदेश मिलते हैं वह उन्हें संचित कर लेता है। किंतु हिप्पोकॅम्पस में संचित इन संदेशों को पुन: प्रस्तुत करने के लिए मनुष्य के मस्तिष्क के पास कोई सुगम प्रणाली नहीं होती। [[भारतकोश सम्पादकीय 21 अगस्त 2012|...पूरा पढ़ें]]
</poem>
</poem>
<center>
<center>
{| style="margin:0; background:transparent" cellspacing="3"
{| style="margin:0; background:transparent" cellspacing="3"
|-
|-
| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले लेख]] →
| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले सभी लेख]] →
| [[भारतकोश सम्पादकीय 14 अगस्त 2012|ईमानदारी की क़ीमत]] ·
| [[सफलता का शॉर्ट-कट -आदित्य चौधरी]]
| [[भारतकोश सम्पादकीय 31 जुलाई 2012|मौसम है ओलम्पिकाना]]  
| [[शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र -आदित्य चौधरी|शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र]]
|}</center>
| [[शर्मदार की मौत -आदित्य चौधरी|शर्मदार की मौत]]
|}
|}
|}<noinclude>[[Category:मुखपृष्ठ के साँचे]]</noinclude>
</center>
* [http://adityachaudhary.org अधिक जानकारी के लिए देखें- adityachaudhary.org]
</div>
<noinclude>[[Category:मुखपृष्ठ के साँचे]][[Category:सम्पादकीय (अद्यतन)]]</noinclude>
__NOEDITSECTION__

Latest revision as of 13:56, 6 April 2020

भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी

100px|border|right|link=भारतकोश सम्पादकीय 3 मार्च 2012

कौऔं का वायरस

         यह एक तरह की ध्यानावस्था ही है। यह एक ऐसा ध्यान है जो किया नहीं जाता या धारण नहीं करना होता बल्कि स्वत: ही धारित हो जाता है... बस लग जाता है। मनोविश्लेषण की पुरानी अवधारणा के अनुसार कहें तो अवचेतन मस्तिष्क (सब कॉन्शस) में कहीं स्थापित हो जाता है। दिमाग़ में बादाम जितने आकार के दो हिस्से, जिन्हें ऍमिग्डाला (Amygdala) कहते हैं, कुछ ऐसा ही व्यवहार करते हैं। ये दोनों कभी-कभी दिमाग़ को अनदेखा कर शरीर के किसी भी हिस्से को सक्रिय कर देते हैं। असल में इनकी मुख्य भूमिका संवेदनात्मक आपातकालिक संदेश देने की होती है। इस तरह की ही कोई प्रणाली संभवत: अवचेतन के संदेशों के निगमन को संचालित करती है। ऍमिग्डाला की प्रक्रिया को 'डेनियल गोलमॅन' ने अपनी किताब इमोशनल इंटेलीजेन्स में बहुत अच्छी तरह समझाया है। ...पूरा पढ़ें

पिछले सभी लेख सफलता का शॉर्ट-कट -आदित्य चौधरी शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र शर्मदार की मौत